नई दिल्ली : खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों की राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति (Minister of State for Food and Consumer Affairs Sadhvi Niranjan Jyoti) ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी कि वैश्विक भूख सूचकांक भारत की वास्तविक स्थिति नहीं दर्शाता, यह भूख मापने का गलत पैमाना है.
उन्होंने कहा कि कंसर्न वर्ल्डवाइड एवं वेलथंगरहिल्फ द्वारा प्रस्तुत वैश्विक भूख सूचकांक 2021 (Global Hunger Index 2021) में भारत की रैकिंग 101 है. उन्होंने कहा कि नेपाल और बांग्लादेश की रैंक 76 और पाकिस्तान की रैंक 92 है. उन्होंने कहा कि वैश्विक भूख सूचकांक (Global Hunger Index 2021) रिपोर्ट के अनुसार भारत का समेकित सूचकांक साल 2000 में 38.8 था जो सुधर कर 2021 में 27.5 हो गया है.
इस प्रकार पिछले कुछ वर्षों से देश में लगातार सुधार दिख रहा है. उन्होंने कहा कि वैश्विक भूख सूचकांक की गणना चार संकेतकों- कुपोषण, बच्चों का बौनापन, बच्चों में अवरूद्ध विकास और शिशु मृत्यु दर के आधार पर की जाती है.
मंत्री ने कहा कि वैश्विक भूख सूचकांक (Global Hunger Index) भारत की वास्तविक स्थिति नहीं चित्रित करता क्योंकि यह भूख मापने का गलत पैमाना है. उन्होंने कहा कि केवल एक संकेतक यानी में बच्चों में कुपोषण ही भूखमरी से सीधे संबंधित है. उन्होंने कहा कि शायद ही ऐसे कोई साक्ष्य हैं जिससे यह पता चलता हो कि चौथा संकेतक यानी शिशु मृत्यु दर भूखमरी का नतीजा है.
साध्वी ने जोर दिया कि सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (National Food Security Law 2013) लागू किया है जो ग्रामीण आबादी में 75 प्रतिशत तक और शहरी आबादी में 50 प्रतिशत तक कवरेज प्रदान करता है. इस प्रकार जनसंख्या का 67 प्रतिशत हिस्से की भूख का निराकरण करता है.
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उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत खाद्य सुरक्षा कानून के दायरे में आने वाले लाभार्थियों को प्रति व्यक्ति प्रति माह अतिरिक्त पांच किलोग्राम खाद्यान्न निशुल्क दिया जाता है और इस योजना को चार महीने यानी दिसंबर 2021 से मार्च 2022 तक के लिए बढ़ा दिया गया है.
(पीटीआई-भाषा)