नई दिल्ली : कांग्रेस 'इंडिया' गठबंधन की पहली समन्वय समिति की 13 सितंबर की होने वाली बैठक से पहले उत्तर प्रदेश और बिहार में अपना महत्व बढ़ाने की योजना बना रही है. इसी को लेकर पार्टी कुछ कठिन सौदेबाजी की तैयारी कर रही है. बता दें कि लोकसभा के कुल 543 सदस्यों में से उत्तर प्रदेश और बिहार को मिलाकर यहां से 120 सदस्य चुने जाते हैं. इसी कड़ी में नवगठित 14 सदस्यीय पैनल की मेजबानी राकांपा प्रमुख शरद पवार बुधवार को करेंगे. इसमें अन्य मुद्दों के अलावा लोकसभा 2024 के चुनावों में सीट बंटवारे पर भी चर्चा किए जाने की उम्मीद है.
28 सदस्यीय विपक्षी गठबंधन के लिए सीट बंटवारा महत्वपूर्ण है. क्योंकि विपक्ष देश भर में 543 में 400 से अधिक लोकसभा सीटों पर भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के खिलाफ एक संयुक्त उम्मीदवार खड़ा करने की योजना बना रहा है. इनमें यूपी और बिहार को प्रमुख राज्य माना जाता है क्योंकि इन राज्यों से क्रमश: 80 और 40 सदस्यों को लोकसभा में भेजते हैं.
हालांकि दोनों ही राज्यों में कांग्रेस की धरातल में मजबूत उपस्थिति नहीं है. पार्टी 2019 के राष्ट्रीय चुनावों में यूपी और बिहार में केवल एक-एक सीट सकी थी. लेकिन पार्टी 2024 में पूर्व की संख्या में इजाफा करना चाहती है. इसी के मद्देनजर पार्टी ने कुछ रणनीति बनाई है, जिसमें यूपी में कम से कम 20 और बिहार में 10 सीटों की मांग करने की योजना बनाई है. एआईसीसी संगठन के प्रभारी केसी वेणुगोपाल इंडिया समन्वय समिति की बैठक में पार्टी का प्रतिनिधित्व करेंगे.
कांग्रेस यूपी और बिहार दोनों ही राज्यों में भाजपा को हराने के लिए अपने सहयोगियों पर बहुत अधिक निर्भर होगी. यही वजह है कि यूपी में एसपी और आरएलडी तथा बिहार में जेडी यू और राजद पर निर्भर रहना होगा, लेकिन पार्टी इससे कम सीटों पर समक्षौता करने के मूड में नहीं है. इस बारे में यूपी कांग्रेस के पूर्व प्रमुख बृजलाल खाबरी ने बताया कि 2009 में हमने राज्य में 20 लोकसभा सीटें जीतीं थी. हम इस बार कम से कम वह संख्या तो चाहेंगे, बाकी बातचीत पर निर्भर करेगा.
वहीं बिहार कांग्रेस प्रमुख अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि हमें बिहार में कम से कम 10 सीटें मिलनी चाहिए. हालांकि इस मुद्दे को गठबंधन सहयोगियों से विचार-विमर्श के बाद अंतिम रूप दिया जाएगा. कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक यह दोनों राज्यों में उन सहयोगियों को पूरी तरह से स्वीकार्य नहीं हो सकता है जिनकी राज्य में स्थिति मजबूत है. लेकिन कांग्रेस अपनी राष्ट्रीय उपस्थिति और विपक्ष को एकजुट रखने में अपनी भूमिका को देखते हुए चाहती है कि उसे इतनी सीटें मिलनी चाहिए. सूत्रों ने कहा कि समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को 12 से अधिक सीटें देने की इच्छुक नहीं है, जबकि राजद और जद-यू पांच से अधिक सीटें कांग्रेस के लिए नहीं छोड़ना चाहते हैं.
उन्होंने कहा कि पार्टी का अनुमान है कि कांग्रेस के पास पूरे यूपी में निष्क्रिय समर्थक हैं और अगर पार्टी उन्हें जुटाने में सक्षम हुई तो 2024 में आश्चर्यजनक परिणाम आ सकते है, हालांकि वहां सहयोगी दलों के विचार विपरीत हैं. वहीं इंडिया गठबंधन को लेकर कार्यकर्ता उत्साहित हैं और भाजपा शासित राज्य में पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए अपना अतिरिक्त योगदान देने के लिए भी तैयार हैं. इसके विपरीत बिहार में कांग्रेस की स्थिति अनुकूल है क्योंकि पार्टी वहां जेडी यू, राजद और वाम दलों के साथ सत्ता में साझीदार है. अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि कांग्रेस निश्चित रूप से 2024 में पूर्वी राज्य में अपनी स्थिति में सुधार करेगी.
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