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Congress President election: खड़गे-थरूर के साथ समान शिष्टाचार के निर्देश

कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव (congress presidential polls) को लेकर निर्देश जारी किए गए हैं. दोनों उम्मीदवारों खड़गे और थरूर के साथ समान शिष्टाचार निभाने के लिए कहा गया है. सीईसी के निर्देश में कहा गया है कि 'खड़गे और थरूर अपनी व्यक्तिगत क्षमता से चुनाव लड़ रहे हैं. इसलिए, प्रतिनिधि मतपत्र के माध्यम से अपनी पसंद के अनुसार उनमें से किसी एक को चुनने के लिए स्वतंत्र हैं.' 'ईटीवी भारत' के वरिष्ठ संवाददाता अमित अग्निहोत्री की रिपोर्ट.

Mallikarjun Kharge and Shashi Tharoor
खड़गे थरूर
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Published : Oct 3, 2022, 5:08 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस ने सोमवार को अध्यक्ष चुनाव में तटस्थता दिखाई. कांग्रेस ने अपनी राज्य इकाइयों से दोनों उम्मीदवारों मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर के (Mallikarjun Kharge and Shashi Tharoor) साथ समान शिष्टाचार निभाने को कहा. केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री ने 17 अक्टूबर को पार्टी के शीर्ष पद के लिए निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए जारी दिशा-निर्देशों के एक सेट में कहा, 'सभी पीसीसी अध्यक्ष संबंधित राज्यों की अपनी यात्राओं के दौरान उम्मीदवारों के प्रति शिष्टाचार निभाएंगे.'

सीईसी के अनुसार, राज्य इकाई के प्रमुखों को चुनाव संबंधी किसी भी बैठक के लिए हॉल, कुर्सियां, जगह व अन्य सुविधाएं उपलब्ध करानी चाहिए लेकिन पार्टी अध्यक्ष के चुनाव में मतदान करने वाले पीसीसी प्रतिनिधियों की बैठक बुलाने से बचना चाहिए. दिशानिर्देशों में कहा गया है कि पीसीसी प्रतिनिधि बैठकों की व्यवस्था करने का कार्य दो उम्मीदवारों के प्रस्तावकों का होगा.

कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में तीन उम्मीदवारों ने पर्चा दाखिल किया था, लेकिन तकनीकी आधार पर केएन त्रिपाठी का पर्चा खारिज हो गया. ऐसे में चुनाव मैदान में दो उम्मीदवार खड़गे और थरूर बचे हैं. खड़गे को पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी के उम्मीदवार के रूप में देखा जा रहा है. जबकि थरूर को 'आधिकारिक' उम्मीदवार के लिए एक चुनौती के रूप में देखा जा रहा है. नामांकन के दिन थरूर के साथ कोई वरिष्ठ नेता नहीं था.

कल AICC के प्रवक्ता गौरव वल्लभ, दीपेंद्र हुड्डा और सैयद नसीर हुसैन ने खड़गे के लिए प्रचार करने के लिए पार्टी पद से इस्तीफा दे दिया था, जबकि लोकसभा सांसद प्रद्योत बोरदोलोई ने थरूर के पक्ष में एक बयान जारी किया. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि हाई-प्रोफाइल चुनाव पर पार्टी के भीतर बहस हो रही है और पदाधिकारी पक्ष लेने के लिए बाध्य हैं. इसे ध्यान में रखते हुए, चुनाव प्राधिकरण ने निर्देश दिया है कि एआईसीसी या राज्य स्तर पर कोई भी पदाधिकारी या प्रवक्ता किसी भी उम्मीदवार के लिए प्रचार नहीं करेगा. सीईसी ने कहा कि अगर वे ऐसा करना चाहते हैं, तो उन्हें पहले पार्टी पद से इस्तीफा देना चाहिए और फिर अपनी पसंद के उम्मीदवार के लिए प्रचार करना चाहिए.

कुछ मीडिया खबरों में चुनाव को गुटबंदी के तौरपर पेश किया जा रहा है, जिसके मुताबिक एक उम्मीदवार के तरफ ज्यादा झुकाव है. बदलाव की पैरवी कर रहे थरूर ने खड़गे के साथ सार्वजनिक बहस की मांग की थी. उनका कहना था कि इससे लोगों की उसी तरह से पार्टी में दिलचस्पी पैदा होगी, जैसे कि हाल में ब्रिटेन में कंजर्वेटिव पार्टी के नेतृत्व पद के चुनाव को लेकर हुई थी. उनकी इस टिप्पणी को लेकर उन पर कटाक्ष करते हुए खड़गे ने कहा था कि विद्वान लोगों (थरूर) की इच्छा बहस की हो सकती है, लेकिन वह इसमें नहीं पड़ेंगे क्योंकि वह सिर्फ काम करना जानते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी के सदस्यों के दिलों में नेहरू-गांधी परिवार की हमेशा खास जगह रही है और रहेगी.

'किसी को चुनने के लिए स्वतंत्र' : वहीं, सीईसी के निर्देश में कहा गया है कि 'खड़गे और थरूर अपनी व्यक्तिगत क्षमता से चुनाव लड़ रहे हैं. इसलिए, प्रतिनिधि मतपत्र के माध्यम से अपनी पसंद के अनुसार उनमें से किसी एक को चुनने के लिए स्वतंत्र हैं.' यही नहीं, किसी भी अन्य चुनावों की तरह सीईसी ने दोनों उम्मीदवारों को मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए किसी भी तरीके का उपयोग नहीं करने के लिए आगाह किया, जैसे कि उनके लिए परिवहन की व्यवस्था करना या भाषण या पैम्फलेट के माध्यम से एक-दूसरे के खिलाफ बदनामी करना. सीईसी की ओर से कहा गया है कि इससे उम्मीदवारी अमान्य होने के साथ ही अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है.

सीईसी ने कहा, 'यह सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत सावधानी बरती जानी चाहिए कि किसी भी उम्मीदवार के खिलाफ कोई दुर्भावनापूर्ण अभियान न हो. इससे पार्टी की बदनामी होगी. चुनाव प्रक्रिया की संवेदनशीलता किसी भी कीमत पर होनी चाहिए.' अंत में, राज्य मुख्यालय में रिटर्निंग अधिकारियों को मतदान केंद्रों पर व्यवस्था बनाए रखने और चुनाव को निष्पक्ष रूप से सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है.

पढ़ें- ऐसा भी हो चुका है कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में, जानिए गांधी परिवार का उम्मीदवार, कितना है दमदार

पढ़ें- King of Cong : बोले शशि थरूर- खड़गे से कोई मतभेद नहीं, मुकाबला RSS से

ये भी पढ़ें :king of cong : कांग्रेस के तीन बड़े प्रवक्ताओं ने दिया इस्तीफा, खड़गे के लिए करेंगे प्रचार

नई दिल्ली : कांग्रेस ने सोमवार को अध्यक्ष चुनाव में तटस्थता दिखाई. कांग्रेस ने अपनी राज्य इकाइयों से दोनों उम्मीदवारों मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर के (Mallikarjun Kharge and Shashi Tharoor) साथ समान शिष्टाचार निभाने को कहा. केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री ने 17 अक्टूबर को पार्टी के शीर्ष पद के लिए निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए जारी दिशा-निर्देशों के एक सेट में कहा, 'सभी पीसीसी अध्यक्ष संबंधित राज्यों की अपनी यात्राओं के दौरान उम्मीदवारों के प्रति शिष्टाचार निभाएंगे.'

सीईसी के अनुसार, राज्य इकाई के प्रमुखों को चुनाव संबंधी किसी भी बैठक के लिए हॉल, कुर्सियां, जगह व अन्य सुविधाएं उपलब्ध करानी चाहिए लेकिन पार्टी अध्यक्ष के चुनाव में मतदान करने वाले पीसीसी प्रतिनिधियों की बैठक बुलाने से बचना चाहिए. दिशानिर्देशों में कहा गया है कि पीसीसी प्रतिनिधि बैठकों की व्यवस्था करने का कार्य दो उम्मीदवारों के प्रस्तावकों का होगा.

कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में तीन उम्मीदवारों ने पर्चा दाखिल किया था, लेकिन तकनीकी आधार पर केएन त्रिपाठी का पर्चा खारिज हो गया. ऐसे में चुनाव मैदान में दो उम्मीदवार खड़गे और थरूर बचे हैं. खड़गे को पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी के उम्मीदवार के रूप में देखा जा रहा है. जबकि थरूर को 'आधिकारिक' उम्मीदवार के लिए एक चुनौती के रूप में देखा जा रहा है. नामांकन के दिन थरूर के साथ कोई वरिष्ठ नेता नहीं था.

कल AICC के प्रवक्ता गौरव वल्लभ, दीपेंद्र हुड्डा और सैयद नसीर हुसैन ने खड़गे के लिए प्रचार करने के लिए पार्टी पद से इस्तीफा दे दिया था, जबकि लोकसभा सांसद प्रद्योत बोरदोलोई ने थरूर के पक्ष में एक बयान जारी किया. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि हाई-प्रोफाइल चुनाव पर पार्टी के भीतर बहस हो रही है और पदाधिकारी पक्ष लेने के लिए बाध्य हैं. इसे ध्यान में रखते हुए, चुनाव प्राधिकरण ने निर्देश दिया है कि एआईसीसी या राज्य स्तर पर कोई भी पदाधिकारी या प्रवक्ता किसी भी उम्मीदवार के लिए प्रचार नहीं करेगा. सीईसी ने कहा कि अगर वे ऐसा करना चाहते हैं, तो उन्हें पहले पार्टी पद से इस्तीफा देना चाहिए और फिर अपनी पसंद के उम्मीदवार के लिए प्रचार करना चाहिए.

कुछ मीडिया खबरों में चुनाव को गुटबंदी के तौरपर पेश किया जा रहा है, जिसके मुताबिक एक उम्मीदवार के तरफ ज्यादा झुकाव है. बदलाव की पैरवी कर रहे थरूर ने खड़गे के साथ सार्वजनिक बहस की मांग की थी. उनका कहना था कि इससे लोगों की उसी तरह से पार्टी में दिलचस्पी पैदा होगी, जैसे कि हाल में ब्रिटेन में कंजर्वेटिव पार्टी के नेतृत्व पद के चुनाव को लेकर हुई थी. उनकी इस टिप्पणी को लेकर उन पर कटाक्ष करते हुए खड़गे ने कहा था कि विद्वान लोगों (थरूर) की इच्छा बहस की हो सकती है, लेकिन वह इसमें नहीं पड़ेंगे क्योंकि वह सिर्फ काम करना जानते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी के सदस्यों के दिलों में नेहरू-गांधी परिवार की हमेशा खास जगह रही है और रहेगी.

'किसी को चुनने के लिए स्वतंत्र' : वहीं, सीईसी के निर्देश में कहा गया है कि 'खड़गे और थरूर अपनी व्यक्तिगत क्षमता से चुनाव लड़ रहे हैं. इसलिए, प्रतिनिधि मतपत्र के माध्यम से अपनी पसंद के अनुसार उनमें से किसी एक को चुनने के लिए स्वतंत्र हैं.' यही नहीं, किसी भी अन्य चुनावों की तरह सीईसी ने दोनों उम्मीदवारों को मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए किसी भी तरीके का उपयोग नहीं करने के लिए आगाह किया, जैसे कि उनके लिए परिवहन की व्यवस्था करना या भाषण या पैम्फलेट के माध्यम से एक-दूसरे के खिलाफ बदनामी करना. सीईसी की ओर से कहा गया है कि इससे उम्मीदवारी अमान्य होने के साथ ही अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है.

सीईसी ने कहा, 'यह सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत सावधानी बरती जानी चाहिए कि किसी भी उम्मीदवार के खिलाफ कोई दुर्भावनापूर्ण अभियान न हो. इससे पार्टी की बदनामी होगी. चुनाव प्रक्रिया की संवेदनशीलता किसी भी कीमत पर होनी चाहिए.' अंत में, राज्य मुख्यालय में रिटर्निंग अधिकारियों को मतदान केंद्रों पर व्यवस्था बनाए रखने और चुनाव को निष्पक्ष रूप से सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है.

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