श्रीनगर : जम्मू एवं कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दिलबाग सिंह ने कहा कि राज्य के मौजूदा सुरक्षा परिदृश्य में आतंकवाद से जुड़ने वाले नए आतंकियों का जीवन काल अब एक से 90 दिन तक रह गया है. उन्होंने कहा कि पहले आतंकवादी समूहों में शामिल होने के बाद नए रिक्रूट कई वर्षो तक आतंकवाद में संलिप्त रहते थे.
डीजीपी के अनुसार, इस वर्ष अगस्त के शुरुआत तक आतंकवादी समूहों में कुल 80 लड़के शामिल हुए हैं और इनमें से 38 को आतंकवादी समूह में शामिल होने के पहले दिन से लेकर तीन महीने के अंदर मार डाला गया है.
सिंह ने कहा कि इनमें से 22 को पकड़ लिया गया है, क्योंकि ये कुछ मामलों में संलिप्त थे और 20 आतंकवादी अभी भी सक्रिय हैं, जो सुरक्षा बलों की रडार पर हैं.
सिंह के अनुसार, पुलिस ने लगभग आधा दर्जन एनकाउंटर में अभियान इसलिए रोक दिए, क्योंकि यह पता चला कि जहां आतंकी छिपे हुए हैं, उन परिसरों में अंदर बच्चे मौजूद हैं.
उन्होंने कहा, "कुछ मामलों में हम आतंकियों के परिजनों को 20 किलोमीटर दूर से लेकर आए, ताकि वे उनकी अपील पर सरेंडर कर दें. पुलिस ने उनके खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं करने का आश्वासन भी दिया, लेकिन उन्होंने सरेंडर नहीं किया, क्योंकि उन्हें उनके सहयोगियों द्वारा धमकाया गया है, जो कुख्यात आतंकवादी हैं."
1987 बैच के आईएएस अधिकारी ने कहा, "हम इन मामलों से इस बिनाह पर पहुंचे कि लड़के यह सोचते हैं कि उनके सहयोगी न केवल उन्हें मार देंगे, बल्कि उनके परिजनों को भी मार देंगे. यह संभवत: उनके वापस नहीं आने का एक कारण हो सकता है."
उन्होंने कहा, "इस वर्ष अबतक केवल घुसपैठ की 26 घटनाओं की पुष्टि हुई है. वहीं गत वर्ष जनवरी से जुलाई के बीच ऐसे मामलों की संख्या इससे दोगुनी थी. इस वर्ष संघर्ष विराम उल्लंघन की घटनाएं बढ़कर 487 हो गईं हैं."
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उन्होंने कहा कि गत वर्ष संघर्ष विराम उल्लंघन की 267 घटनाएं हुईं थीं, जोकि इस वर्ष बढ़कर 487 हो गईं. पाकिस्तान की तरफ से संघर्ष विराम उल्लंघन की घटनाओं में गत वर्ष के मुकाबले 75 फीसदी का उछाल आया है.
(आईएएनएस)