ETV Bharat / bharat

राजस्थान संकट : गहलोत-पायलट के बीच समझाइश कराने प्रियंका ने संभाला मोर्चा - sachin pilot news

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच अब समझाइश के लिए प्रियंका गांधी का नाम सामने आ रहा है. माना जा रहा है कि पायलट पार्टी में बने रहने के लिए अपनी कुछ मांगें आलाकमान के सामने रख सकते हैं, जिसमें मुख्यमंत्री पद को छोड़कर पायलट की सभी मांगें पूरी हो सकती हैं. इसी बीच एक बार फिर से कांग्रेस ने अपने विधायकों की बाड़ेबंदी कर दी है.

priyanka gandhi
डिजाइन फोटो
author img

By

Published : Jul 13, 2020, 7:07 PM IST

जयपुर : राजस्थान में चल रहे सियासी संकट के बीच अब समझाइश का दौर भी शुरू हो गया है. जहां शुक्रवार रात को दो बजे हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ तौर पर यह कहा गया था कि जो भी विधायक सुबह होने वाली विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं होगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. लेकिन दोपहर 12 बजते-बजते कांग्रेस पार्टी के तेवर कुछ ढीले पड़ गए और खुद पार्टी के आला नेताओं ने यह कहना शुरू कर दिया कि सचिन पायलट ने अब तक आधिकारिक रूप से कोई बात नहीं कही है और ना ही उनसे कोई बात अभी हुई है.

ऐसे में यह साफ हो गया है कि अब कोई बीच का रास्ता निकालने में कांग्रेस पार्टी जुट गई है, ताकि मध्य प्रदेश की तरह एक बड़ा राज्य उनके हाथ से ना निकल जाए. बताया जा रहा है कि खुद प्रियंका गांधी इस मामले में बीच-बचाव कर रही हैं.

अगर भाजपा नहीं तो पायलट के पास क्या रास्ता है...

कहा जा रहा है कि सचिन पायलट भाजपा ज्वाइन नहीं करेंगे और अगर सचिन पायलट भाजपा ज्वाइन नहीं करते हैं तो उनका और उनके समर्थक विधायकों के सामने क्या रास्ते हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि अगर किसी भी स्तर पर पायलट और गहलोत के बीच बात नहीं सुलझी और भाजपा में पायलट नहीं जाते हैं तो हो सकता है कि वे अपनी अलग से पार्टी बना लें. हालांकि, यह भी सही है कि राजस्थान में अब तक थर्ड फ्रंट का कोई अस्तित्व नहीं रहा है और खुद पायलट भी यह बात प्रदेश अध्यक्ष रहते कई बार कह चुके हैं.

अगर कांग्रेस के साथ पायलट बने रहे तो अध्यक्ष पद नहीं छोड़ेंगे...

बताया जा रहा है कि पायलट और गहलोत के बीच मनमुटाव का असली मुद्दा कांग्रेस के अध्यक्ष पद को लेकर था. माना जा रहा था कि प्रदेश में कैबिनेट एक्सपेंशन और पॉलिटिकल अपॉइंटमेंट से पहले गहलोत गुट यह चाहता था कि सचिन पायलट को अध्यक्ष पद से हटा दिया जाए और अध्यक्ष पद को लेकर सचिन पायलट काफी संवेदनशील थे. इसी मुद्दे पर यह लड़ाई आज इस मोड़ पर पहुंच गई है.

पढ़ें- जानें, सियासी हालात से गहलोत का फायदा या पायलट को नुकसान

सचिन पायलट की मांगें...

ऐसे में अब अगर किसी तरीके की समझाइश सचिन पायलट से की जाती है तो यह तो सही है कि उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाएगा, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष पद से पायलट नहीं हटेंगे. साथ ही सचिन पायलट प्रदेश में गृह और वित्त जैसे अहम महकमे अपने लिए और अपने लॉयल नेताओं के लिए मांगेंगे. साथ ही पायलट अपने गुट के नेताओं के लिए भी अहम पोर्टफोलियो देने की मांग करेंगे.

जानकारी देते संवाददाता

हालांकि, सचिन पायलट भी प्रदेश में मुख्यमंत्री पद की मांग करते हैं तो आलाकमान इस मांग को किसी भी हालत में नहीं मानेगा. लेकिन प्रदेश अध्यक्ष बने रहते हैं तो हो सकता है कि दोनों पक्षों के बीच बात बन जाए. साथ ही सचिन पायलट की एक मांग यह भी रहेगी कि आगामी पंचायती राज चुनाव में जो टिकट वितरण का काम है वह संगठन के अध्यक्ष के तौर पर उनके हाथ में रहे. ऐसे में एक मुख्यमंत्री का पद छोड़कर वह कई निशाने पर तीर लगाने की सोच रहे हैं और अगर समझाइश कामयाब होती है तो मुख्यमंत्री के पद के बदले वह यह डिमांड जरूर करेंगे.

विधायकों को ले जाया गया बाड़ाबंदी में...

राजस्थान के इतिहास में संभवतः यह पहली बार हुआ होगा कि 1 महीने में राजस्थान कांग्रेस के विधायकों को दूसरी बार बाड़ाबंदी में ले जाया जा रहा है. सीएम अशोक गहलोत सहित करीब 100 विधायकों को सोमवार को एक बार फिर बाड़ाबंदी में बंद होना पड़ा है. ऐसे में पायलट और गहलोत के बीच चल रही मनमुटाव की खबरें अब बाड़ाबंदी तक पहुंच गई हैं.

पढ़ें- LIVE : कांग्रेस ने विधायकों को भेजा होटल, भाजपा ने की फ्लोर टेस्ट की मांग

जयपुर : राजस्थान में चल रहे सियासी संकट के बीच अब समझाइश का दौर भी शुरू हो गया है. जहां शुक्रवार रात को दो बजे हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ तौर पर यह कहा गया था कि जो भी विधायक सुबह होने वाली विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं होगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. लेकिन दोपहर 12 बजते-बजते कांग्रेस पार्टी के तेवर कुछ ढीले पड़ गए और खुद पार्टी के आला नेताओं ने यह कहना शुरू कर दिया कि सचिन पायलट ने अब तक आधिकारिक रूप से कोई बात नहीं कही है और ना ही उनसे कोई बात अभी हुई है.

ऐसे में यह साफ हो गया है कि अब कोई बीच का रास्ता निकालने में कांग्रेस पार्टी जुट गई है, ताकि मध्य प्रदेश की तरह एक बड़ा राज्य उनके हाथ से ना निकल जाए. बताया जा रहा है कि खुद प्रियंका गांधी इस मामले में बीच-बचाव कर रही हैं.

अगर भाजपा नहीं तो पायलट के पास क्या रास्ता है...

कहा जा रहा है कि सचिन पायलट भाजपा ज्वाइन नहीं करेंगे और अगर सचिन पायलट भाजपा ज्वाइन नहीं करते हैं तो उनका और उनके समर्थक विधायकों के सामने क्या रास्ते हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि अगर किसी भी स्तर पर पायलट और गहलोत के बीच बात नहीं सुलझी और भाजपा में पायलट नहीं जाते हैं तो हो सकता है कि वे अपनी अलग से पार्टी बना लें. हालांकि, यह भी सही है कि राजस्थान में अब तक थर्ड फ्रंट का कोई अस्तित्व नहीं रहा है और खुद पायलट भी यह बात प्रदेश अध्यक्ष रहते कई बार कह चुके हैं.

अगर कांग्रेस के साथ पायलट बने रहे तो अध्यक्ष पद नहीं छोड़ेंगे...

बताया जा रहा है कि पायलट और गहलोत के बीच मनमुटाव का असली मुद्दा कांग्रेस के अध्यक्ष पद को लेकर था. माना जा रहा था कि प्रदेश में कैबिनेट एक्सपेंशन और पॉलिटिकल अपॉइंटमेंट से पहले गहलोत गुट यह चाहता था कि सचिन पायलट को अध्यक्ष पद से हटा दिया जाए और अध्यक्ष पद को लेकर सचिन पायलट काफी संवेदनशील थे. इसी मुद्दे पर यह लड़ाई आज इस मोड़ पर पहुंच गई है.

पढ़ें- जानें, सियासी हालात से गहलोत का फायदा या पायलट को नुकसान

सचिन पायलट की मांगें...

ऐसे में अब अगर किसी तरीके की समझाइश सचिन पायलट से की जाती है तो यह तो सही है कि उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाएगा, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष पद से पायलट नहीं हटेंगे. साथ ही सचिन पायलट प्रदेश में गृह और वित्त जैसे अहम महकमे अपने लिए और अपने लॉयल नेताओं के लिए मांगेंगे. साथ ही पायलट अपने गुट के नेताओं के लिए भी अहम पोर्टफोलियो देने की मांग करेंगे.

जानकारी देते संवाददाता

हालांकि, सचिन पायलट भी प्रदेश में मुख्यमंत्री पद की मांग करते हैं तो आलाकमान इस मांग को किसी भी हालत में नहीं मानेगा. लेकिन प्रदेश अध्यक्ष बने रहते हैं तो हो सकता है कि दोनों पक्षों के बीच बात बन जाए. साथ ही सचिन पायलट की एक मांग यह भी रहेगी कि आगामी पंचायती राज चुनाव में जो टिकट वितरण का काम है वह संगठन के अध्यक्ष के तौर पर उनके हाथ में रहे. ऐसे में एक मुख्यमंत्री का पद छोड़कर वह कई निशाने पर तीर लगाने की सोच रहे हैं और अगर समझाइश कामयाब होती है तो मुख्यमंत्री के पद के बदले वह यह डिमांड जरूर करेंगे.

विधायकों को ले जाया गया बाड़ाबंदी में...

राजस्थान के इतिहास में संभवतः यह पहली बार हुआ होगा कि 1 महीने में राजस्थान कांग्रेस के विधायकों को दूसरी बार बाड़ाबंदी में ले जाया जा रहा है. सीएम अशोक गहलोत सहित करीब 100 विधायकों को सोमवार को एक बार फिर बाड़ाबंदी में बंद होना पड़ा है. ऐसे में पायलट और गहलोत के बीच चल रही मनमुटाव की खबरें अब बाड़ाबंदी तक पहुंच गई हैं.

पढ़ें- LIVE : कांग्रेस ने विधायकों को भेजा होटल, भाजपा ने की फ्लोर टेस्ट की मांग

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.