नई दिल्ली : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) कोच्चि नगर निगम के खिलाफ एक सख्त कार्रवाई की है. एनजीटी ने कोच्चि कॉर्पोरेशन के खिलाफ 100 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया. यह जुर्माना पर्यावरण नियमों की उपेक्षा कर कोच्चि में एक कचरा डंप साइट पर आग लगाने के लिए लगाया गया है. ट्रिब्यूनल ने कहा कि, एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कोच्चि शहर 2 मार्च, 2023 को कचरे के डंप साइट पर आग लगने के कारण बंद हो गया था.
ट्रिब्यूनल ने कहा कि कोच्ची कॉर्पोरेशन के इस लापरवाही वाले रवैये से संकट की स्थिति पैदा हो गई थी. निवासियों को घर के अंदर रहने की चेतावनी जारी की गई थी. अस्पतालों को गंभीर वायु प्रदूषण और इससे होने वाले गंभीर बीमारियों की इलाज के लिए आपातकालीन तैयारी करने के लिए कहा गया था. आदेश में कहा गया है कि कोच्चि नगर निगम लंबे समय से अपने कर्तव्यों की उपेक्षा कर रहा है. निरंतर उपेक्षा को ध्यान में रखते हुए हम कोच्चि नगर निगम के खिलाफ एनजीटी अधिनियम की धारा 15 के तहत मुआवजा देने का आदेश देते हैं.
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इस मामले की सुनवाई एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल कर रहे थे. उन्होंने कहा कि पीड़ितों के उपचार के लिए एक महीने के भीतर मुख्य सचिव, केरल के पास 100 करोड़ रुपये जमा करें. ट्रिब्यूनल ने कहा कि केरल सरकार ने कहा है कि डंप साइट 100 एकड़ भूमि में फैली हुई है. प्रसंस्करण संयंत्र में प्रति दिन 300 टन अपशिष्ट प्रसंस्करण की क्षमता है. कचरे को संसाधित करने का ठेका एक ठेकेदार को दिया गया है लेकिन केवल 33 प्रतिशत काम ही पूरा हो पाया है.
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केरल सरकार ने कहा है कि साइट पर पहले कई बड़ी और छोटी आग लग चुकी हैं. सरकार ने बताया कि 2 मार्च शाम 5:30 बजे आग लगी. दमकल विभाग ने आग पर काबू पाने की कोशिश किये. कचरे के ढेर पर लगी आग को बुझाने के लिए नौसेना के हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल पानी बुझाने के लिए किया गया. आग पर 5 मार्च को काबू पा लिया गया था. 4 मार्च 2023 को आम जनता को मास्क का उपयोग करने और घर के अंदर रहने के लिए स्वास्थ्य परामर्श जारी किया गया था.
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ट्रिब्यूनल ने कहा कि यह स्पष्ट है कि अपशिष्ट प्रबंधन के मामले की लंबे समय से उपेक्षा की जा रही है. जिससे पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंच रहा है. आदेश में कहा गया कि सार्वजनिक स्वास्थ्य को नुकसान और कानून के शासन की ऐसी घोर विफलता के लिए किसी ने नैतिक जिम्मेदारी नहीं ली. आदेश में कहा गया कि राज्य के अधिकारियों का ऐसा रवैया कानून के शासन के लिए खतरा है.