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उल्फा (आई) के डिप्टी कमांडर दृष्टि राजखोवा का मेघालय में आत्मसमर्पण - राजखोवा का मेघालय में आत्मसमर्पण

प्रतिबंधित संगठन उल्फा (आई) के हार्डकोर नेता दृष्टि राजखोवा ने मेघालय में आत्मसमर्पण कर दिया है. मनोज राव उर्फ दृष्टि राजखोवा उल्फा (स्वतंत्र) के थल सेनाध्यक्ष थे.

दृष्टि राजखोवा ने किया सरेंडर
दृष्टि राजखोवा ने किया सरेंडर
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Published : Nov 12, 2020, 7:44 AM IST

Updated : Nov 12, 2020, 10:19 AM IST

गुवाहाटी : उल्फा (आई) के मोस्ट वांटेड नेता परेश बरुआ के निकटतम माने जाने वाले दृष्टि राजखोवा और चार लोगों ने सरेंडर कर दिया है. माना जा रहा है कि इससे उल्फा (स्वतंत्र) शिविर को बड़ा झटका लगा है.

दरअसल, उल्फा (आई) के उप सेना प्रमुख मनोज रावा उर्फ दृष्टि राजखोवा ने मेघालय में आत्मसमर्पण कर दिया है. मेघालय में सरेंडर करने के बाद दृष्टि अब असम पुलिस की हिरासत में हैं. असम पुलिस दृष्टि को मेघालय से लेकर गुवाहाटी लौट रही है.

rajakhowa
डिप्टी कमांडर दृष्टि राजखोवा के अलावा चार और लोगों ने किया सरेंडर

पढ़ें : बिहार के बाहुबली विधायक अनंत सिंह ने साकेत कोर्ट में किया सरेंडर

सूत्रों के मुताबिक, उल्फा (आई) नेता दृष्टि राजखोवा 2018 से अपने स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों के कारण मेघालय से बाहर हैं. कहा जा रहा है कि वह गंभीर स्वास्थ्य मुद्दों से पीड़ित हैं. दिलचस्प है कि उल्फा (आई) नेता दृष्टि राजखोवा सेना प्रमुख परेश बरुआ के बहुत करीबी थे.

एक सुरक्षा विशेषज्ञ ने कहा कि राजखोआ के समर्पण से उग्रवादी संगठन को बड़ा झटका लगा है. गौरतलब है कि उल्फा (आई) संप्रभु और स्वतंत्र असम की मांग करता रहा है. सरकार ने 1990 में संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया था.

गुवाहाटी : उल्फा (आई) के मोस्ट वांटेड नेता परेश बरुआ के निकटतम माने जाने वाले दृष्टि राजखोवा और चार लोगों ने सरेंडर कर दिया है. माना जा रहा है कि इससे उल्फा (स्वतंत्र) शिविर को बड़ा झटका लगा है.

दरअसल, उल्फा (आई) के उप सेना प्रमुख मनोज रावा उर्फ दृष्टि राजखोवा ने मेघालय में आत्मसमर्पण कर दिया है. मेघालय में सरेंडर करने के बाद दृष्टि अब असम पुलिस की हिरासत में हैं. असम पुलिस दृष्टि को मेघालय से लेकर गुवाहाटी लौट रही है.

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सूत्रों के मुताबिक, उल्फा (आई) नेता दृष्टि राजखोवा 2018 से अपने स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों के कारण मेघालय से बाहर हैं. कहा जा रहा है कि वह गंभीर स्वास्थ्य मुद्दों से पीड़ित हैं. दिलचस्प है कि उल्फा (आई) नेता दृष्टि राजखोवा सेना प्रमुख परेश बरुआ के बहुत करीबी थे.

एक सुरक्षा विशेषज्ञ ने कहा कि राजखोआ के समर्पण से उग्रवादी संगठन को बड़ा झटका लगा है. गौरतलब है कि उल्फा (आई) संप्रभु और स्वतंत्र असम की मांग करता रहा है. सरकार ने 1990 में संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया था.

Last Updated : Nov 12, 2020, 10:19 AM IST
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