नई दिल्ली: रक्षा मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह ने रविवार को कहा कि 'प्रेस की स्वतंत्रता के उल्लंघन का आरोप लगाने वाले भूल जाते हैं कि भाजपा की सरकारों ने ना ही किसी मीडिया संस्थान पर और ना ही किसी के मुक्त भाषण के अधिकार पर कभी कोई प्रतिबंध लगाया.'
उन्होंने 1951 में अनुच्छेद 19 में किए गए संशोधन का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस नीत सरकार ने अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश लगाने के लिए संविधान में संशोधन तक कर दिया था. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध पत्रिका 'पांचजन्य' द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में सिंह ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संबंध में देश में फिर से एक बहस शुरू हो गई है.
उन्होंने कहा, 'दिलचस्प बात यह है कि जो लोग आज मीडिया की स्वतंत्रता के उल्लंघन का आरोप लगाते हैं, वे भूल जाते हैं कि चाहे अटलजी (पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी) की सरकार हो या (प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी जी की सरकार, उन्होंने कभी किसी मीडिया संस्थान पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया, ना ही किसी के वाक् और अभिव्यक्ति के अधिकार में कटौती की.'
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए, भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा कि कांग्रेस का पूरा इतिहास सभी प्रकार की स्वतंत्रता के उल्लंघन की घटनाओं से भरा हुआ है. उन्होंने कहा, 'कांग्रेस नीत सरकार ने अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश लगाने के लिए संविधान में संशोधन तक किया था. जो लोग शीशे के घरों में रहते हैं, उन्हें दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकना चाहिए.'
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सिंह ने यह भी कहा कि मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है और इसकी स्वतंत्रता मजबूत और जीवंत लोकतंत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. अतीत में 'पांचजन्य' पर लगाए गए प्रतिबंधों के बारे में रक्षा मंत्री ने कहा कि आरएसएस से जुड़ी पत्रिका पर कई बार की गई कार्रवाई न केवल राष्ट्रवादी पत्रकारिता पर हमला थी, बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सरासर उल्लंघन भी थी.
(पीटीआई-भाषा)