वाराणसी: ज्ञानवापी को लेकर लंबे समय से हिंदू और मुस्लिम पक्ष आमने सामने है. हिंदू पक्ष के मुताबिक साल 1669 में मुगल शासक औरंगजेब ने मन्दिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण कराया, तो सवाल यही है की टूटने के पहले महादेव के मंदिर का स्वरूप कैसा होगा? मंदिर की भव्यता कितनी सुंदर होगी ? इसे लेकर हिंदू पक्ष की ओर से इस प्राचीन मंदिर का मॉडल बनवाया गया है. माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में हिंदू पक्ष इसी मॉडल के साथ एक जनजागरण करेगी और इसी के तर्ज पर मंदिर का निर्माण भविष्य में होगा.
दरअसल, ज्ञानवापी परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी मंदिर को लेकर मामला एक बार फिर से गरमाने जा रहा है. पिछले साल 16 मई 2022 को ही ज्ञानवापी के वजुखाने में एक शिवलिंगनुमा आकृति मिली थी. जिसके एएसआई सर्वे के आदेश हाईकोर्ट की तरफ से पिछले दिनों दिए गए हैं. इस मामले में अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन और वादी महिला लक्ष्मी देवी की तरफ से सिर्फ उस पत्थर की नहीं बल्कि पूरे ज्ञानवापी परिसर का एएसआई सर्वे कराए जाने की मांग भी कोर्ट से की गई है. जिस पर 22 मई को ही सुनवाई होनी है. इसी दिन जिला न्यायालय निर्धारित करेगा कि वाराणसी में एसआई सर्वे किस रूप में और कब होना है.
कोर्ट में सुनवाई से पहले पहले हिंदू पक्ष की तरफ से एक ऐसे मंदिर का मॉडल तैयार करवा कर सामने लाया गया है. जिसे 1669 के पहले के आदि विशेश्वर मंदिर के रूप में बताया जा रहा है. मंदिर के शिखर पर त्रिशूल और ओम की आकृति भी स्पष्ट तौर पर दिखाई दे रही है. यह मंदिर का मॉडल हिंदू पक्ष के वादी महिलाओं और सुप्रीम कोर्ट के सीनियर लॉयर विष्णु शंकर जैन ने साथ मिलकर तैयार करवाया है. जिसमें इतिहासकार आरपी सिंह का भी महत्वपूर्ण योगदान है. आरपी सिंह के पास ज्ञानवापी से जुड़ी तमाम पुरानी तस्वीरें व अन्य चीजें भी मौजूद हैं. प्रस्तावित मॉडल में मंदिर की लम्बाई और चौड़ाई 128 और ऊंचाई 128 फीट है. इसमें आठ छोटे शिखर और बीच में एक बड़ा शिखर बनाया गया है. मंदिर से तहखाने की दूरी सात फीट है.
बता दें कि हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर में मिले सिर्फ शिवलिंग नुमा आकृति की ASI सर्वे की इजाजत दी है. जबकि हिंदू पक्ष अब संपूर्ण परिसर के सर्वे की मांग कर रहा है. हिंदू पक्ष एक तरफ अदालती लड़ाई लड़ रहा है तो दूसरी ओर उसने मंदिर निर्माण की तैयारी भी तेज कर दी है.