ETV Bharat / bharat

बड़े परिवर्तनों से ही हासिल होगा 40 करोड़ नौजवानों के कौशल विकास का लक्ष्य

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना कौशल विकास कार्यक्रम का तीसरा चरण शुक्रवार से शुरू हो गया. यह दावा किया जा रहा है कि तीसरे चरण की योजना पहले दो चरणों में मिले अनुभवों के आधार पर बनाई गई है. यह चरण कोविड-19 महामारी से उत्पन्न बदली हुई परिस्थितियों के अनुसार होगा. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि पहले दो चरणों के दौरान क्या सीखा गया और क्या नया पाठ तैयार किया गया? पढ़ें यह सारगर्भित रिपोर्ट...

skill india
skill india
author img

By

Published : Jan 16, 2021, 6:04 PM IST

हैदराबाद : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जुलाई 2015 में कौशल विकास योजना की शुरुआत की थी, जिसमें भारत को कुशल मानव संसाधनों की राजधानी बनाने की घोषणा की गई थी. उस समय मंत्रियों और सरकारी अधिकारियों द्वारा शानदार घोषणा हुई कि 1500 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर 24 लाख लोगों को कौशल विकास कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण दिया जाएगा. दूसरे चरण में (2016-2020 के बीच) 12,000 करोड़ रुपये की लागत से अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार कौशल विकास प्रशिक्षण का विस्तार करने की योजना बनाई गई थी.

विकास के क्रम में अब कौशल विकास योजना का तीसरा चरण कल शुरू हुआ. यह दावा किया जा रहा है कि तीसरे चरण की योजना पहले दो चरणों में मिले अनुभवों के आधार पर बनाई गई है. यह चरण कोविड-19 महामारी से उत्पन्न बदली हुई परिस्थितियों के अनुसार होगा. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि पहले दो चरणों के दौरान क्या सीखा गया और क्या नया पाठ तैयार किया गया?

कथनी और करनी में कितना अंतर

हाल ही में एसोचैम की एक बैठक में केंद्रीय मंत्री राजकुमार सिंह ने स्वीकार किया कि कौशल विकास योजना के 90 लाख लाभार्थी पहले दो चरणों में थे और केवल 30-35 लाख लोगों को कौशल विकास प्रशिक्षण मिलने के बाद रोजगार हासिल हुआ. यह भी विश्लेषण किया जा रहा है कि इस योजना के तहत केवल 72 लाख लाभार्थियों को प्रशिक्षित किया गया था और उनमें से केवल 15 लाख को ही नौकरी मिली. आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि योजना पर मात्र 6000 करोड़ रुपये खर्च किए गए. यह स्पष्ट रूप से कथनी और करनी के बीच की खाई को दर्शाता है.

600 जिलों में तीसरे चरण की योजना

तीसरे चरण में यह योजना 600 जिलों में शुरू होने जा रही है और 948 करोड़ रुपये की लागत से 8 लाख लोगों को कवर करने की उम्मीद है. इस गति से सरकार 40 करोड़ लोगों को कुशल व्यक्तियों में बदलने के अपने लक्ष्य को कब हासिल कर पाएगी? जैसा कि शारदा प्रसाद समिति ने प्रशिक्षण के दिशा-निर्देशों और इसके परिणामों की घोषणा करने के पैटर्न पर सवाल उठाया है. साथ ही रोजगार योग्य मानव संसाधन बनाने के लिए अभ्यास को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया है.

दुनिया के बीच कहां ठहरते हैं हम

यहां इस पृष्ठभूमि का उल्लेख करना जरूरी है कि एक जापानी व्यक्ति की औसत आयु 48 वर्ष है. एक अमेरिकी की औसत आयु 46 वर्ष, एक यूरोपीय की आयु 42 और भारतीय की औसत आयु 27 वर्ष है. देश की लगभग 62 प्रतिशत जनसंख्या 15 से 59 वर्ष के बीच है, जो भारत की प्राकृतिक शक्ति को दर्शाता है. यद्यपि भारत विशाल मानव संसाधनों का केंद्र है, लेकिन कई संगठन रोजगारपरक कौशल रखने वाले श्रमिकों की भारी कमी को दूर करने का राग अलाप रहे हैं.

यह भी पढ़ें-विश्व का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान आत्मनिर्भर भारत के संकल्प का परिचायक : अमित शाह

वास्तविक हालात क्या कहते हैं

दूसरी ओर हम एक विडंबनापूर्ण स्थिति देखते हैं. जहां डॉक्टरेट धारक और पोस्ट-ग्रेजुएट भी छोटी नौकरियों के लिए कतार में खड़े हैं. यह स्थिति मानव संसाधनों के बड़े पैमाने पर अपव्यय से बचने के लिए योजना में बदलाव की आवश्यकता को बताती है. कौशल विकास योजना के शुभारंभ के चार साल बाद संबंधित मंत्री ने कौशल विकास प्रशिक्षकों के लिए एक अलग डिग्री की वकालत की और अब इस उद्देश्य के लिए एक अलग संस्थान शुरू किया जाएगा, हालांकि उस मोर्चे पर कोई प्रगति नहीं हुई है.

आने वाले समय की चुनौतियां

कोविड-19 संकट ने दुनिया भर को हिलाकर रख दिया है. सबसे बड़ी चुनौती बदली परिस्थितियों में हमारे नौजवानों को औद्योगिक और सेवा क्षेत्रों की जरूरतों के हिसाब से ढालने की है. आने वाले दशकों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का अधिक महत्व होगा. नौकरियों की प्रकृति में बड़ा परिवर्तन होगा, क्योंकि लोगों की जीवनशैली में भी व्यापक बदलाव आएगा. शैक्षिक पाठ्यक्रम को उन परिवर्तनों के अनुकूल बनाने के लिए डिजाइन किया जाना चाहिए, जिनकी जरूरत पड़ने वाली है. शिक्षकों का चयन और उनका प्रशिक्षण भी उसी के अनुसार होना चाहिए.

शिक्षण-प्रशिक्षण में भी हो पारदर्शिता

शिक्षकों के चयन और उनके प्रशिक्षण के लिए जल्द से जल्द एक स्वतंत्र प्रणाली लागू की जानी चाहिए, ताकि वे आने वाली चुनौतियों को स्वीकार कर सकें. उद्योग अपने कर्मचारियों को कौशल प्रदान करने पर कीमती संसाधन खर्च कर रहे हैं. जरूरत है कि शिक्षण परिसर से ही उद्योगों द्वारा मेधावी उम्मीदवारों का चयन करने के लिए उपयोगी शिक्षा का अनुसरण किया जाना चाहिए. इस शानदार रास्ते पर चलने से न केवल हमारे करोड़ों नौजवानों का कौशल बेहतर होगा, बल्कि उनकी पेशेवर जिंदगी को भी उन्नत और समृद्ध बनाया जा सकेगा.

हैदराबाद : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जुलाई 2015 में कौशल विकास योजना की शुरुआत की थी, जिसमें भारत को कुशल मानव संसाधनों की राजधानी बनाने की घोषणा की गई थी. उस समय मंत्रियों और सरकारी अधिकारियों द्वारा शानदार घोषणा हुई कि 1500 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर 24 लाख लोगों को कौशल विकास कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण दिया जाएगा. दूसरे चरण में (2016-2020 के बीच) 12,000 करोड़ रुपये की लागत से अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार कौशल विकास प्रशिक्षण का विस्तार करने की योजना बनाई गई थी.

विकास के क्रम में अब कौशल विकास योजना का तीसरा चरण कल शुरू हुआ. यह दावा किया जा रहा है कि तीसरे चरण की योजना पहले दो चरणों में मिले अनुभवों के आधार पर बनाई गई है. यह चरण कोविड-19 महामारी से उत्पन्न बदली हुई परिस्थितियों के अनुसार होगा. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि पहले दो चरणों के दौरान क्या सीखा गया और क्या नया पाठ तैयार किया गया?

कथनी और करनी में कितना अंतर

हाल ही में एसोचैम की एक बैठक में केंद्रीय मंत्री राजकुमार सिंह ने स्वीकार किया कि कौशल विकास योजना के 90 लाख लाभार्थी पहले दो चरणों में थे और केवल 30-35 लाख लोगों को कौशल विकास प्रशिक्षण मिलने के बाद रोजगार हासिल हुआ. यह भी विश्लेषण किया जा रहा है कि इस योजना के तहत केवल 72 लाख लाभार्थियों को प्रशिक्षित किया गया था और उनमें से केवल 15 लाख को ही नौकरी मिली. आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि योजना पर मात्र 6000 करोड़ रुपये खर्च किए गए. यह स्पष्ट रूप से कथनी और करनी के बीच की खाई को दर्शाता है.

600 जिलों में तीसरे चरण की योजना

तीसरे चरण में यह योजना 600 जिलों में शुरू होने जा रही है और 948 करोड़ रुपये की लागत से 8 लाख लोगों को कवर करने की उम्मीद है. इस गति से सरकार 40 करोड़ लोगों को कुशल व्यक्तियों में बदलने के अपने लक्ष्य को कब हासिल कर पाएगी? जैसा कि शारदा प्रसाद समिति ने प्रशिक्षण के दिशा-निर्देशों और इसके परिणामों की घोषणा करने के पैटर्न पर सवाल उठाया है. साथ ही रोजगार योग्य मानव संसाधन बनाने के लिए अभ्यास को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया है.

दुनिया के बीच कहां ठहरते हैं हम

यहां इस पृष्ठभूमि का उल्लेख करना जरूरी है कि एक जापानी व्यक्ति की औसत आयु 48 वर्ष है. एक अमेरिकी की औसत आयु 46 वर्ष, एक यूरोपीय की आयु 42 और भारतीय की औसत आयु 27 वर्ष है. देश की लगभग 62 प्रतिशत जनसंख्या 15 से 59 वर्ष के बीच है, जो भारत की प्राकृतिक शक्ति को दर्शाता है. यद्यपि भारत विशाल मानव संसाधनों का केंद्र है, लेकिन कई संगठन रोजगारपरक कौशल रखने वाले श्रमिकों की भारी कमी को दूर करने का राग अलाप रहे हैं.

यह भी पढ़ें-विश्व का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान आत्मनिर्भर भारत के संकल्प का परिचायक : अमित शाह

वास्तविक हालात क्या कहते हैं

दूसरी ओर हम एक विडंबनापूर्ण स्थिति देखते हैं. जहां डॉक्टरेट धारक और पोस्ट-ग्रेजुएट भी छोटी नौकरियों के लिए कतार में खड़े हैं. यह स्थिति मानव संसाधनों के बड़े पैमाने पर अपव्यय से बचने के लिए योजना में बदलाव की आवश्यकता को बताती है. कौशल विकास योजना के शुभारंभ के चार साल बाद संबंधित मंत्री ने कौशल विकास प्रशिक्षकों के लिए एक अलग डिग्री की वकालत की और अब इस उद्देश्य के लिए एक अलग संस्थान शुरू किया जाएगा, हालांकि उस मोर्चे पर कोई प्रगति नहीं हुई है.

आने वाले समय की चुनौतियां

कोविड-19 संकट ने दुनिया भर को हिलाकर रख दिया है. सबसे बड़ी चुनौती बदली परिस्थितियों में हमारे नौजवानों को औद्योगिक और सेवा क्षेत्रों की जरूरतों के हिसाब से ढालने की है. आने वाले दशकों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का अधिक महत्व होगा. नौकरियों की प्रकृति में बड़ा परिवर्तन होगा, क्योंकि लोगों की जीवनशैली में भी व्यापक बदलाव आएगा. शैक्षिक पाठ्यक्रम को उन परिवर्तनों के अनुकूल बनाने के लिए डिजाइन किया जाना चाहिए, जिनकी जरूरत पड़ने वाली है. शिक्षकों का चयन और उनका प्रशिक्षण भी उसी के अनुसार होना चाहिए.

शिक्षण-प्रशिक्षण में भी हो पारदर्शिता

शिक्षकों के चयन और उनके प्रशिक्षण के लिए जल्द से जल्द एक स्वतंत्र प्रणाली लागू की जानी चाहिए, ताकि वे आने वाली चुनौतियों को स्वीकार कर सकें. उद्योग अपने कर्मचारियों को कौशल प्रदान करने पर कीमती संसाधन खर्च कर रहे हैं. जरूरत है कि शिक्षण परिसर से ही उद्योगों द्वारा मेधावी उम्मीदवारों का चयन करने के लिए उपयोगी शिक्षा का अनुसरण किया जाना चाहिए. इस शानदार रास्ते पर चलने से न केवल हमारे करोड़ों नौजवानों का कौशल बेहतर होगा, बल्कि उनकी पेशेवर जिंदगी को भी उन्नत और समृद्ध बनाया जा सकेगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.