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छत्तीसगढ़ में खेलगढ़िया योजना में भ्रष्टाचार का खेल - खेलगढ़िया की मूल भावना से खिलवाड़

छत्तीसगढ़ सरकार ने पारंपरिक और क्षेत्रीय खेलों को बढ़ावा देने के लिए खेलगढ़िया योजना की शुरुआत की. इस योजना के तहत प्रदेश में स्कूली बच्चों में स्थानीय खेलों को बढ़ावा देना है. स्थानीय स्तर पर उपलब्ध संसाधनों से इस योजना में खेल साम्रगी की खरीदी करनी थी. लेकिन अधिकारियों की मनमानी के चलते खेलगढ़िया योजना में स्थानीय स्तर पर खेल सामान की खरीदी ना करते हुए अन्य राज्यों से खेल सामान मंगाए जा रहे हैं.

Corruption in Khelgarhia scheme in Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में खेलगढ़िया योजना में भ्रष्टाचार का खेल
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Published : Aug 10, 2022, 7:20 PM IST

रायपुर: पारंपरिक खेलों को बढ़ावा देने के लिए खेलगढ़िया कार्यक्रम के अंतर्गत प्राथमिक स्तर के बच्चों से लेकर हायर सेकेंडरी स्तर के बच्चों के लिए लगभग 40 प्रकार के खेलों का चिन्हांकन किया गया था. इन खेलों में पारम्परिक खेल के अलावा स्थानीय खेलों को भी शामिल किया गया है. जिनमें भौरा, कंचा, गेड़ी, लूडो, पिट्टूल, गिल्ली डंडा , पतंगबाजी, बोरा दौड़, टायर दौड़ शामिल की गई. हाई स्कूल और हायरसेकंडरी स्कूल के बच्चों के लिए एथलेटिक्स, कबड्डी, रस्सा कस्सी, पंजा लड़ाना, शतरंज, कैरम, क्रिकेट, फुटबॉल, जैसे अन्य खेल शामिल हैं. (Corruption in Khelgarhia scheme in Chhattisgarh )

छत्तीसगढ़ में खेलगढ़िया योजना में भ्रष्टाचार का खेल

खेलगढ़िया में कमीशन का खेल: आरटीआई एक्टिविस्ट उचित शर्मा ने बताया, ''मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की बहुत अच्छी मंशा है कि खेलों को बढ़ावा मिले. ग्रामीण परिवेश में छोटे व्यापारियों को रोजगार मिले. मसलन एक भौरा बनाने वाला सरकार को 15 से 20 हजार भौरा तो कोई रस्सी सप्लाई करेगा. कोई हॉकी बनाने वाला सामान सप्लाई करेगा ताकि लोकल लोगों को रोजगार मिले. इसी उद्देश्य से खेलगढ़िया की शुरुआत हुई. लेकिन विभाग के अधिकारी लोकल लोगों से सामान नहीं खरीद रहे है. बड़े कॉरपोरेट घराने खेल के सामानों की सप्लाई करते हैं. वो बड़े कमीशन ऑफर कर रहे हैं.''

ट्राइबल विभाग ने की खरीदी: आरटीआई एक्टिविस्ट उचित शर्मा से मिले दस्तावेज के मुताबिक सुकमा में ट्राइबल वेलफेयर डिपार्टमेंट ने 2 करोड़ 69 लाख 99325 रुपए में 135 किट खेल सामग्री की खरीदी की है. एक किट की कीमत 1 लाख 99 हजार 995 रुपए है. इनमें प्रत्येक सामानों के दर भी नहीं दर्शाए गए हैं.

बालोद की बैंक सखियां नाराज, जानिए वजह

बंडल ऑफर के तहत हो रही खरीदी: आरटीआई एक्टिविस्ट उचित शर्मा ने बताया "बड़े व्यापारी लगभग 40 खेल के सामानों को बंडल में ऑफर कर रहे हैं. इस किट बैग की कीमत लगभग 2 लाख रुपए है. उसमें हमारे छोटे व्यापारी कम्पीट नहीं कर पा रहे हैं. जबकि नियम यह है कि सामानों की खरीदी इंडिविजुअल होनी चाहिये. जिसमें अलग अलग खेल सामग्रियों की दर भी रहती है, लेकिन बंडल ऑफर के माध्यम से अन्य राज्यों से सामान मंगाए जा रहे हैं. एक साथ बंडल ऑफर के तहत 40 खेलों के सामानों की दर तय हो रही है जो गलत है."

जेम्स पोर्टल के जरिये खरीदी: उचित शर्मा ने बताया कि "इन सामानों को छत्तीसगढ़ ई मानक पोर्टल से ना खरीद कर जेम्स पोर्टल से खरीदा जा रहा है. लोकल वेंडर से खेल के सामानों को खरीदना था, लेकिन बड़े कारपोरेट घरानों से खरीदी की जा रही है. कमीशन खोरी के चक्कर में ट्राइबल विभाग, शिक्षा विभाग उन लोगों से खेल सामग्रियों को खरीद रहा है जो अन्य राज्य के वेंडर हैं. ऐसे में स्थानीय लोगों को जो रोजगार मिलता, वह नहीं मिल पा रहा है. भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के लिए विभागों से यह कार्य हो रहे हैं. दस्तावेज भी यही बता रहे हैं."

खेलगढ़िया की मूल भावना से खिलवाड़: वरिष्ठ पत्रकार बाबूलाल शर्मा ने बताया "खेलगढ़िया के नाम से योजना बनाई गई है. यह अच्छी योजना है. लेकिन हमारी जानकरी में यह आया है कि बड़े व्यवसाय करने वाले लोगों ने इसे कैप्चर कर रखा है. वे मूल भावना को दबाने का काम कर रहे हैं. अलग अलग खेल सामानों की बिक्री छोड़कर सभी खेलों के सामानों का किट बनाया जा रहा है. किट की कीमत बहुत ज्यादा है. मसलन किट में भौरे की कीमत ज्यादा है. भ्रष्ट आचरण रखने वाले इससे खुश होंगे और ऐसे ही अधिकारियों ने इन्हें बढ़ावा दिया होगा. दूसरे राज्यों से कॉर्पोरेट घरानों से खरीदी की जा रही है. यह सारी चीजें गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ के खिलाफ जाती है.'' (Khelgarhia to promote traditional sports )

रायपुर: पारंपरिक खेलों को बढ़ावा देने के लिए खेलगढ़िया कार्यक्रम के अंतर्गत प्राथमिक स्तर के बच्चों से लेकर हायर सेकेंडरी स्तर के बच्चों के लिए लगभग 40 प्रकार के खेलों का चिन्हांकन किया गया था. इन खेलों में पारम्परिक खेल के अलावा स्थानीय खेलों को भी शामिल किया गया है. जिनमें भौरा, कंचा, गेड़ी, लूडो, पिट्टूल, गिल्ली डंडा , पतंगबाजी, बोरा दौड़, टायर दौड़ शामिल की गई. हाई स्कूल और हायरसेकंडरी स्कूल के बच्चों के लिए एथलेटिक्स, कबड्डी, रस्सा कस्सी, पंजा लड़ाना, शतरंज, कैरम, क्रिकेट, फुटबॉल, जैसे अन्य खेल शामिल हैं. (Corruption in Khelgarhia scheme in Chhattisgarh )

छत्तीसगढ़ में खेलगढ़िया योजना में भ्रष्टाचार का खेल

खेलगढ़िया में कमीशन का खेल: आरटीआई एक्टिविस्ट उचित शर्मा ने बताया, ''मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की बहुत अच्छी मंशा है कि खेलों को बढ़ावा मिले. ग्रामीण परिवेश में छोटे व्यापारियों को रोजगार मिले. मसलन एक भौरा बनाने वाला सरकार को 15 से 20 हजार भौरा तो कोई रस्सी सप्लाई करेगा. कोई हॉकी बनाने वाला सामान सप्लाई करेगा ताकि लोकल लोगों को रोजगार मिले. इसी उद्देश्य से खेलगढ़िया की शुरुआत हुई. लेकिन विभाग के अधिकारी लोकल लोगों से सामान नहीं खरीद रहे है. बड़े कॉरपोरेट घराने खेल के सामानों की सप्लाई करते हैं. वो बड़े कमीशन ऑफर कर रहे हैं.''

ट्राइबल विभाग ने की खरीदी: आरटीआई एक्टिविस्ट उचित शर्मा से मिले दस्तावेज के मुताबिक सुकमा में ट्राइबल वेलफेयर डिपार्टमेंट ने 2 करोड़ 69 लाख 99325 रुपए में 135 किट खेल सामग्री की खरीदी की है. एक किट की कीमत 1 लाख 99 हजार 995 रुपए है. इनमें प्रत्येक सामानों के दर भी नहीं दर्शाए गए हैं.

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बंडल ऑफर के तहत हो रही खरीदी: आरटीआई एक्टिविस्ट उचित शर्मा ने बताया "बड़े व्यापारी लगभग 40 खेल के सामानों को बंडल में ऑफर कर रहे हैं. इस किट बैग की कीमत लगभग 2 लाख रुपए है. उसमें हमारे छोटे व्यापारी कम्पीट नहीं कर पा रहे हैं. जबकि नियम यह है कि सामानों की खरीदी इंडिविजुअल होनी चाहिये. जिसमें अलग अलग खेल सामग्रियों की दर भी रहती है, लेकिन बंडल ऑफर के माध्यम से अन्य राज्यों से सामान मंगाए जा रहे हैं. एक साथ बंडल ऑफर के तहत 40 खेलों के सामानों की दर तय हो रही है जो गलत है."

जेम्स पोर्टल के जरिये खरीदी: उचित शर्मा ने बताया कि "इन सामानों को छत्तीसगढ़ ई मानक पोर्टल से ना खरीद कर जेम्स पोर्टल से खरीदा जा रहा है. लोकल वेंडर से खेल के सामानों को खरीदना था, लेकिन बड़े कारपोरेट घरानों से खरीदी की जा रही है. कमीशन खोरी के चक्कर में ट्राइबल विभाग, शिक्षा विभाग उन लोगों से खेल सामग्रियों को खरीद रहा है जो अन्य राज्य के वेंडर हैं. ऐसे में स्थानीय लोगों को जो रोजगार मिलता, वह नहीं मिल पा रहा है. भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के लिए विभागों से यह कार्य हो रहे हैं. दस्तावेज भी यही बता रहे हैं."

खेलगढ़िया की मूल भावना से खिलवाड़: वरिष्ठ पत्रकार बाबूलाल शर्मा ने बताया "खेलगढ़िया के नाम से योजना बनाई गई है. यह अच्छी योजना है. लेकिन हमारी जानकरी में यह आया है कि बड़े व्यवसाय करने वाले लोगों ने इसे कैप्चर कर रखा है. वे मूल भावना को दबाने का काम कर रहे हैं. अलग अलग खेल सामानों की बिक्री छोड़कर सभी खेलों के सामानों का किट बनाया जा रहा है. किट की कीमत बहुत ज्यादा है. मसलन किट में भौरे की कीमत ज्यादा है. भ्रष्ट आचरण रखने वाले इससे खुश होंगे और ऐसे ही अधिकारियों ने इन्हें बढ़ावा दिया होगा. दूसरे राज्यों से कॉर्पोरेट घरानों से खरीदी की जा रही है. यह सारी चीजें गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ के खिलाफ जाती है.'' (Khelgarhia to promote traditional sports )

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