हैदराबाद : पूरी दुनिया में कोरोना महामारी फैली हुई है. इस महामारी को रोकने के लिए विश्व के आधे से ज्यादा हिस्सों में लॉकडाउन है. यात्राओं पर प्रतिबंध है. सीमाएं बंद है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने कहा कि इससे शिविरों में रहने शरणार्थियों और विस्थापित लोगों की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं. कोरोना संकट उनके लिए विनाशकारी साबित हो सकता है.
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि यह संकट दुनियाभर के देशों के लिए प्रवासी समूहों के प्रति सहानुभूति और एकजुटता प्रदर्शित करने का अवसर है.
रिपोर्ट के मुताबिक इस महामारी से दुनियाभर में 272 मिलियन अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी और आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों का जीवन जोखिम में है. बता दें कि विकासशील देशों में 25.9 मिलियन विदेशी प्रवासी और 41.9 मिलियन आंतरिक प्रवासी हैं, जो इस महामारी की चपेट में आने लगे हैं.
दुनियाभर के देश इस संक्रमण को रोकने का प्रयास कर रहे हैं. वर्तमान में दुनियाभर के 180 से अधिक देशों, क्षेत्रों ने इस महामारी को रोकने के लिए यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिए हैं.
इस वायरस की वजह से कई देशों की सीमाएं बंद हैं. साथ ही दक्षिण कोरिया से अर्जेंटीना में श्रम प्रवास भी अस्थाई तौर निलंबित है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया कि यूरोप या अमेरिका के सीमा पर शिविरों में रहने वाले प्रवासियों में यह वायरस फैलने की ज्यादा आशंका है. बता दें कि इन यूरोप और अमेरिका इस वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं और वहां की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए यह महामारी पहले से ही चिंता का विषय बनी हुई है.
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कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि जब कोरोनो महामारी ने तुर्की और ग्रीस की सीमा के बीच में हो तो इस महामारी से निबटने के लिए समाजिक आइसोलेशन विकल्प नहीं है.
ग्रीस द्वीपों में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति भयावह है, जिससे कुछ लोगों को प्रवासियों की तत्काल निकालने के लिए कहना पड़ रहा है.
कोविड 19 के प्रकोप से इसी तरह की आशंका अमेरिका-मैक्सिको की सीमा पर एक अस्थायी प्रवासी शिविर पर भी व्यक्त की गई है.
इसके अलावा प्रवासियों को पुनर्वास भी नहीं किया जा सकता है, क्योंकि प्रवासन के लिए अंतरराष्ट्रीय संगठन और संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त को अस्थायी तौर पर शरणार्थियों के पुनर्वास यात्रा को निलंबित करने के लिए मजबूर किया गया है. यात्रा प्रतिबंध लगने से कोविड-19 को लेकर राज्यों की चिंताएं बढ़ गई हैं.
इस महामारी से लड़ने के लिए विकासशील देशों को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से समर्थन की आवश्यकता होगी.
ज्यादातर देशों में लॉकडाउन से राज्य सेवाएं प्रभावित हो रही हैं, जिससे शरणार्थियों को कम सहायता की जा रही है.
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प्रवासियों को सहायता के तौर पर दी जाने वाली सेवाएं सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से अगली सूचना तक बंद कर दी गई हैं. जैसे कि कोलंबिया की सीमा पर प्रवासियों के लिए एक रसोई चलाई जाती थी, जहां पर 4,500 वेनजुएला के प्रवासियों को खाना खिलाया जाता था और उन्हें बुनियादी चिकित्सा सेवाएं प्रदान की जाती थीं.
कोविड-19 की वजह से चीन से लेकर दक्षिण अफ्रीका तक प्रवासियों को सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीतियों और दुनियाभर की योजनाओं में शामिल करने के लिए कहा जा रहा है.