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पंजाब-छत्तीसगढ़ कांग्रेस में अंदरुनी खींचतान, भाजपा बोली- सबकुछ आलाकमान के इशारे पर

कांग्रेस के पंजाब और छत्तीसगढ़ में चल रहे सरकार और पार्टी के बीच उठापटक ने भाजपा को बैठे-बिठाए मन मुताबिक मुद्दा दे दिया है और भाजपा इसमें कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती. यही वजह है कि बीजेपी ने कांग्रेस नेतृत्व पर ही सवाल खड़ा कर दिया है. इस पर पढ़ें ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की रिपोर्ट..

सुदेश वर्मा
सुदेश वर्मा
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Published : Sep 2, 2021, 8:20 PM IST

Updated : Sep 2, 2021, 9:41 PM IST

नई दिल्ली : पंजाब की कांग्रेस सरकार और संगठन नेतृत्व के बीच चल रही तनातनी अब किसी से छुपी नहीं है, कभी पंजाब के मुख्यमंत्री प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ बयान देते हैं, तो कभी प्रदेश अध्यक्ष मुख्यमंत्री के खिलाफ. तू-तू,मैं-मैं, का खेल इस कदर बढ़ गया है कि पार्टी आलाकमान के बार-बार हस्तक्षेप के बावजूद भी नेताओं पर कोई फर्क पड़ता नजर नहीं आ रहा और इसका पूरा-पूरा फायदा भाजपा को मिल रहा है.

वैसे भी एक कहावत है कि बिल्ली के भाग से छींका फूटा. यही हाल पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बीच चल रही तू-तू मैं-मैं के हालात से बने राजनीतिक असंतुलन में भाजपा का है.

एक तरफ पार्टी में चल रहे अंदरूनी घमासान ने पंजाब सरकार और संगठन को जहां तार-तार कर दिया है, वहीं पंजाब में विपक्षी पार्टी, शिरोमणि अकाली दल और बीजेपी को कांग्रेस पर हमला बोल ही रहे हैं, लेकिन अब अब भाजपा के केंद्रीय नेता भी सीधे-सीधे कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व पर सवाल उठा रहे हैं और उन्हें एक फेल नेतृत्व का तगमा दे रहे हैं.

भाजपा ने इससे पहले भी सीधे तौर पर राहुल गांधी को एक असफल नेता करार देते हुए यह आरोप लगाए थे कि वह अपनी पार्टी के अंदर चल रहे घमासान को ही जब संभाल नहीं पा रहे ऐसे में वह देश की कुर्सी पर सत्तासीन होने की कैसे ख्वाब देख रहे हैं और एक बार फिर भाजपा ने इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस पर आक्रमण किया है.

बीजेपी नेता सुदेश वर्मा ने ईटीवी से बात करते हुए सीधे कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए कहा है कि राहुल गांधी के बस में कुछ नहीं है और आज, यह पहली बार जनता ने राजनीति में देखा होगा कि किस तरह से कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व ही अपनी सरकार को डिस्टेबलाइज करने का प्रयास कर रहा है. उन्होंने कहा कि अमरिंदर सिंह जो एक मंझे हुए नेता हैं, पंजाब की सत्ता संभाल रहे थे, लेकिन वहां पर कमजोर नेतृत्व को भेजकर शीर्ष नेतृत्व ने अपनी खुद की सरकार को विस्थापित करने की कोशिश की है.

भाजपा नेता सुदेश वर्मा का बयान.

वर्मा ने यह भी आरोप लगाया कि इससे यह बात साबित होती है कि कांग्रेस कितने निचले स्तर पर राजनीति में पहुंच चुकी है भाजपा नेता ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की वजह से ही राजस्थान में और छत्तीसगढ़ में भी यही स्थिति पैदा हुई. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने आरोप लगाया कि राजस्थान में बीजेपी की वजह से सरकार में दिक्कत आई मगर वास्तविकता यह है कि वहां अंदरूनी कलह इतनी ज्यादा बढ़ गई थी कि नेता पार्टी से बगावत पर उतारू थे.

इसी तरह छत्तीसगढ़ में पार्टी ने कुछ वायदा किया था, लेकिन उसको पूरा नहीं किया. उन्होंने कहा कि लीडरशिप का मतलब क्या होता है लोगों के बीच सामंजस्य बिठाना मगर पार्टी की राज्य इकाई अंदरूनी कलह से जूझ रही है और इसमें लीडरशिप की कमी है.

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी तो अपने नेताओं से मिलने को ही तैयार नहीं होते. आज जो असम के मुख्यमंत्री हैं, हेमंत विश्व शर्मा, उन्होंने भी इसीलिए पार्टी छोड़ी थी क्योंकि जब वो राहुल गांधी से मिलने गए थे तो राहुल गांधी अपने कुत्ते को बिस्किट खिला रहे थे और उन्हें अपने नेता से मिलने की कोई इच्छा नहीं थी. यदि राहुल गांधी उस समय चाहते तो अपने असम के नेता को मना कर समझा-बुझाकर पार्टी नहीं छोड़ने पर तैयार कर सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नही किया और आज ,वह बीजेपी में आए और आज वह मुख्यमंत्री हैं.

यह भी पढ़ें- ओबीसी बिल- भाजपा के लिए होगी गेमचेंजर, बनाई खास रणनीति

इसीलिए काबिल नेतृत्व को यदि आप शाबाशी नहीं देंगे और उनके साथ मिलकर खड़े नहीं होंगे और सिर्फ गांधी परिवार को संतुष्ट करने की कोशिश करते रहेंगे तो पार्टी में घमासान होगा ही. उन्होंने कहा कि यदि कांग्रेस यह सोच रखेगी कि वही मुख्यमंत्री बन सकता है, जो गांधी परिवार का खास हो, उनका चमचा हो ,बीजेपी नेता ने यहां तक आरोप लगा दिया कि कांग्रेस में क्रेडिबिलिटी कोई मायने नहीं रखती आप गांधी परिवार के कितने बड़े चमचे हैं. आप के मुख्यमंत्री बनने की यह सबसे बड़ी पात्रता होती है. इसीलिए कांग्रेस की संभावना नहीं है कि वह दोबारा अपना जनाधार वापस ले पाएगी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को इन तमाम चीजों से बाहर आने की जरूरत है, तभी वह एक मजबूत विपक्ष के रूप में उभर सकती है.

नई दिल्ली : पंजाब की कांग्रेस सरकार और संगठन नेतृत्व के बीच चल रही तनातनी अब किसी से छुपी नहीं है, कभी पंजाब के मुख्यमंत्री प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ बयान देते हैं, तो कभी प्रदेश अध्यक्ष मुख्यमंत्री के खिलाफ. तू-तू,मैं-मैं, का खेल इस कदर बढ़ गया है कि पार्टी आलाकमान के बार-बार हस्तक्षेप के बावजूद भी नेताओं पर कोई फर्क पड़ता नजर नहीं आ रहा और इसका पूरा-पूरा फायदा भाजपा को मिल रहा है.

वैसे भी एक कहावत है कि बिल्ली के भाग से छींका फूटा. यही हाल पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बीच चल रही तू-तू मैं-मैं के हालात से बने राजनीतिक असंतुलन में भाजपा का है.

एक तरफ पार्टी में चल रहे अंदरूनी घमासान ने पंजाब सरकार और संगठन को जहां तार-तार कर दिया है, वहीं पंजाब में विपक्षी पार्टी, शिरोमणि अकाली दल और बीजेपी को कांग्रेस पर हमला बोल ही रहे हैं, लेकिन अब अब भाजपा के केंद्रीय नेता भी सीधे-सीधे कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व पर सवाल उठा रहे हैं और उन्हें एक फेल नेतृत्व का तगमा दे रहे हैं.

भाजपा ने इससे पहले भी सीधे तौर पर राहुल गांधी को एक असफल नेता करार देते हुए यह आरोप लगाए थे कि वह अपनी पार्टी के अंदर चल रहे घमासान को ही जब संभाल नहीं पा रहे ऐसे में वह देश की कुर्सी पर सत्तासीन होने की कैसे ख्वाब देख रहे हैं और एक बार फिर भाजपा ने इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस पर आक्रमण किया है.

बीजेपी नेता सुदेश वर्मा ने ईटीवी से बात करते हुए सीधे कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए कहा है कि राहुल गांधी के बस में कुछ नहीं है और आज, यह पहली बार जनता ने राजनीति में देखा होगा कि किस तरह से कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व ही अपनी सरकार को डिस्टेबलाइज करने का प्रयास कर रहा है. उन्होंने कहा कि अमरिंदर सिंह जो एक मंझे हुए नेता हैं, पंजाब की सत्ता संभाल रहे थे, लेकिन वहां पर कमजोर नेतृत्व को भेजकर शीर्ष नेतृत्व ने अपनी खुद की सरकार को विस्थापित करने की कोशिश की है.

भाजपा नेता सुदेश वर्मा का बयान.

वर्मा ने यह भी आरोप लगाया कि इससे यह बात साबित होती है कि कांग्रेस कितने निचले स्तर पर राजनीति में पहुंच चुकी है भाजपा नेता ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की वजह से ही राजस्थान में और छत्तीसगढ़ में भी यही स्थिति पैदा हुई. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने आरोप लगाया कि राजस्थान में बीजेपी की वजह से सरकार में दिक्कत आई मगर वास्तविकता यह है कि वहां अंदरूनी कलह इतनी ज्यादा बढ़ गई थी कि नेता पार्टी से बगावत पर उतारू थे.

इसी तरह छत्तीसगढ़ में पार्टी ने कुछ वायदा किया था, लेकिन उसको पूरा नहीं किया. उन्होंने कहा कि लीडरशिप का मतलब क्या होता है लोगों के बीच सामंजस्य बिठाना मगर पार्टी की राज्य इकाई अंदरूनी कलह से जूझ रही है और इसमें लीडरशिप की कमी है.

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी तो अपने नेताओं से मिलने को ही तैयार नहीं होते. आज जो असम के मुख्यमंत्री हैं, हेमंत विश्व शर्मा, उन्होंने भी इसीलिए पार्टी छोड़ी थी क्योंकि जब वो राहुल गांधी से मिलने गए थे तो राहुल गांधी अपने कुत्ते को बिस्किट खिला रहे थे और उन्हें अपने नेता से मिलने की कोई इच्छा नहीं थी. यदि राहुल गांधी उस समय चाहते तो अपने असम के नेता को मना कर समझा-बुझाकर पार्टी नहीं छोड़ने पर तैयार कर सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नही किया और आज ,वह बीजेपी में आए और आज वह मुख्यमंत्री हैं.

यह भी पढ़ें- ओबीसी बिल- भाजपा के लिए होगी गेमचेंजर, बनाई खास रणनीति

इसीलिए काबिल नेतृत्व को यदि आप शाबाशी नहीं देंगे और उनके साथ मिलकर खड़े नहीं होंगे और सिर्फ गांधी परिवार को संतुष्ट करने की कोशिश करते रहेंगे तो पार्टी में घमासान होगा ही. उन्होंने कहा कि यदि कांग्रेस यह सोच रखेगी कि वही मुख्यमंत्री बन सकता है, जो गांधी परिवार का खास हो, उनका चमचा हो ,बीजेपी नेता ने यहां तक आरोप लगा दिया कि कांग्रेस में क्रेडिबिलिटी कोई मायने नहीं रखती आप गांधी परिवार के कितने बड़े चमचे हैं. आप के मुख्यमंत्री बनने की यह सबसे बड़ी पात्रता होती है. इसीलिए कांग्रेस की संभावना नहीं है कि वह दोबारा अपना जनाधार वापस ले पाएगी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को इन तमाम चीजों से बाहर आने की जरूरत है, तभी वह एक मजबूत विपक्ष के रूप में उभर सकती है.

Last Updated : Sep 2, 2021, 9:41 PM IST
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