कोलकाता : तलब किए जाने के बावजूद दो बार पेश होने में विफल रहे पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव एच के द्विवेदी को राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने पत्र लिखकर इस बारे में सात दिन के भीतर जवाब देने को कहा है कि कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी नेता विपक्ष शुभेन्दु अधिकारी को एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए झारग्राम जाने से क्यों रोका गया. उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि नेता विपक्ष के आवागमन पर कोई प्रतिबंध नहीं होना चाहिए.
धनखड़ ने मुख्य सचिव को 18 जनवरी को लिखे दो पन्नों के अपने पत्र में कड़े शब्दों में कहा है कि इस मामले में जवाब देने के लिए उन्हें यह आखिरी मौका दिया जा रहा है और अगर वह इस बार भी उनके सामने पेश नहीं होते हैं तो आने वाले समय में इसके गंभीर परिणाम होंगे. राज्यपाल ने कहा कि मुख्य सचिव को मामले में अपने कार्य के बारे में भी पूरी जानकारी देनी होगी.
पत्र में कहा गया है, 'घटनाओं का क्रम इस बात में कोई संदेह नहीं छोड़ता है कि मुख्य सचिव के स्तर पर यह कर्तव्य की अवहेलना का चरम है. वास्तव में यह रुख आदत बन गया है....' राज्यपाल ने लिखा, 'मुख्य सचिव को उपरोक्त मामले के संबंध में अपना व्यापक उत्तर प्रदान करने का अंतिम अवसर दिया जाता है, किसी भी स्थिति में इस संचार की प्राप्ति से सात दिनों के भीतर ... ऐसा नहीं होने पर यह मान लिया जाएगा कि वह इस कार्यालय के वैध निर्देशों की पूर्ण अवहेलना कर रहे हैं और उनके कार्य अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम, 1968 का उल्लंघन हैं, जिसके आने वाले समय में गंभीर परिणाम होंगे.'
धनखड़ ने आठ जनवरी को मुख्य सचिव एच के द्विवेदी और राज्य के पुलिस महानिदेशक मनोज मालवीय को एक दिन पहले की उस कथित घटना पर जानकारी देने के लिए तलब किया था, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता शुभेन्दु अधिकारी को झारग्राम जिले के नेताई में एक कार्यक्रम में शामिल होने से रोका गया था.
राज्यपाल ने यह कदम नेता विपक्ष द्वारा राजभवन में की गई शिकायत के बाद उठाया था. धनखड़ ने दोनों अधिकारियों से एक लिखित रिपोर्ट भी मांगी थी. दोनों अधिकारी 10 जनवरी को राज्यपाल से मिलने नहीं पहुंचे थे. ये अधिकारी 12 जनवरी को भी पेश नहीं हुए थे और न ही अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) तथा न ही पुलिस महानिदेशक की ओर से कोई पुलिस अधिकारी जानकारी देने के लिए धनखड़ के सामने पेश हुआ था.
शुभेन्दु अधिकारी ने दावा किया था कि कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद पुलिस ने उन्हें झारग्राम के नेताई जाने से रोक दिया था. नेता विपक्ष भीमपुर गए थे जहां उन्हें उन नौ लोगों को श्रद्धांजलि देनी थी, जो सात जनवरी 2011 को तत्कालीन वाम मोर्चा शासन के दौरान एक कथित माकपा कार्यकर्ता के घर से हुई गोलीबारी में मारे गए थे.
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