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नाम परिवर्तन की राजनीति : भाजपा ने कहा- नाम ऐसा हो जो बढ़ाए राष्ट्र का स्वाभिमान, कांग्रेस ने किया कटाक्ष

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Published : Nov 22, 2021, 9:15 PM IST

प्रदेश की राजनीति इन दिनों नामकरण और नाम बदलने के इर्द-गिर्द घूम रही है. बीजेपी (BJP) जहां इसे जायज ठहराते हुए राष्ट्र के स्वाभिमान को बढ़ाने की बात कर रही है. वहीं कांग्रेस (Congress) की दलील है कि काम किया होता तो नाम बदलने की राजनीति नहीं करनी पड़ती.

MP में
MP में

भोपाल : नेम चेंज पॉलिटिक्स मध्यप्रदेश में इन दिनों इस कदर हावी है कि कुछ नाम बदले गए तो कुछ नामों को बदलने की मांग उठने का सिलसिला लगातार जारी है. भोपाल का ही नहीं बल्कि इंदौर, ग्वालियर और होशंगाबाद के साथ ही जबलपुर स्थित कई जगहों का नाम बदलने की मांग लगातार उठती रही है.

राजधानी भोपाल में हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने हबीबगंज रेलवे स्टेशन (Habibganj railway station) का नाम बदलकर रानी कमलापति (Rani KamlaPati) के नाम कर इसका विधिवत उद्घाटन किया था. इसके बाद ही यहां हबीबगंज पुलिस स्टेशन (Habibganj Police station) का नाम बदलने की भी मांग उठी, जिस पर गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि सरकार इस पर विचार कर रही है.

नाम परिवर्तन की राजनीति

राजधानी में कई जगहों के नाम बदलने की डिमांड

हाल ही में संस्कृति बचाओ मंच ने नवाब काल की याद दिलाने वाले हमीदिया अस्पताल (Hamidia Hospital) और सुल्तानिया जनाना अस्पताल का नाम बदलने की मांग रखी थी. इसके साथ ही सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने भोपाल के इस्लाम नगर, लालघाटी ,हलाली डैम और हलालपुर बस स्टैंड का नाम बदलने की मांग उठाई थी. इनका कहना है कि यह नाम मुस्लिम शासकों के नाम पर रखे गए थे.

पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती हलाली डैम का नाम बदलने जाने की मांग कर चुकी हैं, वहीं पूर्व प्रोटेम स्पीकर विधायक रामेश्वर शर्मा ने भी ईदगाह हिल्स का नाम बदलकर गुरु नानक टेकरी (Guru Nanak Tekri) किए जाने की मांग की थी. भोपाल के उपनगर बैरागढ़ का नाम पहले ही बदलकर संत हिरदाराम नगर कर दिया गया है. मध्य प्रदेश सरकार ने होशंगाबाद संभाग का नाम बदलकर नर्मदा पुरम संभाग तो कर दिया है लेकिन होशंगाबाद शहर अभी नाम बदले जाने की फेहरिस्त में शामिल है. होशंगाबाद का नाम नर्मदा पुरम करने की घोषणा भी शिवराज सरकार द्वारा की जा चुकी है.

कांग्रेस ने उठाई थी इन शहरों का नाम बदलने की मांग

मध्य प्रदेश में नाम बदलने की राजनीति में वैसे तो भाजपा आगे है, लेकिन इसमें कांग्रेस भी पीछे नहीं रही है. पिछले साल रानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि पर कांग्रेस नेताओं ने ग्वालियर का नाम लक्ष्मी बाई नगर करने की मांग उठाई थी. वहीं कांग्रेस नेता सज्जन सिंह वर्मा ने इंदौर शहर का नाम देवी अहिल्या बाई नगर रखने रखे जाने की मांग की थी.

जहां भी जरूरत होगी बदले जाएंगे नाम- भाजपा

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता महेंद्र सिंह सोलंकी का कहना है कि नाम बिल्कुल बदले जाने चाहिए. यदि कोई नाम गुलामी ,अपमान और आसम्मान का प्रतीक हो तो उसे जरूर बदला जाना चाहिए. देश में किसी भी संस्था या संस्थान का नाम इस प्रकार से रखा जाना चाहिए जो राष्ट्र के स्वाभिमान को बढ़ाता है और राष्ट्र के प्रतिमान के अनुरूप हो, साथ ही सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का समर्थन करता हो. सोलंकी ने कहा कि हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति स्टेशन करने के लिए मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करता हूं.

भाजपा नाम बदलने की कर रही गंदी राजनीति-कांग्रेस

इधर कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा का कहना है कि जिन्होंने काम नहीं किया है,उनको नाम बदल कर एक गंदी राजनीति परोसने की आदत हो चुकी है. यदि काम की इतनी लंबी लकीर खींच दे तो नाम छोटा हो सकता है, लेकिन सरकार और उसकी विचारधारा की रूचि सांप्रदायिकता और वैमनस्यता फैलाने में है.

बेहतर होगा कि सरकार सार्थक कामों में रुचि ले. कांग्रेस के नाम बदलने की राजनीति में शामिल होने पर मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस ने आज तक नाम बदलने को लेकर कोई भी अधिकृत बयान पार्टी की तरफ से नहीं दिया है. इंदौर और ग्वालियर का नाम बदलने के लिए व्यक्तिगत राय हो सकती है, पार्टी की नहीं.

भोपाल : नेम चेंज पॉलिटिक्स मध्यप्रदेश में इन दिनों इस कदर हावी है कि कुछ नाम बदले गए तो कुछ नामों को बदलने की मांग उठने का सिलसिला लगातार जारी है. भोपाल का ही नहीं बल्कि इंदौर, ग्वालियर और होशंगाबाद के साथ ही जबलपुर स्थित कई जगहों का नाम बदलने की मांग लगातार उठती रही है.

राजधानी भोपाल में हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने हबीबगंज रेलवे स्टेशन (Habibganj railway station) का नाम बदलकर रानी कमलापति (Rani KamlaPati) के नाम कर इसका विधिवत उद्घाटन किया था. इसके बाद ही यहां हबीबगंज पुलिस स्टेशन (Habibganj Police station) का नाम बदलने की भी मांग उठी, जिस पर गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि सरकार इस पर विचार कर रही है.

नाम परिवर्तन की राजनीति

राजधानी में कई जगहों के नाम बदलने की डिमांड

हाल ही में संस्कृति बचाओ मंच ने नवाब काल की याद दिलाने वाले हमीदिया अस्पताल (Hamidia Hospital) और सुल्तानिया जनाना अस्पताल का नाम बदलने की मांग रखी थी. इसके साथ ही सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने भोपाल के इस्लाम नगर, लालघाटी ,हलाली डैम और हलालपुर बस स्टैंड का नाम बदलने की मांग उठाई थी. इनका कहना है कि यह नाम मुस्लिम शासकों के नाम पर रखे गए थे.

पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती हलाली डैम का नाम बदलने जाने की मांग कर चुकी हैं, वहीं पूर्व प्रोटेम स्पीकर विधायक रामेश्वर शर्मा ने भी ईदगाह हिल्स का नाम बदलकर गुरु नानक टेकरी (Guru Nanak Tekri) किए जाने की मांग की थी. भोपाल के उपनगर बैरागढ़ का नाम पहले ही बदलकर संत हिरदाराम नगर कर दिया गया है. मध्य प्रदेश सरकार ने होशंगाबाद संभाग का नाम बदलकर नर्मदा पुरम संभाग तो कर दिया है लेकिन होशंगाबाद शहर अभी नाम बदले जाने की फेहरिस्त में शामिल है. होशंगाबाद का नाम नर्मदा पुरम करने की घोषणा भी शिवराज सरकार द्वारा की जा चुकी है.

कांग्रेस ने उठाई थी इन शहरों का नाम बदलने की मांग

मध्य प्रदेश में नाम बदलने की राजनीति में वैसे तो भाजपा आगे है, लेकिन इसमें कांग्रेस भी पीछे नहीं रही है. पिछले साल रानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि पर कांग्रेस नेताओं ने ग्वालियर का नाम लक्ष्मी बाई नगर करने की मांग उठाई थी. वहीं कांग्रेस नेता सज्जन सिंह वर्मा ने इंदौर शहर का नाम देवी अहिल्या बाई नगर रखने रखे जाने की मांग की थी.

जहां भी जरूरत होगी बदले जाएंगे नाम- भाजपा

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता महेंद्र सिंह सोलंकी का कहना है कि नाम बिल्कुल बदले जाने चाहिए. यदि कोई नाम गुलामी ,अपमान और आसम्मान का प्रतीक हो तो उसे जरूर बदला जाना चाहिए. देश में किसी भी संस्था या संस्थान का नाम इस प्रकार से रखा जाना चाहिए जो राष्ट्र के स्वाभिमान को बढ़ाता है और राष्ट्र के प्रतिमान के अनुरूप हो, साथ ही सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का समर्थन करता हो. सोलंकी ने कहा कि हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति स्टेशन करने के लिए मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करता हूं.

भाजपा नाम बदलने की कर रही गंदी राजनीति-कांग्रेस

इधर कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा का कहना है कि जिन्होंने काम नहीं किया है,उनको नाम बदल कर एक गंदी राजनीति परोसने की आदत हो चुकी है. यदि काम की इतनी लंबी लकीर खींच दे तो नाम छोटा हो सकता है, लेकिन सरकार और उसकी विचारधारा की रूचि सांप्रदायिकता और वैमनस्यता फैलाने में है.

बेहतर होगा कि सरकार सार्थक कामों में रुचि ले. कांग्रेस के नाम बदलने की राजनीति में शामिल होने पर मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस ने आज तक नाम बदलने को लेकर कोई भी अधिकृत बयान पार्टी की तरफ से नहीं दिया है. इंदौर और ग्वालियर का नाम बदलने के लिए व्यक्तिगत राय हो सकती है, पार्टी की नहीं.

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