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जनसंख्या में बड़ी भागीदारी के बाद भी मुसलमानों को उचित हिस्सा नहीं मिल रहा: पवार

एनसीपी चीफ शरद पवार ने कहा कि मुस्लिम समुदाय की देश की जनसंख्या में बड़ी भागीदारी है, बावजूद इसके उन्हें उचित हिस्सा नहीं मिल रहा है. वह विदर्भ मुस्लिम इंटेलेक्चुअल्स फोरम की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे.

ncp chief pawar
एनसीपी चीफ शरद पवार
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Published : Oct 9, 2022, 3:41 PM IST

नागपुर : राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार (NCP President Sharad Pawar) ने शनिवार को कहा कि मुस्लिम समुदाय के लोग महसूस कर रहे हैं कि इस देश की जनसंख्या में एक बड़ी भागीदारी होने के बावजूद उन्हें उनका उचित हिस्सा नहीं मिल रहा है.

सुनिए पवार ने क्या कहा

विदर्भ मुस्लिम इंटेलेक्चुअल्स फोरम (Vidarbha Muslim Intellectuals Forum) की ओर से यहां आयोजित 'भारतीय मुसलमानों के सामने मुद्दे' विषयक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पवार ने ऊर्दू की तरफदारी की लेकिन राज्यों की 'मुख्य भाषा' की अहमियत पर भी जोर दिया. उन्होंने इस संदर्भ में केरल की स्थिति का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा, 'मुस्लिम समुदाय के सदस्यों के बीच यह भावना है कि देश की जनसंख्या में बड़ी भागीदारी होने के बावजूद उन्हें उनका उचित हिस्सा नहीं मिल रहा है, जो वाकई एक सच्चाई है और इस विषय पर चर्चा होनी चाहिए कि कैसे उन्हें उनका उचित हिस्सा मिल पाए.'

पवार ने कहा कि कला के क्षेत्र में अल्पसंख्यकों का योगदान महत्वपूर्ण है. इसके पीछे उर्दू भाषा का योगदान अहम है. बॉलीवुड में आज देखा जाए तो मुसलमानों के योगदान को नकारा नहीं जा सकता है.'

सरकारी भर्ती परीक्षाओं में ऊर्दू के उपयोग की मांग संबंधी एक पूर्व वक्ता के बयान पर पवार ने इस भाषा की तारीफ की और कहा कि कई लोग पीढ़ियों से इससे जुड़े हैं. उन्होंने कहा, 'हमें ऊर्दू विद्यालय एवं शिक्षा पर विचार करना चाहिए, लेकिन ऊर्दू के साथ ही, हमें राज्य की मुख्य भाषा पर विचार करना है.'

उन्होंने कहा कि केरल में अल्पसंख्यकों की एक बड़ी आबादी है और व्यक्ति को इस बात के लिए अध्ययन करने की जरूरत है कि सर्वाधिक साक्षरता दर वाले इस राज्य में कैसे अल्पसंख्यक मुख्य भाषा को साथ दे रहे हैं और उन्हें इससे क्या फायदे मिल रहे हैं.

पवार ने कहा कि देश में बेरोजगारी सभी समुदायों में एक मुद्दा है, लेकिन इस मोर्चे पर अल्पसंख्यकों की शिकायत वाकई असली है और उसपर गौर करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय ऊर्दू के माध्यम से कला, काव्य एवं लेखन में बड़ा योगदान कर सकता है क्योंकि उनके सदस्यों में 'गुणवत्ता एवं दक्षता' है लेकिन उन्हें 'सहयोग और समान अवसर' की जरूरत है. पवार ने कहा कि राकांपा ने हमेशा अल्पसंख्यकों को समुचित प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की है और फिलहाल उसके आठ सांसदों में दो मुसलमान हैं.

पढ़ें- आरएसएस प्रमुख भागवत के मस्जिद और मदरसे दौरे पर मुस्लिम समाज में बंटी राय

नागपुर : राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार (NCP President Sharad Pawar) ने शनिवार को कहा कि मुस्लिम समुदाय के लोग महसूस कर रहे हैं कि इस देश की जनसंख्या में एक बड़ी भागीदारी होने के बावजूद उन्हें उनका उचित हिस्सा नहीं मिल रहा है.

सुनिए पवार ने क्या कहा

विदर्भ मुस्लिम इंटेलेक्चुअल्स फोरम (Vidarbha Muslim Intellectuals Forum) की ओर से यहां आयोजित 'भारतीय मुसलमानों के सामने मुद्दे' विषयक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पवार ने ऊर्दू की तरफदारी की लेकिन राज्यों की 'मुख्य भाषा' की अहमियत पर भी जोर दिया. उन्होंने इस संदर्भ में केरल की स्थिति का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा, 'मुस्लिम समुदाय के सदस्यों के बीच यह भावना है कि देश की जनसंख्या में बड़ी भागीदारी होने के बावजूद उन्हें उनका उचित हिस्सा नहीं मिल रहा है, जो वाकई एक सच्चाई है और इस विषय पर चर्चा होनी चाहिए कि कैसे उन्हें उनका उचित हिस्सा मिल पाए.'

पवार ने कहा कि कला के क्षेत्र में अल्पसंख्यकों का योगदान महत्वपूर्ण है. इसके पीछे उर्दू भाषा का योगदान अहम है. बॉलीवुड में आज देखा जाए तो मुसलमानों के योगदान को नकारा नहीं जा सकता है.'

सरकारी भर्ती परीक्षाओं में ऊर्दू के उपयोग की मांग संबंधी एक पूर्व वक्ता के बयान पर पवार ने इस भाषा की तारीफ की और कहा कि कई लोग पीढ़ियों से इससे जुड़े हैं. उन्होंने कहा, 'हमें ऊर्दू विद्यालय एवं शिक्षा पर विचार करना चाहिए, लेकिन ऊर्दू के साथ ही, हमें राज्य की मुख्य भाषा पर विचार करना है.'

उन्होंने कहा कि केरल में अल्पसंख्यकों की एक बड़ी आबादी है और व्यक्ति को इस बात के लिए अध्ययन करने की जरूरत है कि सर्वाधिक साक्षरता दर वाले इस राज्य में कैसे अल्पसंख्यक मुख्य भाषा को साथ दे रहे हैं और उन्हें इससे क्या फायदे मिल रहे हैं.

पवार ने कहा कि देश में बेरोजगारी सभी समुदायों में एक मुद्दा है, लेकिन इस मोर्चे पर अल्पसंख्यकों की शिकायत वाकई असली है और उसपर गौर करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय ऊर्दू के माध्यम से कला, काव्य एवं लेखन में बड़ा योगदान कर सकता है क्योंकि उनके सदस्यों में 'गुणवत्ता एवं दक्षता' है लेकिन उन्हें 'सहयोग और समान अवसर' की जरूरत है. पवार ने कहा कि राकांपा ने हमेशा अल्पसंख्यकों को समुचित प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की है और फिलहाल उसके आठ सांसदों में दो मुसलमान हैं.

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