नई दिल्लीः यमन में केरल की नर्स निमिषा प्रिया को हत्या के एक मामले में दी गई मौत की सजा मामले में केंद्र सरकार को कोई भी निर्देश देने से दिल्ली हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया है. कार्यकारी चीफ जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि हम केंद्र सरकार को मृतक के परिवार से बातचीत करने का निर्देश नहीं दे सकते हैं. निमिषा प्रिया को यमन की अदालत ने स्थानीय नागरिक की हत्या मामले में मौत की सजा सुनाई है.
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल ने याचिका दायर कर मांग की थी कि इस मामले में भारत सरकार हस्तक्षेप करे. डिवीजन बेंच ने याचिकाकर्ता से कहा कि आप जाकर मृतकों के परिजनों से बातचीत कर समझौता करें. अगर समझौता हो जाता है तो इस संबंध में आप कोर्ट आइए.
याचिका में मांग की गई थी कि केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि वो यमन के मृतक नागरिक को परिजनों से समझौते के लिए राजनयिक हस्तक्षेप करे. याचिका में मांग की गई थी कि निमिषा प्रिया की जान बचाने के लिए भारत में जो धन एकत्र किए गए हैं उस धन को यमन के मृतक परिवार के खाते में ट्रांसफर करने की व्यवस्था भारत सरकार राजनयिक स्तर से करे.
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से वकील अनुराग अहलूवालिया ने कहा कि केंद्र सरकार निमिषा प्रिया की हरसंभव मदद कर रही है. लेकिन भारत सरकार समझौते में हिस्सा नहीं ले सकती है. बता दें कि सात मार्च को यमन की अदालत ने निमिषा प्रिया की अपील को खारिज कर दिया था. निमिषा प्रिया पर 2017 में यमन के नागरिक तलल आब्दो माहदी की हत्या का आरोप है. आरोप के अनुसार उसने माहदी को नशीला पदार्थ पिलाया जिसके ओवरडोज से उसकी मौत हो गई थी.
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निमिषा एक प्रशिक्षित नर्स है. उसने 2014 में यमन की राजधाना सना में अपना क्लीनिक शुरू करने के लिए माहदी से मदद ली. यमन के कानून के मुताबिक केवल उसके नागरिकों को ही क्लीनिक और व्यावसायिक फर्म स्थापित करने की अनुमति है. बाद में दोनों के संबंध बिगड़ गए और महादी उसे प्रताड़ित करने लगा. महादी ने निमिषा का पासपोर्ट अपने कब्जे में ले लिया. निमिषा उसके चंगुल से बचने के लिए एक यमनी नर्स के साथ साजिश कर नशीला इंजेक्शन दे दिया जिसके ओवरडोज से उसकी मौत हो गई.