कानपुर : उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले से सीनियर आईएएस अफसर इफ्तखारुद्दीन का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. यह वायरल वीडियो उस समय का बताया जा रहा है जब इफ्तखारुद्दीन कानपुर के कमिश्नर थे. जानकारी के मुताबिक उस दौरान उन्होंने कुछ मौलानाओं को अपने सरकारी बंगले पर बुलाकर धर्म परिवर्तन की पाठशाला का आयोजन किया था.
जानकारी के मुताबिक वायरल वीडियो मामले पर यूपी सरकार ने बड़ा फैसला ले लिया है. मंगलवार को यूपी सरकार ने पूरे मामले की जांच एसआईटी से कराने का फैसला किया है. जांच का जिम्मा डीजी सीबीसीआईडी जीएल मीना और एडीजी जोन कानपुर भानु भास्कर को सौंपा गया है. एसआईटी पूरे मामले की रिपोर्ट सात दिन में शासन को सौंपेगी.
सूत्रों की मानें तो आईएएस इफ्तिखारुद्दीन के शहर छोड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. निगरानी के लिए उनके अपार्टमेंट के बाहर 112-यूपी पुलिस तैनात कर दी गई है.
बता दें कि, मुख्यमंत्री के आदेश पर मंगलवार को अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने सीनियर आईएएस इफ्तिखारुद्दीन के सरकारी घर में चल रहे मजहबी पाठशाला के मामले की जांच एसआईटी को सौंपी है. एसआईटी (SIT) जांच टीम के अध्यक्ष डीजी सीबीसीआईडी जीएल मीना और सदस्य एडीजी जोन कानपुर भानु भास्कर को बनाया गया है. एसआईटी टीम को पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट सात दिन में शासन को सौंपनी है. वहीं, इस मामले की कानपुर के पुलिस कमिश्नर असीम अरुण के निर्देश पर एडीसीपी (ईस्ट) सोमेंद्र मीणा भी वायरल वीडियो की जांच कर रहे हैं.
एसआईटी (SIT) टीम के अध्यक्ष पुलिस महानिदेशक सीबीसीआईडी जीएल मीना ने कहा कि, टीम के सदस्य एडीजी जोन कानपुर भानु भास्कर सरकारी काम से मैनपुरी गए हैं. रात में ही लौट आएंगे. बुधवार सुबह मामले की जांच शुरू कर दी जाएगी. टीम वीडियो की सत्यता परखेगी. इस बात की तस्दीक की जाएगी कि, वीडियो में आईएएस इफ्तिखारुद्दीन ने जो बातें कहीं हैं, वो अपराध की संज्ञा में आता है या नहीं. मामले में तत्कालीन कमिश्नर कानपुर आईएएस इफ्तिखारुद्दीन और सरकारी आवास पर तैनात कर्मचारी समेत वीडियो में नजर आ रहे लोगों से भी पूछताछ करेगी.
पुलिस सूत्रों की मानें तो कानपुर के एक समाजसेवी और सीटीएस बस्ती कल्याणपुर के लोगों ने दावा किया कि IAS अफसर के लोगों ने उन पर धर्म परिवर्तन करने का दबाव बनाया था. शुद्ध भक्ति (मुस्लिम धर्म के लिए प्रेरित करने वाली किताब) नाम की किताब भी बांटी थी. सीटीएस बस्ती के लोगों ने पुलिस को बताया कि, IAS इफ्तिखारुद्दीन के साथ वीडियो में धर्म परिवर्तन की अपील कर रहे युवक की पहचान चौबेपुर निवासी मोइनुद्दीन के रूप में की गई है. लोगों ने बताया कि मोइनुद्दीन ही बस्ती के लोगों पर धर्मांतरण का दबाव बना रहा था. धर्मांतरण के लिए प्रभावित करने के लिए उसने रुपए-पैसे से लेकर बच्चों को मुफ्त शिक्षा, मकान समेत अन्य मदद करने का भरोसा दिलाया था. एसआईटी मोइनुद्दीन पर शिकंजा कस सकती है.
बता दें कि, उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के चेयरमैन व सीनियर आईएएस अधिकारी मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन के धर्मांतरण के लिए प्रेरित करने को लेकर कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. कानपुर स्थित उनके सरकारी आवास पर उनकी मौजूदगी में धर्म परिवर्तन को लेकर तकरीरें की गईं. वायरल वीडियो में धर्मगुरु दावा करता नजर आ रहा है कि "पिछले दिनों पंजाब में एक शख्स ने इस्लाम धर्म कबूल किया. मैंने उनसे कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि बहन की मौत के कारण इस्लाम कबूल किया है.
हालांकि, ETV भारत इस वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं करता है. पुलिस भी वीडियों की सच्चाई सामने लाने के लिए जांच में जुट गई हैं. धर्मांतरण को लेकर वायरल वीडियो पर कानून मंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि वीडियो की जांच कराई जा रही है. अगर दोषी पाए जाते हैं तो कार्रवाई की जाएगी.
वहीं, सीनियर आईएएस मो. इफ्तिखारुद्दीन के वायरल वीडियो मामले में कानपुर के पुलिस कमिश्नर असीम अरुण ने एडीसीपी (ईस्ट) सोमेंद्र मीणा को वायरल वीडियो की जांच करने के निर्देश दिए हैं, जबकि, इसी के थोड़ी देर बाद प्रमुख सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने वायरल वीडियो की जांच और आईएसएस इफ्तिखारुद्दीन की भूमिका की जांच के लिए एसआईटी (SIT) जांच के आदेश दिए हैं. SIT 7 दिन के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट सौंपेगी.
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वहीं, रिटायर्ड आईपीएस बृजलाल ने ट्वीट करते हुए लिखा कि सरकारी सेवक का धर्म केवल संविधान होता है. ये सर्विस कांडक्ट रुल के खिलाफ है. बाबा साहब ने हमें जो संविधान दिया है उसकी मूल भावना को भी आहत करने वाला है. ऐसे लोकसेवकों पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए.