नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि केंद्र सरकार स्ट्रेंगथनिंग टीचिंग-लर्निंग एंड रिजल्ट्स फॉर स्टेट्स (STARS) परियोजना के तहत हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, केरल और ओडिशा में एक नई योजना चलाएगी. इसके साथ ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने क्षमता निर्माण, अनुसंधान एवं विकास और सतत भूजल प्रबंधन को असरदार बनाने में सहयोग के लिए भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच समझौता ज्ञापन को मंजूरी दी है.
स्टार्स को लेकर केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि STARS स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग, शिक्षा मंत्रालय के तहत एक नई केंद्र प्रायोजित योजना है.
जावड़ेकर ने कहा कि केंद्र की ओर से STARS कार्यक्रम तय किया गया है. अब शिक्षा रट्टा लगाकर पढ़ाई करना नहीं समझ कर सीखना होगी.
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने प्रेस वार्ता के दौरान बताया कि देश के सभी ग्रामीण इलाकों में दीन दयाल अंत्योदय राष्ट्रीय आजीविका मिशन योजना चलती है. ग्रामीण कश्मीर, लद्दाख और जम्मू में रहने वाले 2/3 लोग इस योजना में शामिल होंगे, आज 520 करोड़ रुपये का एक विशेष पैकेज जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लिए दिया गया है.
जावड़ेकर ने बताया कि यह पांच साल के लिए रहेगा, इसका फायदा 10,58,000 परिवारों को होगा.
केंद्रीय मंत्रिमंडल से निम्नलिखित परियोजना को मिली मंजूरी:
विश्व बैंक से 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 3700 करोड़ रुपये) राशि की विश्व बैंक की सहायता से 5718 करोड़ रुपये की कुल परियोजना लागत वाली ‘स्ट्रेंगथनिंग टीचिंग-लर्निंग एंड रिजल्ट्स फॉर स्टेट्स (एसटीएआरएस)’ का कार्यान्वयन.
स्टार्स परियोजना स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, शिक्षा मंत्रालय (एमओई) के तहत एक नई केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित योजना के रूप में लागू की जाएगी.
राष्ट्रीय आकलन केंद्र, परख की स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, शिक्षा मंत्रालय के तहत एक स्वतंत्र एवं स्वायत्तशासी संस्थान के रूप में स्थापना और सहायता करना.
स्टार्स परियोजना में छह राज्य शामिल
इस परियोजना में 6 राज्य – हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, केरल और ओडिशा शामिल हैं. इन पहचान किए राज्यों को शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के विभिन्न उपायों के लिए सहायता प्रदान की जाएगी. इस परियोजना के अतिरिक्त पांच राज्यों- गुजरात, तमिलनाडु, उत्तराखंड, झारखंड और असम में इसी प्रकार की एडीबी वित्त पोषित परियोजना लागू करने की भी कल्पना की गई है. सभी राज्य अपने अनुभव और श्रेष्ठ प्रक्रियाएं साझा करने के लिए एक दूसरे राज्य के साथ भागीदारी करेंगे.
स्टार्स परियोजना बेहतर श्रम बाजार परिणामों के लिए बेहतर शिक्षा परिणामों और स्कूलों द्वारा पारगमन रणनीतियों के साथ काम करने के लिए प्रत्यक्ष जुड़ाव के साथ उपायों को विकसित करने, लागू करने, आकलन करने और सुधार करने में राज्यों की मदद चाहती है. स्टार्स परियोजना का समग्र फोकस और इसके घटक गुणवत्ता आधारित शिक्षण परिणामों की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के उद्देश्यों के साथ पंक्तिबद्ध है.
इस परियोजना में चुनिंदा राज्यों में हस्तक्षेपों के माध्यम से भारतीय स्कूली शिक्षा प्रणाली में समग्र निगरानी और मापक गतिविधियों में सुधार लाने की कल्पना की गई है. यह परियोजना इन परिणामों के साथ निधियों की प्राप्ति और वितरण को जोड़कर वास्तविक परिणामों के साथ इनपुट और आउटपुट के रखरखाव के प्रावधान से ध्यान केंद्रित करने में बदलाव करती है.
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स्टार्स परियोजना के प्रमुख घटक:
राष्ट्रीय स्तर पर इस परियोजना में निम्नलिखित उपायों की कल्पना की गई है, जिनसे सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश लाभान्वित होंगे.
छात्रों के प्रतिधारण, संक्रमण और समापन दरों के बारे में मजबूत और प्रामाणिक डेटा प्राप्त करने के लिए शिक्षा मंत्रालय की राष्ट्रीय डेटा प्रणालियों को मजबूत बनाना.
राज्य प्रोत्साहन अनुदान (एसआईजी) के माध्यम से राज्यों के शासन सुधार एजेंडा को प्रोत्साहन देकर राज्यों के पीजीआई अंकों में सुधार लाने में शिक्षा मंत्रालय की मदद करना.
शिक्षण मूल्यांकन प्रणालियों को मजबूत बनाने में सहायता करना.
राष्ट्रीय आकलन केंद्र (परख) स्थापित करने के लिए शिक्षा मंत्रालय के प्रयासों में मदद करना. ऐसे केंद्र के कार्यों में ऑनलाइन पोर्टलों (उदाहरण के लिए शगुन और दीक्षा), सोशल एवं अन्य मीडिया, तकनीकी कार्यशालाओं, राज्य भ्रमणों और सम्मेलनों के माध्यम से अन्य राज्यों के साथ इन अनुभवों के संग्रहित, क्यूरेटिंग और साझा करके संचालन हेतु चुनिंदा राज्यों के अनुभव से लाभ उठाना शामिल है.
इसके अलावा स्टार्स परियोजना में राष्ट्रीय घटक के तहत आकस्मिकता, आपातकालीन प्रतिक्रिया घटक (सीईआरसी) शामिल हैं जो इसे किसी प्राकृतिक, मानव निर्मित और स्वास्थ्य आपदाओं के लिए अधिक जवाबदेह बनाएंगे. ये स्कूल बंदी/ बुनियादी ढांचा हानि, अपर्याप्त सुविधाएं और रिमोर्ट लर्निंग में सहायता प्रदान करने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग जैसी शिक्षण हानि को बढ़ावा देने वाली स्थितियों से निपटने में सरकार की मदद करेंगे. सीईआरसी घटक वित्त पोषण के त्वरित पुन: वर्गीकरण और सहज वित्तीय अनुरोध प्रकियाओं के उपयोग में मदद करेगा.
2) राज्य स्तर पर, परियोजना में निम्नलिखित परिकल्पनाएं की गई हैं:-
- शुरुआती बाल शिक्षा एवं आधारभूत शिक्षण को सशक्त बनाना
- शिक्षण आकलन प्रणालियों में सुधार लाना
- शिक्षक के विकास और स्कूल के नेतृत्व के माध्यम से क्लास रूम के निर्देश एवं सुधार को सशक्त करना
- उन्नत सेवा आपूर्ति के लिए शासन एवं विकेंद्रित प्रबंधन
- स्कूल से वंचित बच्चों को मुख्यधारा में लाकर, कैरियर मार्गदर्शन तथा परामर्श देकर, इंटर्नशिप देकर स्कूलों में व्यवसायिक शिक्षा को सशक्त बनाना.
आत्मनिर्भर भारत अभियान के हिस्से के रूप में पीएम ई-विद्या, आधारभूत साक्षरता एवं न्यूमरैसी मिशन तथा राष्ट्रीय पाठ्यक्रम एवं शुरूआती बाल देखभाल तथा शिक्षा के लिए कार्यक्रम जैसी पहलों पर जोर देना भी स्टार्स परियोजना का लक्ष्य है.
चुनिंदा राज्यों में ग्रेड तीन भाषा में न्यूनतम दक्षता पाने वाले छात्रों की संख्या में वृद्धि होना, माध्यमिक स्कूल की पढ़ाई पूरी करने की दर में सुधार, सरकारी सूचकांक में सुधार, शिक्षण मूल्यांकन प्रणालियों की मजबूती, राज्यों के बीच शिक्षण सुविधाओं के लिए साझेदारी का विकास, और बीआरसी एवं सीआरसी के प्रशिक्षण के द्वारा विकेंद्रित प्रबंधन के लिए योजना तथा प्रबंधन क्षमता की मजबूती, उन्नत शिक्षा सेवा वितरण के लिए प्रधानाध्यापकों एवं प्रधानाचार्यों के प्रशिक्षण द्वारा स्कूल के प्रबंधन की मजबूती जैसे राज्य स्तर पर सेवा वितरण में सुधार होना, इस परियोजना के कुछ ध्यान देने वाले परिणाम हैं.
भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच ज्ञापन
एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने क्षमता निर्माण, अनुसंधान एवं विकास और सतत भूजल प्रबंधन को असरदार बनाने में सहयोग के लिए भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच समझौता ज्ञापन को मंजूरी दी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल को अक्टूबर, 2019 में हुए समझौता ज्ञापन (एमओयू) से अवगत कराया गया. इस एमओयू में भारत के केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी), जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग शामिल हैं. ऑस्ट्रेलिया की ओर से मैनेजिंग ऐक्वफर रिचार्ज एंड सस्टेनिंग ग्राउंड वॉटर यूज थ्रू विलेज लेवल इंटरवेंशन (एमएआरवीआई) पार्टनर्स इसमें साझेदार है.
जिस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं इसका मकसद कृषि, शहरी, औद्योगिक और पर्यावरण संबंधी उद्देश्यों के लिए जल सुरक्षा अर्जित करना है. इसके लिए धरातल और भूजल प्रशिक्षण, शिक्षा और अनुसंधान में सहयोग को बढ़ावा भी दिया जाएगा.