धर्मशाला: हिमाचल प्रदेश के शिक्षण संस्थानों में लगातार रैगिंग के मामले सामने आ रहे हैं. पहले आईआईटी मंडी, फिर मेडिकल कॉलेज नेरचौक में रैगिंग के मामले सामने आए. वहीं, अब प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े अस्पताल डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज टांडा से रैगिंग का नया मामला सामने आया है. कॉलेज प्रशासन ने एक्शन लेते हुए मामले की जांच करवाई.
12 स्टूडेंट्स सस्पेंड: जांच पूरी होने के बाद कॉलेज प्रशासन ने 12 आरोपी सीनियर छात्रों को सस्पेंड कर दिया है. जानकारी के मुताबिक इन 12 आरोपी छात्रों को कॉलेज से 3 महीने के लिए और हॉस्टल से 6 महीने के लिए सस्पेंड कर दिया गया है. इसके अलावा इन स्टूडेंट्स पर 50-50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है. टांडा मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. भानु अवस्थी ने बताया कि उनकी फ्लाइंग स्क्वायड हॉस्टल में रह रहे छात्रों की रूटीन चेकिंग करती है. इन 12 छात्रों पर आरोप है कि इन सीनियर्स ने जूनियर छात्रों के साथ रैगिंग की और उन्हें लगातार टॉर्चर भी कर रहे थे.
कैसे सामने आया मामला: डॉ. भानु अवस्थी ने बताया कि जब फ्लाइंग स्क्वायड ने हॉस्टल की चेकिंग की तो वहां जूनियर छात्रों के पास सीनियर छात्रों की कॉपियां पाई गई. फ्लाइंग स्क्वायड ने इसे गंभीरता से लिया और अपने स्तर पर पूरी जांच-पड़ताल की. रिपोर्ट आने के बाद सारा मामला एंटी रैगिंग कमेटी के पास भेज दिया गया. सोमवार को इसकी पहली रिपोर्ट आई तो 6 सीनियर छात्रों पर कार्रवाई की गई. उनके माता-पिता को भी कॉलेज में बुलाया गया. बुधवार को दूसरी रिपोर्ट आने के बाद 6 छात्र और दोषी पाए गए. इसके बाद कॉलेज प्रबंधन ने सभी 12 सीनियर स्टूडेंट्स को सस्पेंड कर दिया है.
इन संस्थानों में भी सामने आ चुके हैं रैगिंग के मामले: गौरतलब है कि बीते कुछ समय पहले नेरचौक मेडिकल कालेज में भी रैगिंग का मामला सामने आया था. इस पर कॉलेज प्रबंधन ने कड़ा संज्ञान लेते हुए 4 आरोपी छात्रों और 2 छात्राओं को सस्पेंड कर दिया था. वहीं, इससे पहले आईआईटी मंडी में भी जूनियर स्टूडेंट्स के साथ रैगिंग का मामला सामने आया था. जिसमें 72 सीनियर स्टूडेंट्स के खिलाफ कार्रवाई की गई थी. इसके अलावा 10 सीनियर्स को 6 महीने के लिए सस्पेंड कर दिया गया था. जबकि कुछ सीनियर छात्रों पर जुर्माना लगाया गया था.
पहले भी टांडा में सामने आया था रैगिंग का मामला: जानकारी के मुताबिक, टांडा मेडिकल कॉलेज में पहले भी रैगिंग का मामला सामने आ चुका है. साल 2009 में रैगिंग के चलते एक ट्रेनी डॉक्टर ने आत्महत्या कर ली थी. जिसके चलते टांडा मेडिकल कॉलेज में रैगिंग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन अब एक बार फिर से टांडा मेडिकल कॉलेज में रैगिंग का मामला सामने आया है. जिस पर अब कॉलेज प्रशासन सतर्क हो गया है.
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