नई दिल्ली : दक्षिण दिल्ली नगर निगम के अंतर्गत आने वाले सभी प्राथमिक स्कूलों के (Geeta recitation in SDMC school) बच्चों को अब गीता का पाठ पढ़ाया जाएगा. ताकि बच्चों के अंदर सकरात्मकता को बढ़ाया जाए और बच्चे जीवन का लक्ष्य पूरा करने में कामयाब भी हों. निगम में चल रहे बजट सत्र में इस आशय का प्रस्ताव पेश किया गया है. प्रस्ताव के अनुसार निगम के स्कूलों में हर हफ्ते एक घंटा, गीता के अध्ययन के लिए हाेगा.
निगम ने इसके लिए इस्कॉन टेंपल के साथ करार (SDMC ties up with ISKCON Temple) भी किया है. अप्रैल से शुरू होने वाले नए सत्र से बच्चों को एसडीएमसी (SDMC) के स्कूलों में गीता का पाठ भी पढ़ाया जाएगा. हर हफ्ते 1 घंटे की कक्षा गीता के अध्ययन को लेकर निगम के प्राथमिक विद्यालयों में आयोजित की जाएगी. गीता के अध्ययन को शामिल करने का प्रमुख उद्देश्य निगम में पढ़ने वाले बच्चों को भारतीय संस्कृति से परिचित कराना भी है.
दक्षिण दिल्ली नगर निगम के बजट सत्र में शिक्षा विभाग के द्वारा एक जरूरी प्रस्ताव पेश किया गया है. जिसके तहत निगम के अंतर्गत आने वाले प्राथमिक विद्यालय में पढ़ रहे बच्चों को गीता का पाठ पढ़ाया जाएगा. एसडीएमसी के मेयर मुकेश सूर्यान (SDMC Mayor Mukesh Suryan) ने बताया कि इस्कॉन टेंपल के द्वारा निगम को इस बारे में सबसे पहले कांटेक्ट करके इस नए कांसेप्ट को लेकर इच्छा व्यक्त की गई थी. जिसके बाद निगम ने अब इस पूरे प्रस्ताव को बजट में शामिल किया है और नए सत्र से निगम के विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को गीता का पाठ पढ़ाया जाएगा. निगम ने बाकायदा इस्कॉन टेंपल से बच्चों को गीता का पाठ पढ़ाने के लिए यह भी पूछा है कि उनके पास कितना स्टाफ है और वह कितने विद्यालय में एक साथ गीता का पाठ पढ़ाने की प्रक्रिया को शुरू कर सकता है.
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मेयर ने यह भी कहा कि हर हफ्ते निगम के प्राथमिक विद्यालयों में एक घंटे की कक्षा गीता के अध्ययन को लेकर आयोजित किए जाने का प्रस्ताव है, जिससे कि निगम के स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे गीता का अध्ययन कर संस्कृति से परिचित हो सकें.
एसडीएमसी के मेयर (SDMC Mayor Mukesh Suryan) ने बातचीत के दौरान दिल्ली सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि एक तरफ दिल्ली सरकार हर वार्ड में तीन अंग्रेजी शराब के ठेके खोलकर युवाओं को नशे में झोंकने का प्रयास कर रही है. वहीं एसडीएमसी अपने हर वार्ड में एक अंग्रेजी मीडियम स्कूल खोलने जा रही है ताकि शिक्षा के स्तर को और बेहतर बनाया जा सके.
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