अमृतसर : श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने श्री हरमंदिर साहिब के अंदर हारमोनियम का प्रयोग बंद करने का आदेश दिया है. उल्लेखनीय है कि जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह के आदेश के बाद शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने भी इन आदेशों को लागू करने का निर्णय लिया है. श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने इन आदेशों के संबंध में कहा है कि हारमोनियम गुरु साहिबों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला उपकरण नहीं है, बल्कि भारत में अंग्रेजों द्वारा लाया गया एक उपकरण है. इसे ब्रिटिश शासन के दौरान भारत लाया गया था. इस फैसले पर एसजीपीसी के अध्यक्ष एचएस धामी ने भी सहमति जताई है.
हारोमिनियम का प्रयोग धीरे-धीरे बंद हो जाएगा : श्री हरमंदिर साहिब में हारोमिनियम का प्रयोग आदेश के तुरंत बाद बंद नहीं किया जाएगा. इसे धीरे-धीरे हटाया जाएगा. श्री हरमंदिर साहिब में कीर्तन समूह धीरे-धीरे इसका इस्तेमाल बंद कर देंगे. ताकि स्वर्ण मंदिर में आने वाले भक्तों को भी इसकी आदत हो जाए. आदेशानुसार श्री हरमंदिर साहिब में कीर्तन के दौरान पारंपरिक वाद्ययंत्रों का प्रयोग किया जाएगा. ऐसा माना जाता है कि हारमोनियम का इस्तेमाल सबसे पहले 1901 में श्री हरमंदिर साहिब में किया गया था. अब करीब 122 साल बाद हारमोनियम के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है और 125 साल बाद इसे पूरी तरह बंद कर दिया जाएगा.
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ऐसे होगा जत्था कीर्तन: श्री हरमंदिर साहिब के अंदर कीर्तन के दौरान हारमोनियम को बंद करने के साथ ही पारंपरिक वाद्ययंत्रों के साथ कीर्तन करने के आदेश जारी किए गए हैं. बता दें कि श्री हरमंदिर साहिब में 15 जत्थे हैं. जो श्री हरमंदिर साहिब में 20 घंटे तक कीर्तन करते हैं. 5 ऐसे जत्थे भी हैं जो हारमोनियम की जगह रबाब और सारंडा से कीर्तन करते हैं. जिससे दूसरों की ट्रेनिंग भी शुरू हो गई है. प्रशिक्षण के बाद आने वाले समय में सभी जत्थे बिना हारमोनियम के कीर्तन करने के लिए तैयार हो जाएंगे.
अकाल तख्त क्या है?: अकाल तख्त सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था है. अकाल तख्त साहिब का मतलब है अनंत सिंहासन. इस तख़्त गुरुद्वारे की स्थापना अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में हुई थी. ये अमृतसर के स्वर्ण मंदिर परिसर का एक हिस्सा है. इसकी नींव सिखों के छठवें गुरु, श्री गुरु हरगोविंद साहिब द्वारा 1609 में रखी गई थी. अकाल तख्त 5 तख्तों में सबसे पहला और पुराना है.