वाराणसी: ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में आज जिला जज न्यायालय में 2 घंटे तक रूल 7/11 पर लगातार बहस जारी रही. मुस्लिम पक्ष के वकील अभयनाथ यादव ने अपना पक्ष कोर्ट के सामने रखा. दोनों पक्षों की तरफ से आज सिर्फ मुस्लिम पक्ष को बोलने का मौका दिया गया. कोर्ट में आज कार्यवाही अधूरी होने के बाद जज एके विश्वेष ने इसी याचिका पर सुनवाई के लिए 30 मई की तिथि मुकर्रर की है.
दरअसल, कोर्ट ने मंगलवार को ही साफ कर दिया था कि गुरुवार 26 मई से सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक मुस्लिम पक्ष की तरफ से मुकदमे की पोषणीयता (Maintainable) पर बहस शुरू होगी. इसी आधार पर कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को पहले अपना अपक्ष रखने का मौका दिया. जिस पर मुस्लिम पक्ष के वकील अभयनाथ यादव ने हिंदू पक्ष की तरफ से दाखिल वाद पत्र की कॉपी की एक-एक लाइन पढ़ते हुए और पूरे मामले को 1991 के प्लेसेस ऑफ़ वरशिप एक्ट का उल्लंघन बताते हुए दायर वाद को ही खारिज करने की बता दोहराई. हालांकि बाद में मामले में मुस्लिम पक्ष की दलील पूरी न हो पाने के कारण मामले को कोर्ट ने रूल 7/11 पर ही सुनने के लिए सोमवार यानी, 30 मई दोपहर 2 बजे की वक्त मुकर्रर किया है.
बता दें, 30 मई को जिला जज न्यायालय में इस मामले पर बहस आगे बढ़ने के अलावा सिविल जज सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट महेंद्र नाथ पांडेय की अदालत में भी विश्व वैदिक सनातन संघ की याचिका पर सुनवाई होगी. विश्व वैदिक सनातन संघ ने महामंत्री किरण सिंह की तरफ से सिविल जज सीनियर डिविजन रविकर दिवाकर के यहां ज्ञानवापी पर हिंदू परिषद का अधिकार देने, शिवलिंग की नियमित पूजा करने और मुस्लिम पक्ष के प्रवेश को वहां रोकने की मांग करते हुए एक याचिका दायर की गई थी. जिसे कोर्ट ने अगले ही दिन फास्ट ट्रैक कोर्ट को स्थानांतरित कर दिया है. 30 मई को इस मामले पर भी फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई होगी.
जिला जज की अदालत में तीन और आवेदनों पर भी फैसला किया जाना है. इसमें वादी पक्ष की ओर से वजूखाने में मिले शिवलिंग के नीचे की जगह को तोड़कर कमीशन की कार्यवाही, जिला शासकीय अधिवक्ता के वजूखाने के तालाब में मछलियों को संरक्षित किए जाने की मांग और काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत कुलपति तिवारी के भोग, राग, शृंगार और पूजा पाठ के अधिकार के लिए पक्षकार बनने के आवेदन पर फैसला होगा.
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