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राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों की पैरोल अर्जी का विरोध क्यों कर रही है राज्य सरकार : अदालत

मद्रास उच्च न्यायालय ने आश्चर्य जताया कि मंत्रिमंडल मामले के सभी सात दोषियों को रिहा करने की सिफारिश कर चुका है तो फिर सरकार पैरोल अर्जी का विरोध क्यों कर रही है.

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Published : Aug 3, 2020, 11:01 PM IST

Updated : Aug 4, 2020, 7:02 AM IST

चेन्नई : मद्रास उच्च न्यायालय ने सोमवार को आश्चर्य जताया कि तमिलनाडु सरकार राजीव गांधी हत्याकांड के दोषी एजी पेरारीवलन की पैरोल अर्जी का तीखा विरोध क्यों कर रही है. जबकि मंत्रिमंडल ने मामले के सभी सात दोषियों को रिहा करने की सिफारिश कर चुका है.

न्यायमूर्ति एन. किरुबाकरण और न्यायमूर्ति वी.एम. वेलुमणि की खंडपीठ ने सरकारी वकील ए. नटराजन से कहा, 'आपके मंत्रिमंडल ने पूरी तरह से रिहाई की सिफारिश की है. फिर आप उनके एक महीने की पैरोल अर्जी का विरोध क्यों कर रहे हैं. सिर्फ विरोध करने के लिए विरोध ना करें.'

पढ़ेंः अवमानना मामले में प्रशांत भूषण की दलील, कहा- अदालत नहीं हैं मुख्य न्यायाधीश

नटराजन ने कहा कि वह सिर्फ विरोध करने के लक्ष्य से ऐसा नहीं कर रहे हैं, बल्कि आवेदक के पास पैरोल के लिए कोई वैध कारण होना चाहिए.

उन्होंने कहा, 'वह पिछले साल भी जेल के नियमों के तहत बाहर निकले थे. एक कैदी तीन साल के बाद ही अगला पैरोल पाने का पात्र बनता है.'

उन्होंने कहा, 'इसके अलावा जेल के डॉक्टर ने अपनी रिपोर्ट में यह स्पष्ट लिखा है कि कैदी को काफी बीमारियां हुईं, लेकिन फिलहाल उसका इलाज चल रहा है और उसकी हालत स्थिर है.'

पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मामले की सुनवाई 12 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी.

चेन्नई : मद्रास उच्च न्यायालय ने सोमवार को आश्चर्य जताया कि तमिलनाडु सरकार राजीव गांधी हत्याकांड के दोषी एजी पेरारीवलन की पैरोल अर्जी का तीखा विरोध क्यों कर रही है. जबकि मंत्रिमंडल ने मामले के सभी सात दोषियों को रिहा करने की सिफारिश कर चुका है.

न्यायमूर्ति एन. किरुबाकरण और न्यायमूर्ति वी.एम. वेलुमणि की खंडपीठ ने सरकारी वकील ए. नटराजन से कहा, 'आपके मंत्रिमंडल ने पूरी तरह से रिहाई की सिफारिश की है. फिर आप उनके एक महीने की पैरोल अर्जी का विरोध क्यों कर रहे हैं. सिर्फ विरोध करने के लिए विरोध ना करें.'

पढ़ेंः अवमानना मामले में प्रशांत भूषण की दलील, कहा- अदालत नहीं हैं मुख्य न्यायाधीश

नटराजन ने कहा कि वह सिर्फ विरोध करने के लक्ष्य से ऐसा नहीं कर रहे हैं, बल्कि आवेदक के पास पैरोल के लिए कोई वैध कारण होना चाहिए.

उन्होंने कहा, 'वह पिछले साल भी जेल के नियमों के तहत बाहर निकले थे. एक कैदी तीन साल के बाद ही अगला पैरोल पाने का पात्र बनता है.'

उन्होंने कहा, 'इसके अलावा जेल के डॉक्टर ने अपनी रिपोर्ट में यह स्पष्ट लिखा है कि कैदी को काफी बीमारियां हुईं, लेकिन फिलहाल उसका इलाज चल रहा है और उसकी हालत स्थिर है.'

पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मामले की सुनवाई 12 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी.

Last Updated : Aug 4, 2020, 7:02 AM IST
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