तमिलनाडु : तूतुकुड़ी जिले के तत्तापराई थाने के पास एंथनी पांडियन और श्यामराज की 29 अक्टूबर 2013 को वैतुकुलम के पास बेरहमी से हत्या कर दी गई थी. इस घटना के सिलसिले में चार लोगों- येसुदास, इमैनुएल, वरदराजन और परमशिवम को गिरफ्तार किया गया था.
येसुदास और इंस्पेक्टर सेल्वम में पहले से थी दुश्मनी
डबल मर्डर केस में इमैनुएल व येसुदास की गिरफ्तारी का मुख्य कारण उनके व इंस्पेक्टर सेल्वम के बीच दुश्मनी को माना जाता है. इमैनुएल की सास, पिच्यम्मा के पास 36 लाख रुपये की जमीन थी. 2013 में इंस्पेक्टर सेल्वम ने एंथनी पांडियन को उसे 10 लाख रुपये में बेचने के लिए दबाव डाला था. एक पंचायत में येसुदास ने इमैनुएल को इस संबंध में इंस्पेक्टर सेल्वम के खिलाफ सलाह दी थी. सेल्वम तब से येसुदास से नाराज था.
ऐसे माहौल में, एंथनी पांडियन और उसके दोस्त श्यामराज की अज्ञात गिरोह के सदस्यों ने 29 अक्टूबर (2013) को हत्या कर दी थी. इस मौके का फायदा उठाते हुए येसुदास से बदला लेने के लिए सेल्वम ने येसुदास और उनके करीबी सहयोगियों, इमैनुएल, वरदराजन और परमशिवम को डबल मर्डर केस में फंसा दिया.
लॉकअप में टार्चर
29 अक्टूबर, (2013) को सुबह एक अन्य निरीक्षक डबल मर्डर केस में येसुदास को गिरफ्तार करने आया था. येसुदास को गिरफ्तार करने के बाद रास्ते में उन्हें इंस्पेक्टर सेल्वम को सौंप दिया गया, जो थाटापराई थाने के प्रभारी थे.
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येसुदास ने बताई लॉकअप में टार्चर की कहानी
इंस्पेक्टर सेल्वम ने कहा, 'अगर तुमने मेरी बात सुनी होती तो ऐसा कुछ नहीं होता.' येसुदास ने बताया, 'एक बार जब मैं पुदुक्कोट्टई पुलिस स्टेशन के अंदर गया, तो मुझे इतनी यातनाएं दी गईं कि मैं आज तक एक कान से नहीं सुन पा रहा हूं. उन्होंने मुझे डंडे से बेरहमी से तब तक पीटा, जब तक कि उनके तीन लाठियां टूट नहीं गईं.
येसुदास ने बताया, 'मुझे 2 फरवरी, 2014 को जमानत दी गई थी. मैंने सरकारी अस्पताल में खून की उल्टी की और 90 दिनों तक क्रूर यातना झेली. मुझे यह कहते हुए गर्व महसूस हो रहा है कि पुलिस के पिटाई के बाद भी मैं जिंदा हूं.'
डबल मर्डर केस में फिर से सुनवाई
येसुदास सहित चार अन्य आरोपियों ने मामले की फिर से जांच करने के लिए मदुरै शाखा में याचिका दायर की. याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने मामले की फिर से जांच करने का आदेश दिया. उसके बाद थात्पाराई के निरीक्षक फेलिक्स सुरेश पीटर ने फिर से जांच रिपोर्ट दायर की. 27 मई 2015 को मामले में असली दोषियों के नाम जोड़े गए और येसुदास सहित चार पुरुषों को बरी कर दिया गया.
येसुदास के भाग्य में क्या
येसुदास को 2013 में डबल मर्डर केस में गिरफ्तार किया गया था. 2015 में उन्हें बरी कर दिया गया, लेकिन क्या इस समाज ने उन्हें स्वीकार किया? किसी ने भी उन्हें कोई वित्तीय सहायता नहीं दी. केरल में एक निजी वित्तीय संस्थान में येसुदास कैशियर थे, उनकी नौकरी छूट गई. पिछले छह सालों से उनके पास नौकरी नहीं है. पुलिस की बर्बरता के कारण उनको कोई नौकरी देने को तैयार नहीं है.
येसुदास ने राजकोषीय राहत के लिए अदालत में अर्जी दी थी. आज तक उन्हें कोई सहायता नहीं मिली और मामले को कोरोना स्थिति के कारण टाल दिया गया. वह अपने लिए न्याय की प्रतीक्षा कर रहे हैं. क्या येसुदास को न्याय मिलेगा.