नई दिल्ली : 'वन नेशन-वन इलेक्शन' यानी एक देश एक विधान और एक संविधान. यह भाजपा 2014 में सत्ता में आने के बाद से कहती आ रही है. भाजपा अपने तमाम चुनावी वायदों को अमलीजामा पहना चुकी है, चाहे वह अनुच्छेद 370 और 35a जम्मू-कश्मीर से रद्द हो या फिर तीन तलाक बिल या फिर राम मंदिर का निर्माण या हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता दिलाने संबंधी कानून. अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2014 के शुरुआत में जनता के सामने कही गई बात 'वन नेशन-वन इलेक्शन' के मुद्दे को सरकार और पार्टी मुहिम बनाना चाहती है, जिसपर सरकार ने अंदरखाने तैयारियां भी शुरू कर दी हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार 2014 में जब सत्ता में आई तो सबसे पहली बार उन्होंने देश में 'वन नेशन-वन इलेक्शन' की जरूरत पर बल दिया. उन्होंने कहा था कि जल्द ही उनकी सरकार देश में एक साथ चुनाव कराए जाने के विधान पर सर्वसम्मति बनाएगी. हालांकि इस पर विपक्ष ने आपत्ति भी जाहिर की थी, मगर सरकार की यह एक महत्वाकांक्षी योजना है और शायद यही वजह है कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस पर बैठकों का दौर भी शुरू कर दिया है.
सूत्रों की मानें तो जल्दी सरकार देश में 'वन नेशन-वन इलेक्शन' की नीति अपनाना चाहती है. वर्तमान सरकार यह चाहती है कि 2024 से पहले इस कानून को अमलीजामा पहनाया जा सके. इस बाबत प्रधानमंत्री कार्यालय में प्रिंसिपल सेक्रेटरी के तौर पर तैनात पीके मिश्रा की अध्यक्षता में 13 अगस्त को एक बैठक भी बुलाई गई थी. जिसमें कॉमन वोटर्स की लिस्ट सभी लोकल बॉडी चुनाव, विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव के लिए तैयार करने पर भी चर्चा की गई.
सूत्रों की मानें तो इस बैठक में धारा 243 के और धारा 243 ZA में सबसे पहले संशोधन करने की आवश्यकता पर बल दिया गया और इसे संशोधित कर देश में एक इलेक्टरल रोल की व्यवस्था करने पर भी चर्चा की गई.
इसके साथ ही दूसरी सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण बात यह थी कि राज्य की सरकारों पर यह दबाव बनाया जाए कि वह नगर निगम और पंचायत के चुनाव में चुनाव आयोग के वोटर लिस्ट का इस्तेमाल करें. सरकार के इस कदम से यह साफ पता चलता है कि यदि सरकार राज्यों और यूनियन टेरिटरीज को लोकल बॉडी इलेक्शंस में चुनाव आयोग के वोटर लिस्ट के इस्तेमाल पर दबाव डाल रही है तो वह 'वन नेशन-वन इलेक्शन' को लागू करने की दिशा में एक बड़ा और सार्थक कदम की शुरुआत करने जा रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'वन नेशन-वन इलेक्शन' की बात 2014 में सत्ता संभालते ही छेड़ी थी और उस पर कई कमेटी भी तैयार की गई थी. कई संस्थाओं ने भी इस पर हामी भरते हुए कहा था कि यदि देश में एक साथ चुनाव कराए जाएं तो देश के खजाने का बड़ा खर्चा बच सकता है. जो अन्य विकास कार्यों में लगाया जा सकता है. मगर अलग-अलग विरोधी पार्टियों ने इसका ज्यादा समर्थन नहीं किया. तत्कालीन चुनाव आयोग ने भी इस पर एक बड़ा समर्थन जुटाने की बात कही थी जो इतना आसान नहीं था. यह राज्य और केंद्र सरकार के बीच एक आम सहमति तैयार करने का था. सरकार के इन निर्णयों को देखते हुए ऐसा लगता है की सरकार अब इस मामले को लेकर स्थिती गंभीर हो चुकी है और इस पर कार्रवाई शुरू की जा चुकी है.
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नाम ना छापने की शर्त पर भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में पदस्थापित राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि 'वन नेशन-वन इलेक्शन' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना है और पार्टी सरकार की इस मुहिम में सरकार को लगातार संबल प्रदान करेगी. ऐसा प्रतीत होता है कि पार्टी द्वारा अन्य मुद्दों के साथ अब यह मुद्दा भी सार्वजनिक मंच पर जल्दी प्रस्तुत किए जाने की बड़ी योजना है.