रांचीः बोकारो के सरकारी पॉल्ट्री फार्म हाउस में लगातार हो रही मुर्गियों की मौत और कोलकाता के लैब में हुई रैपिड एंटीजन टेस्ट में बर्ड फ्लू की वजह से मौत की पुष्टि के बाद पशुपालन महकमा अलर्ट मोड पर आ गया है. बर्ड फ्लू की अंतिम पुष्टि के लिए मान्य आरटीपीसीआर टेस्ट के लिए लिए मुर्गियों के सैंपल को भोपाल स्थित हाई सिक्युरिटी एनिमल डिजीज डायग्नोस्टिक लैब ध्य प्रदेश भेजा गया है. जहां से रिपोर्ट आने के बाद कंफर्म हो जाएगा कि अचानक मुर्गियों के मरने की वजह क्या है.
पहले पास्चरेला से मौत का लगाया गया था अनुमानः पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन संस्थान, कांके, रांची के निदेशक डॉ विपिन बिहारी महथा ने ईटीवी भारत को बताया कि 4 फरवरी को पहली बार जानकारी मिली कि बोकारो के गवर्नमेंट पॉल्ट्री फार्म में मुर्गियों की मौत हुई है. 06 फरवरी को विशेष टीम रांची से बोकारो गयी और पोस्टमॉर्टम में पाया कि मौत की वजह पास्चरेला नाम की बीमारी हो सकती है. रांची वेटनरी कॉलेज की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी इसी बीमारी की वजह से मौत की संभावना जताई गई थी.
लगातार होती रही मुर्गियों की मौत तो सैंपल जांच के लिए भेजा गया कोलकाताः डॉ विपिन बिहारी महथा ने बताया कि जब मुर्गियों की मौत का सिलसिला नहीं रुका तो सैंपल जांच के लिए कोलकाता भेजा गया. जहां रैपिड एंटीजन टेस्ट में मुर्गियों की मौत की वजह एवियन इन्फ्लुएंजा वायरस बताया गया. डॉ विपिन महथा ने बताया कि चूंकि बर्ड फ्लू जूनोटिक बीमारी है और यह संक्रमित कुक्कुटों से इंसान में फैल सकता है. इसलिए सैंपल को आरटीपीसीआर टेस्ट के लिए भोपाल भेजा गया है, जहां की रिपोर्ट का इंतजार है.
बोकारो के सरकारी पॉल्ट्री फार्म के लिए विशेष निर्देश जारीः डॉ विपिन महथा ने कहा कि बर्ड फ्लू एक जूनोटिक बीमारी है. यानी यह पक्षियों से इंसान में फैल सकता है, इसलिए विभाग अलर्ट मोड पर है. बोकारो के जिस सरकारी पॉल्ट्री फार्म में 450 से अधिक मुर्गियों की मौत हो चुकी है, वहां काम करने वाले लोगों को पीपीई किट उपलब्ध कराया गया है. फार्म हाउस में बाहरी लोगों की एंट्री पर रोक लगा दी गयी है. मृत मुर्गियों को जलाकर कम से कम 02 मीटर गढ्ढा खोद कर डिस्पोजल करने को कहा गया है. वहीं अन्य जिलों को अपने अपने क्षेत्र में पॉल्ट्री फार्म और अन्य पक्षियों पर नजर बनाए रखने को कहा गया है. इन जिलों से भी रैंडम और रूटीन सैंपल लेकर लैब जांच के लिए भेजने को कहा गया है.
2018 में राज्य के गोड्डा जिला में मिला था बर्ड फ्लू के कन्फर्म केसः झारखंड में वर्ष 2018 में गोड्डा जिले के फाजिल खुटारी गांव में बड़ी संख्या में मुर्गियों की मौत हुई थी. बाद में भोपाल लैब से आई रिपोर्ट के अनुसार मुर्गियों की मौत की वजह बर्ड फ्लू बताया गया था. चार साल बाद रैपिड एंटीजन टेस्ट के अनुसार राज्य में बर्ड फ्लू के दस्तक देने की पुष्टि हो चुकी है परंतु इंतजार है कंफर्म करने वाली आरटीपीसीआर रिपोर्ट क्या कहती है.
पकाया हुआ चिकेन, उबला हुआ अंडा खाने से कोई खतरा नहीं, पैनिक होने की जरूरत नहींः रांची सदर अस्पताल के पैथोलॉजी विभाग के हेड और प्रख्यात चिकित्सक डॉ विमलेश सिंह कहते हैं कि बोकारो में बर्ड फ्लू मिलने की जो खबर आई है, उससे चिंतित होने की कोई जरूरत नहीं है. यह बीमारी ज़ूनोटिक होने के बावजूद आम लोगों में होने या इसका इंसानों के बीच फैलने का खतरा कम इसलिए है क्योंकि यह एक इंसान से दूसरे इंसान तक नहीं पहुंचता है. डॉ विमलेश सिंह कहते हैं कि उन लोगों की इसके चपेट में आने का खतरा जरूर है जो पॉल्ट्री फार्म में काम करते हैं, जो इसका व्यवसाय करते हैं. बनाने के क्रम में अगर संक्रमित मुर्गे से सम्पर्क हो तो भी खतरा रहता है. पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन संस्थान, कांके के निदेशक कहते हैं कि पकाया हुआ चिकेन खाने से कोई डर नहीं क्योंकि बॉइलिंग टेम्परेचर पर बर्ड फ्लू का वायरस इनएक्टिव हो जाता है.
क्या है बर्ड फ्लू और क्या है इसके लक्षणः बर्ड फ्लू, एक एवियन यानी पक्षियों में होनेवाला इन्फ्लुएंजा वायरस है. एच1एन1 वायरस पक्षियों को संक्रमित करता है और यह पक्षियों में बेहद मारक होता है. चूंकि यह इंसानों को भी संक्रमित कर सकता है इसलिए इस वायरस को लेकर सचेत और सजग रहने की जरूरत है. अन्य इन्फ्लुएंजा वायरस संक्रमण की तरह बर्ड फ्लू से ग्रसित व्यक्ति को बुखार, दर्द, नाक से बहाव, खांसी, आंखें लाल होना, दस्त जैसे कई लक्षण उभरते हैं. बर्ड फ्लू से बचाव के लिए भी वहीं सब सावधानियां बरतने की जरूरत है जो अन्य इन्फ्लूएंजा वायरस से बचाव के लिए अपनाते हैं, जैसे पॉल्ट्री फार्म के या संक्रमण वाले क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारी पीपीई किट और मास्क का उपयोग करें, साफ सफाई का ध्यान दें, संक्रमित मुर्गियों या पक्षियों के सम्पर्क में आने से बचें पूरी तरह से पका हुआ चिकेन-अंडा का ही प्रयोग करें.