जूनागढ़: जंगली जानवरों के खतरे को देखते हुए जंगलों में अधिकतर पुरुषों को ही तैनात किया जाता है. लेकिन गिर के जंगलों में कभी पैदल-पैदल तो कभी बाइक पर सवार होकर ‘शेरनियां’ जंगल का चप्पा-चप्पा छानती हैं. उनकी निगेहबानी में गिर के शेर सुरक्षित हैं.
दुनिया में एशियाई शेर सिर्फ और सिर्फ भारत में हैं और इन शेरों की रखवाली का जिम्मा बहादुर महिलाओं ने संभाल रखा है जो अपने आप में बेमिसाल हैं. ये महिलाएं गुजरात के गिर जंगलों की वन गार्ड, जानवरों को बचाने वाली टीम (रेस्क्यू टीम) की लीडर या दूसरे शब्दों में कहें तो गिर की क्वीन, गिर जंगलों की रक्षक बनी हुई हैं. ये अलग-अलग पदों पर काम कर रही हैं.
सभी बाधाओं का सामना करते हुए वन विभाग की लगभग 70 महिला कर्मचारी गिर जंगल और शेरों की देखभाल कर रही हैं.
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जूनागढ़ सर्कल के मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) डी टी वासवदा ने खास बातचीत में ईटीवी भारत को बताया कि पिछले कुछ समय से गिर के जंगल में महिला कर्मचारियों की संख्या बढ़ रही है. राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा निर्धारित महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण को गिर के वन विभाग में लागू किया जा रहा है. गिर सर्कल में बीट गार्ड, फॉरेस्टर, रेंज फॉरेस्ट ऑफिसर और डिप्टी कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट से लेकर करीब 70 महिला कर्मचारी हैं.
अब तक वन विभाग में काम करना पितृसत्तात्मक व्यवस्था में पुरुषों का प्रभुत्व हुआ करता था. हालांकि, पिछले पांच से सात वर्षों में वन विभाग में महिलाओं की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. बीट गार्ड, रेंज फॉरेस्ट ऑफिसर और डिप्टी कंजरवेटर के रूप में ये महिलाएं जंगल और जंगली जानवरों की देखभाल कर रही हैं, जिसमें शेर भी शामिल हैं.