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सुकमा नक्सली हमले के बाद देखें ईटीवी भारत की ग्रांउड जीरो से रिपोर्ट - ground zero report

सुकमा में हुए नक्सली हमले में 17 जवान शहीद हो गए. जबकि 15 जवान घायल हैं. ईटीवी भारत की टीम ग्रांउड जीरो पर पहुंची.

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प्रतीकात्मक चित्र
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Published : Mar 23, 2020, 12:12 AM IST

सुकमा: शनिवार को सुकमा में कोराजडोंगरी के चिंतागुफा के पास नक्सली हमले में 17 जवान शहीद हो गए. जबकि 15 जवान घायल हैं. शहीद होने वाले जवानों में डीआरजी के 12 जवान और एसटीएफ 5 जवान हैं. करीब 15 जवान घायल हैं. दरअसल चिंतागुफा थाना क्षेत्र के कोराजडोंगरी में शनिवार की सुबह नक्सलियों को खदेड़ने के बाद धोखे में रहे जवान रेंगापारा के जंगल में घात लगाए नक्सलियों के एम्बुश में फंस गए.

नक्सलियों की ओर से हुई जबरदस्त गोलीबारी में जवानों को संभालने का मौका नहीं मिला. देशी मोर्टार और आधुनिक हथियारों से नक्सली लगातार फायरिंग करते रहे. शुरुआती फायरिंग में ही डीआरजी के 5 से 6 जवान मौके पर ही शहीद हो गए. मौके पर मची अफरा-तफरी में कई जवान घायल हो गए. घायलों को मदद करने के बजाए साथी जवान मौके से बच निकले और किश्तों में कैम्प पहुंचे. घटना स्थल पर मदद नहीं मिलने की वजह से भी घायल जवानों की शहादत हो गई.

सुकमा नक्सली हमले पर ईटीवी भारत की ग्रांउड रिपोर्ट

कोराजडोंगरी में सुबह करीब 9.30 बजे जवानों ने नक्सलियों के लिए एम्बुश लगाया. बड़े नक्सली नेताओं की मौजूदगी को सूचना पर तेमालवाड़ा, चिंतागुफा और बुर्कापाल से डीआरजी, एसटीएफ और कोबरा 206 के करीब तीन सौ से ज्यादा जवान शुक्रवार शाम को स्पेशल ऑप्स पर निकले थे. एलमागुंडा गांव में सर्चिंग कर जवानों की टुकड़ी लौट रही थी. इस दौरान कोराजडोंगरी के पास जवानों ने नक्सलियों के लिए एम्बुश प्लान किया. इस दौरान जवानों के एम्बुश में नक्सलियों के बड़े लीडरों को गोली लगी है. जवानों को भारी पड़ता देख नक्सली पीछे हट गए. इधर वापसी के दौरान रेंगापारा के पास नक्सलियों के एंबुश में जवान फंस गये. घटना स्थल से कुछ ही दूरी पर कोबरा 206 की एक टुकड़ी मौजूद थी लेकिन एंबुश में फंसे जवानों को मदद नहीं कर पाई.

एंबुश में फंसे जवानों को सरेंडर करने को कहते रहे नक्सली

सुबह की मुठभेड़ के बाद जवान कैंप की ओर लौट रहे थे. डीआरजी की एक टुकड़ी मिनपा के रेंगापारा से होते हुए बुरकापाल की ओर रवाना हुई. जवान रेंगापारा से करीब डेढ़ किमी दूर चिंतलनार को जोड़ने वाली सड़क पर गश्त करते हुए जा रहे थे. यहां नक्सली पूर्व से ही घात लगाये बैठे हुए थे. जवानों को एंबुश में फंसने दिया उसके बाद ताबड़तोड़ फायरिंग करते हुए देशी मोर्टार दागे. जवान जान बचाने पेड़ों को सहारा लिया लेकिन इससे पहले ही नक्सलियों की गोली का शिकार हो गये. मुठभेड़ में नक्सलियों की पोजिशन बेहद मजबूत थी और जवानों को सरेंडर करने को कहते रहे. मुठभेड़ में फंसे जवानों को मदद करने एसटीएफ और डीआरजी की दूसरी टीम भी जवानों के एंबुश में फंस गई.

पिढ़मेल के बाद मिनपा में हुआ स्टेट पुलिस को बड़ा नुकसान

अप्रैल 2015 में पोलमपल्ली थाना क्षेत्र के पिढ़मेल में राज्य पुलिस को बड़ा नुकसान हुआ था. इस घटना में एसटीएफ के 7 जवान शहीद हो गये थे. पिढ़मेल की घटना के बाद राज्य पुलिस को दूसरा बड़ा नुकसान मिनपा के रेंगापारा में हुआ है. नक्सल मोर्चे पर डीआरजी को सफल माना जाता है. डीआरजी जवानों द्वारा चलाये गये आपरेशन में पुलिस को बड़ी सफलतायें मिली है. लेकिन मिनपा में हुए नक्सली हमले से जवानों के मनोबल को बड़ा धक्का लगा है. यह बड़ी घटना है जहां डीआरजी को नुकसान पहुंचा है.

सुकमा: शनिवार को सुकमा में कोराजडोंगरी के चिंतागुफा के पास नक्सली हमले में 17 जवान शहीद हो गए. जबकि 15 जवान घायल हैं. शहीद होने वाले जवानों में डीआरजी के 12 जवान और एसटीएफ 5 जवान हैं. करीब 15 जवान घायल हैं. दरअसल चिंतागुफा थाना क्षेत्र के कोराजडोंगरी में शनिवार की सुबह नक्सलियों को खदेड़ने के बाद धोखे में रहे जवान रेंगापारा के जंगल में घात लगाए नक्सलियों के एम्बुश में फंस गए.

नक्सलियों की ओर से हुई जबरदस्त गोलीबारी में जवानों को संभालने का मौका नहीं मिला. देशी मोर्टार और आधुनिक हथियारों से नक्सली लगातार फायरिंग करते रहे. शुरुआती फायरिंग में ही डीआरजी के 5 से 6 जवान मौके पर ही शहीद हो गए. मौके पर मची अफरा-तफरी में कई जवान घायल हो गए. घायलों को मदद करने के बजाए साथी जवान मौके से बच निकले और किश्तों में कैम्प पहुंचे. घटना स्थल पर मदद नहीं मिलने की वजह से भी घायल जवानों की शहादत हो गई.

सुकमा नक्सली हमले पर ईटीवी भारत की ग्रांउड रिपोर्ट

कोराजडोंगरी में सुबह करीब 9.30 बजे जवानों ने नक्सलियों के लिए एम्बुश लगाया. बड़े नक्सली नेताओं की मौजूदगी को सूचना पर तेमालवाड़ा, चिंतागुफा और बुर्कापाल से डीआरजी, एसटीएफ और कोबरा 206 के करीब तीन सौ से ज्यादा जवान शुक्रवार शाम को स्पेशल ऑप्स पर निकले थे. एलमागुंडा गांव में सर्चिंग कर जवानों की टुकड़ी लौट रही थी. इस दौरान कोराजडोंगरी के पास जवानों ने नक्सलियों के लिए एम्बुश प्लान किया. इस दौरान जवानों के एम्बुश में नक्सलियों के बड़े लीडरों को गोली लगी है. जवानों को भारी पड़ता देख नक्सली पीछे हट गए. इधर वापसी के दौरान रेंगापारा के पास नक्सलियों के एंबुश में जवान फंस गये. घटना स्थल से कुछ ही दूरी पर कोबरा 206 की एक टुकड़ी मौजूद थी लेकिन एंबुश में फंसे जवानों को मदद नहीं कर पाई.

एंबुश में फंसे जवानों को सरेंडर करने को कहते रहे नक्सली

सुबह की मुठभेड़ के बाद जवान कैंप की ओर लौट रहे थे. डीआरजी की एक टुकड़ी मिनपा के रेंगापारा से होते हुए बुरकापाल की ओर रवाना हुई. जवान रेंगापारा से करीब डेढ़ किमी दूर चिंतलनार को जोड़ने वाली सड़क पर गश्त करते हुए जा रहे थे. यहां नक्सली पूर्व से ही घात लगाये बैठे हुए थे. जवानों को एंबुश में फंसने दिया उसके बाद ताबड़तोड़ फायरिंग करते हुए देशी मोर्टार दागे. जवान जान बचाने पेड़ों को सहारा लिया लेकिन इससे पहले ही नक्सलियों की गोली का शिकार हो गये. मुठभेड़ में नक्सलियों की पोजिशन बेहद मजबूत थी और जवानों को सरेंडर करने को कहते रहे. मुठभेड़ में फंसे जवानों को मदद करने एसटीएफ और डीआरजी की दूसरी टीम भी जवानों के एंबुश में फंस गई.

पिढ़मेल के बाद मिनपा में हुआ स्टेट पुलिस को बड़ा नुकसान

अप्रैल 2015 में पोलमपल्ली थाना क्षेत्र के पिढ़मेल में राज्य पुलिस को बड़ा नुकसान हुआ था. इस घटना में एसटीएफ के 7 जवान शहीद हो गये थे. पिढ़मेल की घटना के बाद राज्य पुलिस को दूसरा बड़ा नुकसान मिनपा के रेंगापारा में हुआ है. नक्सल मोर्चे पर डीआरजी को सफल माना जाता है. डीआरजी जवानों द्वारा चलाये गये आपरेशन में पुलिस को बड़ी सफलतायें मिली है. लेकिन मिनपा में हुए नक्सली हमले से जवानों के मनोबल को बड़ा धक्का लगा है. यह बड़ी घटना है जहां डीआरजी को नुकसान पहुंचा है.

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