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महाराष्ट्र की लापरवाही की कीमत चुका रहा पंजाब : अमरिंदर सिंह

कैप्टन अमरिंदर सिंह ने महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी की अगुवाई वाली महाराष्ट्र सरकार पर आरोप लगाए, जिसमें उनकी पार्टी कांग्रेस भी गठबंधन में शामिल है. इसके अलावा कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अन्य कई मुद्दों पर भी खुलकर अपने विचार रखे. पढ़ें विस्तारपूर्वक...

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महाराष्ट्र की लापरवाही की कीमत चुका रहा पंजाब
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Published : May 9, 2020, 7:24 PM IST

नई दिल्ली : पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने झूठ बोलने पर महाराष्ट्र सरकार की भर्त्सना की. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार द्वारा आश्वासन दिया गया था कि नांदेड़ से वापस भेजे जाने वाले सभी तीर्थयात्रियों का परीक्षण किया गया है, जबकि पता चला कि उनकी केवल जांच की गई थी और कोई परीक्षण नहीं किया गया था. कैप्टन ने कहा कि हम उनकी लापरवाही की कीमत चुका रहे हैं. पंजाब के मुख्यमंत्री समाचार एजेंसी को दिए साक्षात्कार में कई मुद्दों पर खुलकर बोले.

कैप्टन ने महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी की अगुवाई वाली महाराष्ट्र सरकार पर आरोप लगाए, जिसमें उनकी पार्टी कांग्रेस भी गठबंधन में शामिल है. इसके अलावा कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अन्य कई मुद्दों पर भी खुलकर अपने विचार रखे.

पेश हैं साक्षात्कार के कुछ प्रमुख अंश:

प्रश्न : विदेशों में फंसे कई भारतीयों को कोरोना प्रभावित देशों से वापस भारत लाया जा रहा है और यह अगले कुछ दिनों तक जारी रहेगा. भारत के बाहर पंजाब की एक बड़ी आबादी रहती है. इस लिहाज से यह राज्य सरकार के लिए चिंता का कारण है?

उत्तर: चिंता का विषय तो खैर है ही. वास्तव में फरवरी-मार्च में एनआरआई आबादी ही थी, जिसने पंजाब में कोरोना मामलों की पहली लहर शुरू कर दी थी. इसलिए बड़ी संख्या में पंजाबियों के इस स्तर पर वापस आने और संक्रमण फैलने का खतरा तो है ही, जब स्थिति पहले से ही गंभीर है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपने भाइयों और बहनों का घर वापस आने पर स्वागत नहीं करना चाहते. उनमें से अधिकांश के यहां उनके परिवार या व्यवसाय आदि हैं. स्वाभाविक रूप से वे वापस आना चाहते हैं.

चुनौती यह है कि उनकी सुरक्षित वापसी कैसे सुनिश्चित की जाए. साथ ही यह सुनिश्चित भी करना है कि उनकी वापसी से राज्य में उनके परिवारों, पड़ोसियों और अन्य लोगों के बीच संक्रमण जोखिम न बढ़े. उसके लिए हमने बहुत कड़े प्रोटोकॉल रखे हैं. पंजाब में प्रवेश करने पर तुरंत सभी को एक सप्ताह के लिए एकांतवास में रखा जाएगा. उसके बाद उनका परीक्षण किया जाएगा और जो पॉजिटिव पाए जाएंगे, उन्हें आइसोलेशन सेंटर में रखा जाएगा, जबकि जिनकी रिपोर्ट नेगेटिव होगी, उन्हें भी दो सप्ताह तक घर में ही एकांतवास में रखा जाएगा. हम कोई जोखिम नहीं उठाना चाह रहे और हम अन्य देशों में किए गए परीक्षणों पर भी भरोसा नहीं करने जा रहे हैं.

प्रश्न: शुरू में पंजाब में हालात बेहतर थे, मगर बाद में कोरोना संक्रमितों की संख्या में उछाल आया है. ऐसा क्यों हुआ?

उत्तर: हां, महाराष्ट्र (नांदेड़) और राजस्थान से आए प्रवासियों की बड़ी संख्या के कारण मामलों में तेजी आई है. अचानक एक ही दिन में इन राज्यों से लगभग 7000 लोगों ने पंजाब में प्रवेश किया. उनमें से कुछ लोगों की तो राज्य की सीमा में प्रवेश करते समय भी छींकने की खबरें आई थीं. तीर्थयात्रियों और प्रवासियों के साथ कुछ छात्र भी थे, जो वस्तुत: एक ही समय में आए थे और फिर हमने बाद में उनका परीक्षण किया तो उनमें से काफी लोग पॉजिटिव पाए गए. सबसे खराब बात तो यह रही कि उनमें से ज्यादातर में कोई लक्षण ही नहीं थे. नांदेड़ से लौटे 4200 लोगों में से 969 लोग पॉजिटिव पाए गए, जिनमें से महज 23 लोगों में ही लक्षण थे.

कुछ लोगों की टेस्ट रिपोर्ट अभी आनी बाकी है. दुर्भाग्य से भले ही हमें महाराष्ट्र सरकार द्वारा आश्वासन दिया गया था कि नांदेड़ से वापस भेजे जाने वाले सभी तीर्थयात्रियों का तीन बार परीक्षण किया गया, मगर यह पता चला कि उनकी केवल जांच की गई थी और कोई परीक्षण नहीं किया गया था. हम उनकी लापरवाही की कीमत चुका रहे हैं.

प्रश्न: आपको अपने राज्य में कब तक बंद की स्थिति बने रहने की उम्मीद है?

उत्तर: मैं आपको कोई समयसीमा नहीं दे सकता. यह वास्तव में इस बात पर निर्भर करता है कि अगले 10 दिनों में स्थिति कैसी रहेगी. जिस तरह से चीजें आगे बढ़ रही हैं, उससे रुझान बेहद चिंताजनक है. विशेषज्ञों के अनुसार, देश भर में मामलों के एक चरम तक पहुंचने की चेतावनी है. जीवन को बचाना हमारी पहली प्राथमिकता है.

उत्तर: एक कांग्रेस शासित राज्य छत्तीसगढ़ ने शराब की होम डिलीवरी लागू की है. क्या आपको लगता है कि अन्य राज्यों को भी इसका अनुसरण करना चाहिए?

उत्तर: पंजाब में हमने पहले से ही शराब की होम डिलीवरी सात मई से शुरू कर दी है. यह आवश्यक है कि दुकानों पर सामाजिक दूरी को बनाए रखा जाए और भीड़ को रोका जा सके. होम डिलीवरी मॉडल से जुड़ी कुछ निश्चित शर्ते भी जरूरी हैं, जैसे लाइसेंस शुल्क, बोतलों की संख्या, जो ऑर्डर की जा सकती हैं आदि.

प्रश्न: हाल ही में यह दावा किया गया था कि रेल मंत्रालय प्रवासी मजदूरों को लेकर जाने के लिए लागत का 85 प्रतिशत वहन कर रहा है, जबकि पंजाब के विशेष मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य की ओर से प्रवासियों के लिए 100 प्रतिशत लागत वहन की जाएगी. सच क्या है?

उत्तर: इस मामले में रेलवे ने चालाकी से श्रमिकों को परिवहन के लिए राहत गाड़ियों के रूप में दिखाने के बजाय, राज्यों से एक चार्टर्ड ट्रेन के लिए प्रति व्यक्ति लागत का 15 प्रतिशत वसूलने की योजना बनाई है. यह 15 प्रतिशत चार्टर्ड ट्रेन का किराया द्वितीय श्रेणी के स्लीपर टिकट का किराया है. इसलिए हम मजदूर के लिए टिकट की पूरी कीमत चुका रहे हैं. मुझे नहीं पता कि रेलवे ऐसा क्यों और कैसे कर रहा है. रेल मंत्रालय को इस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है, क्योंकि देश के सभी कोनों से यात्रा करने के लिए लाखों और श्रमिक श्रमिक इंतजार कर रहे हैं.

प्रश्न: भारत में अब सभी कर्मचारियों के लिए आरोग्य सेतु ऐप अनिवार्य किया जा रहा है. क्या आप दूसरों की तरह इसके उपयोग पर कोई गोपनीयता चिंता साझा करते हैं

उत्तर: मेरा मानना है कि ऐप से संबंधित सुरक्षा और गोपनीयता चिंताएं हैं, जिसे राहुल गांधी ने उजागर किया है और जिसका कुछ विशेषज्ञों ने भी समर्थन किया है. जब तक इस पर आशंकाएं हैं, लोग इसे आसानी से स्वीकार नहीं करेंगे. ऐप को किसी भी कीमत पर लोगों की निगरानी के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए. नागरिकों की निजता से किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया जाना चाहिए.

नई दिल्ली : पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने झूठ बोलने पर महाराष्ट्र सरकार की भर्त्सना की. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार द्वारा आश्वासन दिया गया था कि नांदेड़ से वापस भेजे जाने वाले सभी तीर्थयात्रियों का परीक्षण किया गया है, जबकि पता चला कि उनकी केवल जांच की गई थी और कोई परीक्षण नहीं किया गया था. कैप्टन ने कहा कि हम उनकी लापरवाही की कीमत चुका रहे हैं. पंजाब के मुख्यमंत्री समाचार एजेंसी को दिए साक्षात्कार में कई मुद्दों पर खुलकर बोले.

कैप्टन ने महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी की अगुवाई वाली महाराष्ट्र सरकार पर आरोप लगाए, जिसमें उनकी पार्टी कांग्रेस भी गठबंधन में शामिल है. इसके अलावा कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अन्य कई मुद्दों पर भी खुलकर अपने विचार रखे.

पेश हैं साक्षात्कार के कुछ प्रमुख अंश:

प्रश्न : विदेशों में फंसे कई भारतीयों को कोरोना प्रभावित देशों से वापस भारत लाया जा रहा है और यह अगले कुछ दिनों तक जारी रहेगा. भारत के बाहर पंजाब की एक बड़ी आबादी रहती है. इस लिहाज से यह राज्य सरकार के लिए चिंता का कारण है?

उत्तर: चिंता का विषय तो खैर है ही. वास्तव में फरवरी-मार्च में एनआरआई आबादी ही थी, जिसने पंजाब में कोरोना मामलों की पहली लहर शुरू कर दी थी. इसलिए बड़ी संख्या में पंजाबियों के इस स्तर पर वापस आने और संक्रमण फैलने का खतरा तो है ही, जब स्थिति पहले से ही गंभीर है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपने भाइयों और बहनों का घर वापस आने पर स्वागत नहीं करना चाहते. उनमें से अधिकांश के यहां उनके परिवार या व्यवसाय आदि हैं. स्वाभाविक रूप से वे वापस आना चाहते हैं.

चुनौती यह है कि उनकी सुरक्षित वापसी कैसे सुनिश्चित की जाए. साथ ही यह सुनिश्चित भी करना है कि उनकी वापसी से राज्य में उनके परिवारों, पड़ोसियों और अन्य लोगों के बीच संक्रमण जोखिम न बढ़े. उसके लिए हमने बहुत कड़े प्रोटोकॉल रखे हैं. पंजाब में प्रवेश करने पर तुरंत सभी को एक सप्ताह के लिए एकांतवास में रखा जाएगा. उसके बाद उनका परीक्षण किया जाएगा और जो पॉजिटिव पाए जाएंगे, उन्हें आइसोलेशन सेंटर में रखा जाएगा, जबकि जिनकी रिपोर्ट नेगेटिव होगी, उन्हें भी दो सप्ताह तक घर में ही एकांतवास में रखा जाएगा. हम कोई जोखिम नहीं उठाना चाह रहे और हम अन्य देशों में किए गए परीक्षणों पर भी भरोसा नहीं करने जा रहे हैं.

प्रश्न: शुरू में पंजाब में हालात बेहतर थे, मगर बाद में कोरोना संक्रमितों की संख्या में उछाल आया है. ऐसा क्यों हुआ?

उत्तर: हां, महाराष्ट्र (नांदेड़) और राजस्थान से आए प्रवासियों की बड़ी संख्या के कारण मामलों में तेजी आई है. अचानक एक ही दिन में इन राज्यों से लगभग 7000 लोगों ने पंजाब में प्रवेश किया. उनमें से कुछ लोगों की तो राज्य की सीमा में प्रवेश करते समय भी छींकने की खबरें आई थीं. तीर्थयात्रियों और प्रवासियों के साथ कुछ छात्र भी थे, जो वस्तुत: एक ही समय में आए थे और फिर हमने बाद में उनका परीक्षण किया तो उनमें से काफी लोग पॉजिटिव पाए गए. सबसे खराब बात तो यह रही कि उनमें से ज्यादातर में कोई लक्षण ही नहीं थे. नांदेड़ से लौटे 4200 लोगों में से 969 लोग पॉजिटिव पाए गए, जिनमें से महज 23 लोगों में ही लक्षण थे.

कुछ लोगों की टेस्ट रिपोर्ट अभी आनी बाकी है. दुर्भाग्य से भले ही हमें महाराष्ट्र सरकार द्वारा आश्वासन दिया गया था कि नांदेड़ से वापस भेजे जाने वाले सभी तीर्थयात्रियों का तीन बार परीक्षण किया गया, मगर यह पता चला कि उनकी केवल जांच की गई थी और कोई परीक्षण नहीं किया गया था. हम उनकी लापरवाही की कीमत चुका रहे हैं.

प्रश्न: आपको अपने राज्य में कब तक बंद की स्थिति बने रहने की उम्मीद है?

उत्तर: मैं आपको कोई समयसीमा नहीं दे सकता. यह वास्तव में इस बात पर निर्भर करता है कि अगले 10 दिनों में स्थिति कैसी रहेगी. जिस तरह से चीजें आगे बढ़ रही हैं, उससे रुझान बेहद चिंताजनक है. विशेषज्ञों के अनुसार, देश भर में मामलों के एक चरम तक पहुंचने की चेतावनी है. जीवन को बचाना हमारी पहली प्राथमिकता है.

उत्तर: एक कांग्रेस शासित राज्य छत्तीसगढ़ ने शराब की होम डिलीवरी लागू की है. क्या आपको लगता है कि अन्य राज्यों को भी इसका अनुसरण करना चाहिए?

उत्तर: पंजाब में हमने पहले से ही शराब की होम डिलीवरी सात मई से शुरू कर दी है. यह आवश्यक है कि दुकानों पर सामाजिक दूरी को बनाए रखा जाए और भीड़ को रोका जा सके. होम डिलीवरी मॉडल से जुड़ी कुछ निश्चित शर्ते भी जरूरी हैं, जैसे लाइसेंस शुल्क, बोतलों की संख्या, जो ऑर्डर की जा सकती हैं आदि.

प्रश्न: हाल ही में यह दावा किया गया था कि रेल मंत्रालय प्रवासी मजदूरों को लेकर जाने के लिए लागत का 85 प्रतिशत वहन कर रहा है, जबकि पंजाब के विशेष मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य की ओर से प्रवासियों के लिए 100 प्रतिशत लागत वहन की जाएगी. सच क्या है?

उत्तर: इस मामले में रेलवे ने चालाकी से श्रमिकों को परिवहन के लिए राहत गाड़ियों के रूप में दिखाने के बजाय, राज्यों से एक चार्टर्ड ट्रेन के लिए प्रति व्यक्ति लागत का 15 प्रतिशत वसूलने की योजना बनाई है. यह 15 प्रतिशत चार्टर्ड ट्रेन का किराया द्वितीय श्रेणी के स्लीपर टिकट का किराया है. इसलिए हम मजदूर के लिए टिकट की पूरी कीमत चुका रहे हैं. मुझे नहीं पता कि रेलवे ऐसा क्यों और कैसे कर रहा है. रेल मंत्रालय को इस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है, क्योंकि देश के सभी कोनों से यात्रा करने के लिए लाखों और श्रमिक श्रमिक इंतजार कर रहे हैं.

प्रश्न: भारत में अब सभी कर्मचारियों के लिए आरोग्य सेतु ऐप अनिवार्य किया जा रहा है. क्या आप दूसरों की तरह इसके उपयोग पर कोई गोपनीयता चिंता साझा करते हैं

उत्तर: मेरा मानना है कि ऐप से संबंधित सुरक्षा और गोपनीयता चिंताएं हैं, जिसे राहुल गांधी ने उजागर किया है और जिसका कुछ विशेषज्ञों ने भी समर्थन किया है. जब तक इस पर आशंकाएं हैं, लोग इसे आसानी से स्वीकार नहीं करेंगे. ऐप को किसी भी कीमत पर लोगों की निगरानी के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए. नागरिकों की निजता से किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया जाना चाहिए.

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