ETV Bharat / bharat

HC की टिप्पणी - मौत से पहले दिया गया भरोसेमंद बयान दोष साबित करने के लिए पर्याप्त - भरोसेमंद बयान दोष साबित करने के पर्याप्त

केरल हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि मौत से पहले दिया गया सिलसिलेवार और भरोसेमंद बयान आरोपी का दोष साबित करने के लिए पर्याप्त है. पढ़िए पूरी खबर..

केरल हाईकोर्ट
केरल हाईकोर्ट
author img

By

Published : Sep 2, 2021, 9:20 PM IST

तिरुवनंतपुरम : केरल हाईकोर्ट ने कहा कि मरने से पहले दिया गया सिलसिलेवार और भरोसेमंद बयान आरोपी का दोष साबित करने के लिए पर्याप्त है. जस्टिस विनोद के चंद्रन और जस्टिस ज़ियाद रहमान की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया है.

अदालत ने कहा मरने से पहले दिये गये बयान की विश्वसनीय होने का कारण यह है कि 'आसन्न मृत्यु मनुष्य के मन में वही भावना पैदा करती है जो एक कर्तव्यनिष्ठ और सदाचारी व्यक्ति के मन में शपथ के बाद पैदा होती है. कोर्ट ने इस मामले को लेकर दायर की गई अपील को खारिज कर दिया. कोर्ट में यह याचिका छोटे भाई की पत्नी की हत्या के एक आरोपी ने दायर की थी. उसे इस मामले सत्र न्यायालय ने दोषी करार दिया था और आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.

सत्र न्यायालय के आदेश के खिलाफ उनसे हाईकोर्ट में अपील दायर की थी. उसने अपील में कहा था कि यह स्पष्ट रूप से अपने शरीर पर मिट्टी का तेल डालने के बाद आत्मदाह करके आत्महत्या का मामला था, क्योंकि उस समय में मृतक विभिन्न कारणों से परेशान थी.

यह भी पढ़ें- अंगदान कानून को सांप्रदायिक सौहार्द के लिए पथप्रदर्शक बनाएं: केरल HC

हालांकि, मृतक ने कथित तौर पर मरने से पहले चार बयान दिये थे, जिसमें उनसे याचिकर्ता को अपनी चोटों के लिए जिम्मेदार ठहराया था. परिवार के सभी सदस्य ने भी यह स्वीकार किया कि मृतक और याचिककर्ता के बीच अक्सर मतभेद होते थे.

आरोपी मृतक के परिवार के साथ रहता था. उन्होंने बयान दिया कि घटना से एक दिन पहले बिजली बिल को लेकर दोनों के बीच हाथापाई हुई थी. इसके दूसरे दिन वह दरवाजे पर आग की लपटों में घिरी मिली. उसे बचाने के हर कोशिश की गई, लेकिन सभी कोशिशें बेकार साबित हुईं और कुछ दिनों बाद उसकी मौत हो गई.

हालांकि, अपनी मृत्यु से पहले, उसने अपने बेटे, अपनी बेटी, एक डॉक्टर और न्यायिक मजिस्ट्रेट को चार बयान दिये थे. सत्र न्यायालय ने इन बयानों पर भरोसा करते हुए याचिकाकर्ता को दोषी ठहराया था. हालांकि, याचिकाकर्ता ने यह साबित करने का भरपूर प्रयास किया कि मरने से पहले दिए गए बयान कानूनी रूप से टिकाऊ नहीं ‌थे, उसके प्रयास विफल रहे. प्रस्तुतियां और रिकॉर्ड पर रखी गई सामग्री को देखने के बाद बेंच इस निष्कर्ष पर पहुंची कि महिला की मौत एक हत्या थी और अपीलकर्ता ने इस क्रूर कृत्य को अंजाम दिया था.

तिरुवनंतपुरम : केरल हाईकोर्ट ने कहा कि मरने से पहले दिया गया सिलसिलेवार और भरोसेमंद बयान आरोपी का दोष साबित करने के लिए पर्याप्त है. जस्टिस विनोद के चंद्रन और जस्टिस ज़ियाद रहमान की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया है.

अदालत ने कहा मरने से पहले दिये गये बयान की विश्वसनीय होने का कारण यह है कि 'आसन्न मृत्यु मनुष्य के मन में वही भावना पैदा करती है जो एक कर्तव्यनिष्ठ और सदाचारी व्यक्ति के मन में शपथ के बाद पैदा होती है. कोर्ट ने इस मामले को लेकर दायर की गई अपील को खारिज कर दिया. कोर्ट में यह याचिका छोटे भाई की पत्नी की हत्या के एक आरोपी ने दायर की थी. उसे इस मामले सत्र न्यायालय ने दोषी करार दिया था और आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.

सत्र न्यायालय के आदेश के खिलाफ उनसे हाईकोर्ट में अपील दायर की थी. उसने अपील में कहा था कि यह स्पष्ट रूप से अपने शरीर पर मिट्टी का तेल डालने के बाद आत्मदाह करके आत्महत्या का मामला था, क्योंकि उस समय में मृतक विभिन्न कारणों से परेशान थी.

यह भी पढ़ें- अंगदान कानून को सांप्रदायिक सौहार्द के लिए पथप्रदर्शक बनाएं: केरल HC

हालांकि, मृतक ने कथित तौर पर मरने से पहले चार बयान दिये थे, जिसमें उनसे याचिकर्ता को अपनी चोटों के लिए जिम्मेदार ठहराया था. परिवार के सभी सदस्य ने भी यह स्वीकार किया कि मृतक और याचिककर्ता के बीच अक्सर मतभेद होते थे.

आरोपी मृतक के परिवार के साथ रहता था. उन्होंने बयान दिया कि घटना से एक दिन पहले बिजली बिल को लेकर दोनों के बीच हाथापाई हुई थी. इसके दूसरे दिन वह दरवाजे पर आग की लपटों में घिरी मिली. उसे बचाने के हर कोशिश की गई, लेकिन सभी कोशिशें बेकार साबित हुईं और कुछ दिनों बाद उसकी मौत हो गई.

हालांकि, अपनी मृत्यु से पहले, उसने अपने बेटे, अपनी बेटी, एक डॉक्टर और न्यायिक मजिस्ट्रेट को चार बयान दिये थे. सत्र न्यायालय ने इन बयानों पर भरोसा करते हुए याचिकाकर्ता को दोषी ठहराया था. हालांकि, याचिकाकर्ता ने यह साबित करने का भरपूर प्रयास किया कि मरने से पहले दिए गए बयान कानूनी रूप से टिकाऊ नहीं ‌थे, उसके प्रयास विफल रहे. प्रस्तुतियां और रिकॉर्ड पर रखी गई सामग्री को देखने के बाद बेंच इस निष्कर्ष पर पहुंची कि महिला की मौत एक हत्या थी और अपीलकर्ता ने इस क्रूर कृत्य को अंजाम दिया था.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.