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Free Ambulance Service : 'मैं अपने पिता की तरह किसी को मरने नहीं दूंगा', इसी प्रण के साथ अपने मिशन पर चल पड़ा मंजूनाथ

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Published : Mar 10, 2023, 7:47 AM IST

Updated : Mar 15, 2023, 5:13 PM IST

कर्नाटक के मंजूनाथ एक मिशन पर हैं. वह मिशन है लोगों की जान बचाना. अपने पिता को एंबुलेंस के इंतजार में मरते हुए देखने के बाद उन्होंने अपने इलाके में मुफ्त एंबुलेंस सेवा शुरू की, जो 24x7 चलती है.

Free Ambulance Service
कर्नाटक के चिक्कमगलुरु जिले के निवासी मंजूनाथ अपने एंबूलेंस के साथ.

चिक्कमगलुरु (कर्नाटक) : कर्नाटक के चिक्कमगलुरु जिले के निवासी मंजूनाथ के जीवन में पांच साल पहले एक दुर्भाग्यपूर्ण दिन आया. उनकी आंखों के सामने कैंसर और दिल की बीमारी से पीड़ित उनके पिता दर्द से कराह रहे थे. उन्हें तत्काल चिकित्सा की सख्त जरूरत थी. उन्हें तुरंत अस्पताल पहुंचाना जरूरी था. उनकी हालत तेजी से बिगड़ रही थी. उन्हें गांव से शिवमोग्गा के मलेनाडु अस्पताल जाना था. मंजूनाथ ने हड़बड़ाहट में अस्पतालों और एंबुलेंस सेवाओं को कॉल करना शुरू किया.

स्थानीय सरकारी अस्पताल को फोन करने पर उन्हें बताया गया कि एंबुलेंस दूसरे मरीज को लेने गई है. निजी अस्पतालों के एंबुलेंस का किराया इतना ज्यादा था कि वह उसकी सेवा नहीं ले सके. आखिरकार समय पर एंबुलेंस नहीं मिली. मंजूनाथ पिता को अस्पताल नहीं ले जा सके. लाचार बेटे के सामने उचित इलाज के बिना ही उनकी मौत हो गई. इस घटना ने मंजूनाथ को अंदर से झकझोर दिया. जब वह पिता के मौत के सदमे से निकले, तो उन्होंने मिशन शुरू करने की ठानी.

पढ़ें : Groom Left His Wife In Traffic: शादी के दूसरे दिन दूल्हे ने पत्नी को ट्रैफिक जाम में छोड़कर भागा

उन्होंने यह सुनिश्चित करने की ठानी कि अब उनके गांव में कोई भी एंबुलेंस सेवा की कमी के कारण नहीं मरेगा. कैंटिन चलाने वाले मंजूनाथ ने पहले ट्रैक्टर और ट्रक खरीदकर कारोबार का विस्तार किया. फिर उन्होंने अपने पांच लाख रुपये खर्च कर एक एंबुलेंस खरीदी. वह इस एंबुलेंस से क्षेत्र के लोगों को मुफ्त सेवा प्रदान कर रहे हैं. मंजूनाथ ने कहा कि पांच साल पहले, मेरे पिता कैंसर और दिल की बीमारी से पीड़ित थे. उचित इलाज के बिना उनकी मृत्यु हो गई, क्योंकि उन्हें अस्पताल ले जाने के लिए कोई एंबुलेंस उपलब्ध नहीं थी.

उन्होंने कहा कि उस दिन से मैंने फैसला किया कि मैं अपने पिता की तरह इस क्षेत्र में किसी को मरने नहीं दूंगा. उन्होंने कहा कि अपने विनम्र प्रयास से, मैं सिर्फ यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा हूं कि कोई भी अपने प्रियजनों को न खोए, जैसा मैंने अपने पिता को खोया है. मंजूनाथ ने कहा कि मुझे लगता है मुफ्त एंबुलेंस सेवा प्रदान करना कम से कम चीज थी, जो मैं कर सकता हूं. उनकी एंबुलेंस सेवा 24x7 उपलब्ध है. अब तक 35 रोगियों की सेवा दे चुकी है.

पढ़ें : Karnataka Bribe For Tender Scam : रिश्वत मामले में आरोपी भाजपा विधायक विरुपक्षप्पा लोकायुक्त पुलिस के समक्ष पेश हुए

उनमें से कई रोगियों की हालत काफी खराब थी. लगभग 30 ड्राइवर हैं जो हमेशा सेवा के लिए उपलब्ध रहते हैं. मंजूनाथ ने कहा कि सेवा पूरी तरह से मुफ्त है. एंबुलेंस में ऑक्सीजन सिलेंडर और मेडिकल किट भी है.

पढ़ें : Unique Holi Celebration: कर्नाटक के हावेरी जिले में अनोखा होली उत्सव, 'रति-मनमथा' को हंसाने की प्रतियोगिता

चिक्कमगलुरु (कर्नाटक) : कर्नाटक के चिक्कमगलुरु जिले के निवासी मंजूनाथ के जीवन में पांच साल पहले एक दुर्भाग्यपूर्ण दिन आया. उनकी आंखों के सामने कैंसर और दिल की बीमारी से पीड़ित उनके पिता दर्द से कराह रहे थे. उन्हें तत्काल चिकित्सा की सख्त जरूरत थी. उन्हें तुरंत अस्पताल पहुंचाना जरूरी था. उनकी हालत तेजी से बिगड़ रही थी. उन्हें गांव से शिवमोग्गा के मलेनाडु अस्पताल जाना था. मंजूनाथ ने हड़बड़ाहट में अस्पतालों और एंबुलेंस सेवाओं को कॉल करना शुरू किया.

स्थानीय सरकारी अस्पताल को फोन करने पर उन्हें बताया गया कि एंबुलेंस दूसरे मरीज को लेने गई है. निजी अस्पतालों के एंबुलेंस का किराया इतना ज्यादा था कि वह उसकी सेवा नहीं ले सके. आखिरकार समय पर एंबुलेंस नहीं मिली. मंजूनाथ पिता को अस्पताल नहीं ले जा सके. लाचार बेटे के सामने उचित इलाज के बिना ही उनकी मौत हो गई. इस घटना ने मंजूनाथ को अंदर से झकझोर दिया. जब वह पिता के मौत के सदमे से निकले, तो उन्होंने मिशन शुरू करने की ठानी.

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उन्होंने यह सुनिश्चित करने की ठानी कि अब उनके गांव में कोई भी एंबुलेंस सेवा की कमी के कारण नहीं मरेगा. कैंटिन चलाने वाले मंजूनाथ ने पहले ट्रैक्टर और ट्रक खरीदकर कारोबार का विस्तार किया. फिर उन्होंने अपने पांच लाख रुपये खर्च कर एक एंबुलेंस खरीदी. वह इस एंबुलेंस से क्षेत्र के लोगों को मुफ्त सेवा प्रदान कर रहे हैं. मंजूनाथ ने कहा कि पांच साल पहले, मेरे पिता कैंसर और दिल की बीमारी से पीड़ित थे. उचित इलाज के बिना उनकी मृत्यु हो गई, क्योंकि उन्हें अस्पताल ले जाने के लिए कोई एंबुलेंस उपलब्ध नहीं थी.

उन्होंने कहा कि उस दिन से मैंने फैसला किया कि मैं अपने पिता की तरह इस क्षेत्र में किसी को मरने नहीं दूंगा. उन्होंने कहा कि अपने विनम्र प्रयास से, मैं सिर्फ यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा हूं कि कोई भी अपने प्रियजनों को न खोए, जैसा मैंने अपने पिता को खोया है. मंजूनाथ ने कहा कि मुझे लगता है मुफ्त एंबुलेंस सेवा प्रदान करना कम से कम चीज थी, जो मैं कर सकता हूं. उनकी एंबुलेंस सेवा 24x7 उपलब्ध है. अब तक 35 रोगियों की सेवा दे चुकी है.

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उनमें से कई रोगियों की हालत काफी खराब थी. लगभग 30 ड्राइवर हैं जो हमेशा सेवा के लिए उपलब्ध रहते हैं. मंजूनाथ ने कहा कि सेवा पूरी तरह से मुफ्त है. एंबुलेंस में ऑक्सीजन सिलेंडर और मेडिकल किट भी है.

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Last Updated : Mar 15, 2023, 5:13 PM IST
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