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अपने खेत को जैविक खेती के लिए उपयोग करते हैं तो सरकार की इन योजनाओं से होंगे मालामाल

केंद्र सरकार (Central government) जैविक खेती व जैविक उत्पादों (organic farming and organic products) के प्रचार और विपणन पर भारी मात्रा में खर्च कर रही है. केंद्र, भारत और विदेशों में जैविक उत्पादों के विपणन के लिए अलग योजना चलाने के अलावा तीन अन्य योजनाएं चला रहा ता है. इसमें जैविक उत्पादन के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम, परम्परागत कृषि विकास योजना और पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए मिशन जैविक मूल्य श्रृंखला विकास शामिल है. ताकि किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य मिल सके.

organic farm
ऑर्गेनिक फार्म
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Published : Mar 30, 2022, 10:14 PM IST

नई दिल्ली: नवीनतम आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार केंद्र ने अब तक पारंपरिक खेती को बढ़ावा (promote traditional farming) देने और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में जैविक मूल्य श्रृंखला के विकास (Development of Biological Value Chain in the North Eastern Region) पर 2952 करोड़ रुपये खर्च किये हैं. वहीं परम्परागत कृषि विकास योजना (PKVY) पर 2132 करोड़ रुपये और जैविक खेती पर 820 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. ईटीवी भारत के माध्यम से जानें कि कैसे एक किसान या किसान उत्पादन संगठन (farmer production organization) इन योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं.

राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम: राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (National Organic Production Programme) के तहत केंद्र दोनों देशों के बीच तुलनात्मक समझौते या आयातक देश की आवश्यकताओं के अनुसार, आयातक देशों के जैविक मानकों के अनुरूप जैविक उत्पादों के प्रमाणीकरण की सुविधा प्रदान करता है. यह राष्ट्रीय जैविक उत्पादन मानक (National Organic Production Standards) के अनुरूप जैविक उत्पादों के प्रमाणीकरण की सुविधा भी प्रदान करता है.

परम्परागत कृषि विकास योजना: परम्परागत कृषि विकास योजना (Paramparagat Krishi Vikas Yojana) के तहत सरकार 2015-16 से देश में क्लस्टर और किसान उत्पाद संगठनों (farmer production organization) के माध्यम से जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) और मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट फॉर नॉर्थ ईस्टर्न रीजन (MOVCDNER) को लागू कर रही है. दोनों योजनाएं किसानों को जैविक उत्पादन से लेकर प्रसंस्करण, प्रमाणन और विपणन सहित कटाई के बाद प्रबंधन सहायता प्रदान करती हैं. जो जैविक उत्पादों की लागत को कम करने में मदद करती है.

इतनी मिलेगी सब्सिडी: परम्परागत कृषि विकास योजना के तहत केंद्र, 3 साल के लिए 50000 रुपये प्रति हेक्टेयर की वित्तीय सहायता प्रदान करता है. जिसमें से 31000 रुपये प्रति हेक्टेयर 3 साल के लिए सीधे किसानों को डीबीटी के माध्यम से ऑन-फार्म और और जैविक इनपुट के लिए प्रदान किया जाता है. सरकार मूल्यवर्धन और बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए 3 साल के लिए 1000 हेक्टेयर के प्रति क्लस्टर 20 लाख रुपये की वित्तीय सहायता भी प्रदान करती है.

पूर्वोत्तर के लिए मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट: इस योजना का उद्देश्य उत्पादकों को उपभोक्ताओं से जोड़ने के लिए एक मूल्य श्रृंखला मोड में प्रमाणित जैविक उत्पादन का विकास करना है. साथ ही बीज, प्रमाणीकरण से लेकर संग्रह, एकत्रीकरण, प्रसंस्करण विपणन और सुविधाओं के निर्माण के लिए संपूर्ण मूल्य श्रृंखला के विकास का समर्थन करना है. मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट फॉर नॉर्थ ईस्टर्न रीजन (MOVCDNER) के तहत एफपीओ के निर्माण के लिए 3 साल के लिए प्रति हेक्टेयर 46575 रुपये की सहायता प्रदान की जाती है. किसानों को जैविक इनपुट, गुणवत्ता वाले बीज/रोपण सामग्री और प्रशिक्षण, हैंड होल्डिंग और प्रमाणन के लिए भी सहायता प्रदान की जाती है.

यह भी पढ़ें- इंडिया रेटिंग्स ने घटाई रेटिंग, 7 फीसदी किया GDP ग्रोथ का अनुमान

केंद्र फसल कटाई के बाद के बुनियादी ढांचे और एकीकृत प्रसंस्करण इकाई के लिए 600 लाख रुपये की अधिकतम सीमा तक एकीकृत पैकेजिंग हाउस के लिए 37.50 लाख रुपये तक आवश्यकता आधारित सहायता भी प्रदान करता है. प्रत्येक रेफ्रिजेरेटेड वाहन और कोल्ड स्टोर घटकों के लिए 18.75 लाख रुपये और संग्रह, एकत्रीकरण, ग्रेडिंग, कस्टम हायरिंग सेंटर के लिए 10.0 लाख रुपये प्रदान किया जाता है. परिवहन के लिए चार पहिया वाहन खरीदने के लिए 6 लाख रुपये की सहायता भी प्राप्त कर सकते हैं. इस योजना के लिए सरकार ने 400 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं.

नई दिल्ली: नवीनतम आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार केंद्र ने अब तक पारंपरिक खेती को बढ़ावा (promote traditional farming) देने और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में जैविक मूल्य श्रृंखला के विकास (Development of Biological Value Chain in the North Eastern Region) पर 2952 करोड़ रुपये खर्च किये हैं. वहीं परम्परागत कृषि विकास योजना (PKVY) पर 2132 करोड़ रुपये और जैविक खेती पर 820 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. ईटीवी भारत के माध्यम से जानें कि कैसे एक किसान या किसान उत्पादन संगठन (farmer production organization) इन योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं.

राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम: राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (National Organic Production Programme) के तहत केंद्र दोनों देशों के बीच तुलनात्मक समझौते या आयातक देश की आवश्यकताओं के अनुसार, आयातक देशों के जैविक मानकों के अनुरूप जैविक उत्पादों के प्रमाणीकरण की सुविधा प्रदान करता है. यह राष्ट्रीय जैविक उत्पादन मानक (National Organic Production Standards) के अनुरूप जैविक उत्पादों के प्रमाणीकरण की सुविधा भी प्रदान करता है.

परम्परागत कृषि विकास योजना: परम्परागत कृषि विकास योजना (Paramparagat Krishi Vikas Yojana) के तहत सरकार 2015-16 से देश में क्लस्टर और किसान उत्पाद संगठनों (farmer production organization) के माध्यम से जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) और मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट फॉर नॉर्थ ईस्टर्न रीजन (MOVCDNER) को लागू कर रही है. दोनों योजनाएं किसानों को जैविक उत्पादन से लेकर प्रसंस्करण, प्रमाणन और विपणन सहित कटाई के बाद प्रबंधन सहायता प्रदान करती हैं. जो जैविक उत्पादों की लागत को कम करने में मदद करती है.

इतनी मिलेगी सब्सिडी: परम्परागत कृषि विकास योजना के तहत केंद्र, 3 साल के लिए 50000 रुपये प्रति हेक्टेयर की वित्तीय सहायता प्रदान करता है. जिसमें से 31000 रुपये प्रति हेक्टेयर 3 साल के लिए सीधे किसानों को डीबीटी के माध्यम से ऑन-फार्म और और जैविक इनपुट के लिए प्रदान किया जाता है. सरकार मूल्यवर्धन और बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए 3 साल के लिए 1000 हेक्टेयर के प्रति क्लस्टर 20 लाख रुपये की वित्तीय सहायता भी प्रदान करती है.

पूर्वोत्तर के लिए मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट: इस योजना का उद्देश्य उत्पादकों को उपभोक्ताओं से जोड़ने के लिए एक मूल्य श्रृंखला मोड में प्रमाणित जैविक उत्पादन का विकास करना है. साथ ही बीज, प्रमाणीकरण से लेकर संग्रह, एकत्रीकरण, प्रसंस्करण विपणन और सुविधाओं के निर्माण के लिए संपूर्ण मूल्य श्रृंखला के विकास का समर्थन करना है. मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट फॉर नॉर्थ ईस्टर्न रीजन (MOVCDNER) के तहत एफपीओ के निर्माण के लिए 3 साल के लिए प्रति हेक्टेयर 46575 रुपये की सहायता प्रदान की जाती है. किसानों को जैविक इनपुट, गुणवत्ता वाले बीज/रोपण सामग्री और प्रशिक्षण, हैंड होल्डिंग और प्रमाणन के लिए भी सहायता प्रदान की जाती है.

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केंद्र फसल कटाई के बाद के बुनियादी ढांचे और एकीकृत प्रसंस्करण इकाई के लिए 600 लाख रुपये की अधिकतम सीमा तक एकीकृत पैकेजिंग हाउस के लिए 37.50 लाख रुपये तक आवश्यकता आधारित सहायता भी प्रदान करता है. प्रत्येक रेफ्रिजेरेटेड वाहन और कोल्ड स्टोर घटकों के लिए 18.75 लाख रुपये और संग्रह, एकत्रीकरण, ग्रेडिंग, कस्टम हायरिंग सेंटर के लिए 10.0 लाख रुपये प्रदान किया जाता है. परिवहन के लिए चार पहिया वाहन खरीदने के लिए 6 लाख रुपये की सहायता भी प्राप्त कर सकते हैं. इस योजना के लिए सरकार ने 400 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं.

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