नई दिल्ली : मेघालय के गवर्नर सत्यपाल मलिक ने ईटीवी भारत से एक खास बातचीत में कहा कि उन्होंने तय कर लिया था कि वे किसानों की हिमायत कभी नहीं छोड़ेंगे, बेशक उन्हें गवर्नर पद से हटना पड़े. ईटीवी भारत के नेशनल ब्यूरो चीफ राकेश त्रिपाठी के साथ एक इंटरव्यू में किसानों से जुड़े तीनों बिल वापस लेने के प्रधानमंत्री के फैसले पर सत्यपाल मलिक ने कहा सरकार के इस फैसले का लोगों के बीच बहुत अच्छा असर पड़ेगा.
सवाल- प्रधानमंत्री मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला लिया है. क्या प्रतिक्रिया है आपकी ?
जवाब- मैं तो उनको धन्यवाद करता हूं और बधाई देता हूं कि उन्होंने बहुत सही कदम उठाया है. मैं किसानों को भी बधाई देता हूं कि उन्होंने इतना लम्बा संघर्ष बिना किसी हिंसा के चलाया.
सवाल- आपने कृषि कानूनों को बड़ी बारीकी से समझा है. हम चाहेंगे कि हमारे पाठकों को भी आप समझाएं कि कैसे ये कानून देश के किसान के लिए ठीक नहीं थे.
जवाब- देखिए सारा इशू होता है परसेप्शन का. ये जो भाड़े पर खेती का सवाल लाए और बहुत सारी चीजें लाए. किसानों को ये हो गया कि ये हमारी ज़मीन हथियाएंगे और बड़े कॉरपोरेट्स को दे देंगे. तो क्रेडिबिलिटी का नुकसान तो था. इस वजह से किसान इससे डरे हुए थे.
सवाल- क्या इस ऐलान से कई सारी पुरानी मांगें भी नहीं दोहराई जाएंगी, जैसे अनुच्छेद 370 फिर से वापस लाने की और सीएए पूरी तरह वापस लेने की ?
जवाब- क्यों नहीं. भई जनता का अधिकार है रोल बैक करने के लिए मांग करें. जिसकी जायज़ होगी उसकी मान ली जाएगी. ऐसी कोई पत्थर की लकीर तो होती नहीं है कि कानून बन गया तो कभी वापस नहीं होगा. अंग्रेज़ों तक ने वापस लिए हैं. धारा 370 तो सही ख़त्म हुआ. सीएए की मुझे ज़्यादा जानकारी नहीं है. वह मुद्दा मेरा नहीं है, उस पर मैं नहीं बोलना चाहता.
सवाल- आप एक संवैधानिक पद पर हैं और आम तौर पर गवर्नर कभी कुछ बोलते नहीं, या बोलते भी हैं तो बड़े सीमित दायरे में रह कर बोलते हैं. लेकिन आपने बड़ी बेबाकी से अपनी राय रखी. क्या आपको कभी लगा कि आप ऐसे बोलेंगे तो केंद्र से प्रतिक्रिया आएगी ?
जवाब- नहीं , मैं तो तैयार था छोड़ने के लिए. केंद्र मुझे बोलता कि आपके बोलने से नुकसान हो रहा है या आप ग़लत कर रहे हैं, तो मैं छोड़ देता. मैं गवर्नर का पद छोड़ने को तैयार था, लेकिन किसानों की हिमायत छोड़ने को तैयार नहीं था.
सवाल- क्या कभी आपने अपनी बात सीधे प्रधानमंत्री से या अमित शाह के सामने रखी ?
जवाब -जी, मैंने दोनों से बात की. उनको बताया अपना नज़रिया. उसमें मतभेद था उनके और मेरे बीच. तो मैं अपनी बात पर डटा रहा, क्योंकि मैंने चौधरी चरण सिंह जी के साथ राजनीति में हिस्सा लिया है और वे कहते थे कि अपने वर्गों के सवाल पर कभी समझौता मत करो.
सवाल- आप ने खुल कर कहा था कि सरकार को अगले चुनावों में किसान बिल का नुकसान देखना पड़ेगा, अब जब वापस ले लिया गया है ये बिल, क्या मोदी जी उस नुकसान से बच जाएंगे ?
जवाब- इस पर मेरा कमेंट करना ठीक नहीं है. लेकिन इसका एक सूदिंग इफेक्ट होगा, अच्छा असर होगा.
सवाल- लोगों की एक राय ये भी सुनी गई कि मोदी उन्हें पसंद ही इसलिए हैं कि वे झुकते नहीं.
जवाब- देखिए दुनिया में बड़े से बड़े आदमी को फ्लेक्सिबल होना चाहिए. ये कोई शान की बात नहीं है कि झुकते नहीं. अपने लोगों के लिए झुकने में क्या दिक्कत है. उन्हीं के किसान हैं, विदेश के तो नहीं हैं. वियतनाम की बड़ी लड़ाई चल रही थी, बमबारी हो रही थी, तब भी पेरिस में बातचीत चल रही थी. तो लड़ाई, बातचीत सब साथ-साथ होती हैं. तो ये कोई ऐसी बात नहीं है. नरेंद्र मोदी जी का कोई अपमान नहीं हुआ , न होगा. ग़लत कह रहे हैं लोग. ये वो लोग हैं जो सवालों के हल नहीं खोजने देना चाहते हैं.
सवाल- वो कौन लोग हैं, जो नहीं चाहते थे कि ये किसान बिल वापस हो ?
जवाब- मैं इस पर कमेंट नहीं करना चाहता. बहुत से लोग इसमें इन्वॉल्वड हैं. ब्यूरोक्रेसी के भी हैं, पार्टियों के भी हैं, बहुत सारे लोग हैं.
सवाल- आप कश्मीर के गवर्नर भी रहे हैं, कैसा अनुभव रहा है आपका ?
जवाब- इस पर मैं कुछ नहीं बोलूंगा, कभी किताब लिखूंगा.
सवाल- मैंने ऐसा इसलिए पूछा कि अभी कश्मीर में बहुत हिंसक घटनाएं हाल ही में हुई हैं.
जवाब- मैं इस पर कुछ नहीं कहना चाहता. मेरे ज़माने में तो जब 370 हटी थी, तो एक राउंड फायर हमको नहीं करना पड़ा था.
सवाल- आपके इस बेबाक रवैये पर कभी प्रधानमंत्री ने आपसे कुछ कहा ?
जवाब- वो हमारे दोनों के बीच की बात है, वो मैं आपसे कैसे शेयर करूंगा.