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कृषि क्षेत्र में लाए गए बिलों से किसानों को होगा फायदा : एमजे खान

आईसीएफए के अध्यक्ष एमजे खान मानते हैं कि कृषि क्षेत्र में कई विकल्प खुलेंगे और निवेश बढ़ेगा. सप्लाई चेन की प्रणाली बेहतर होगी. साथ ही सरकार हो यह भी देखना होगा कि जब बहुत सारी प्राइवेट कंपनियां आएंगी तो उन्हें किस तरह से नियंत्रित रखा जाता है.

एमजे खान
एमजे खान
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Published : Sep 15, 2020, 10:44 PM IST

नई दिल्लीः कृषि क्षेत्र में सरकार द्वारा लाये गए तीन अध्यादेशों को विपक्ष और तमाम किसान संगठनों के विरोध के बावजूद भी सोमवार को लोकसभा में पेश किया गया जहां इसे मंजूरी भी मिल गई है. लोकसभा में अपना पक्ष रखते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि इस बिल में किसान विरोधी कुछ भी नहीं है और सरकार की मंशा बिल्कुल स्पष्ट है लेकिन, दूसरी तरफ किसान परेशान हैं और उन्हें लगता है कि इन अध्यादेशों के कानून बन जाने के बाद कृषि क्षेत्र में भी कॉर्पोरेट का बोल बाला होगा और सरकार अपने हाथ खींच लेगी.


ईटीवी भारत ने इस विषय पर इंडियन चैम्बर्स ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर के अध्यक्ष एमजे खान ने विशेष बातचीत की. एमजे खान ने कहा कि कृषि क्षेत्र के लिये ये बिल सकारात्मक हैं लेकिन आज किसानों के मन में आशंका इसलिये है क्योंकि उन्हें पहले विश्वास में नहीं लिया गया. सरकार ने अध्यादेश लाने से पहले किसान संगठनों से इस पर चर्चा करने की बजाय उद्योग और व्यापार से जुड़े संगठनों से चर्चा की और जल्दीबाजी में अध्यादेश ले आई.

ईटीवी भारत ने एमजे खान से की विशेष बातचीत.

अब किसान सोच रहे हैं कि इनके दूरगामी परिणाम कहीं उद्योग जगत को फायदा पहुंचाने वाले तो नहीं होंगे. हालांकि तकनीकी रूप से ऐसी कोई बात नहीं है जो किसानों के खिलाफ जाती हो. सरकार और किसान संगठनों के बीच इस पर कोई चर्चा या संवाद नहीं हुआ और इसलिये ये आशंकाएं पैदा हो रही और और इन्हीं कारणों से इसका विरोध भी हो रहा है.


एमजे खान ने आगे कहा कि निजी तौर पर वह मानते हैं कि किसानों और कॉर्पोरेट के बीच में कोई झगड़ा नहीं है. अगर प्राइवेट कंपनियां कृषि क्षेत्र में उतरेंगी तो वैल्यू एडिशन होगा. इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर होगा और प्रसंस्करण से ले कर खरीद तक में कई विकल्प उपलब्ध होंगे. हालांकि दुनिया में तमाम ऐसे उदाहरण भी मौजूद हैं जहां लोग इसका गलत फायदा भी उठाते हैं लेकिन यदि किसानों को इसके प्रति जागरुक कर उनके बीच विश्वास बनाया जाए तो बेहतर होगा. क्योंकि बहरहाल किसान इनमें खामियां ही देख रहे हैं.


आज किसानों को लग रहा है कि इन अध्यादेशों के कानून बनने के बाद जब सरकार अपना हस्तक्षेप कम कर देगी तो एमएसपी भी खत्म हो जाएगी और सब्सिडी भी धीरे धीरे बन्द हो जाएगी. इसलिये किसानों को ये समझाना जरूरी है कि इन कानूनों के साथ-साथ सरकार ने क्या अंकुश प्राइवेट क्षेत्र पर रखने का प्रावधान किया है और किसानों को क्या सुरक्षा मिलेगी. आम तौर पर जहां सरकार का हस्तक्षेप खत्म होता है वहां प्राइवेट कंपनियां ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने पर जोर देती हैं इसलिये आशंकाएं बनी हुई हैं.

पढ़ेंः दुनिया भर में मनाया जा रहा अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस, जानें क्यों है खास


ICFA के अध्यक्ष मानते हैं कि इन बिल के आने से कृषि क्षेत्र में कई विकल्प खुलेंगे और निवेश बढ़ेगा. सप्लाई चेन की प्रणाली बेहतर होगी साथ ही सरकार हो यह भी देखना होगा कि जब बहुत सारी प्राइवेट कंपनियां आएंगी तो उन्हें किस तरह से नियंत्रित रखा जाता है. कृषि क्षेत्र में पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट की बहुत आवश्यकता थी जो प्राइवेट सेक्टर के आने से बेहतर होगा. एमजे खान ने इन कृषि अध्यादेशों का समर्थन किया है.

नई दिल्लीः कृषि क्षेत्र में सरकार द्वारा लाये गए तीन अध्यादेशों को विपक्ष और तमाम किसान संगठनों के विरोध के बावजूद भी सोमवार को लोकसभा में पेश किया गया जहां इसे मंजूरी भी मिल गई है. लोकसभा में अपना पक्ष रखते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि इस बिल में किसान विरोधी कुछ भी नहीं है और सरकार की मंशा बिल्कुल स्पष्ट है लेकिन, दूसरी तरफ किसान परेशान हैं और उन्हें लगता है कि इन अध्यादेशों के कानून बन जाने के बाद कृषि क्षेत्र में भी कॉर्पोरेट का बोल बाला होगा और सरकार अपने हाथ खींच लेगी.


ईटीवी भारत ने इस विषय पर इंडियन चैम्बर्स ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर के अध्यक्ष एमजे खान ने विशेष बातचीत की. एमजे खान ने कहा कि कृषि क्षेत्र के लिये ये बिल सकारात्मक हैं लेकिन आज किसानों के मन में आशंका इसलिये है क्योंकि उन्हें पहले विश्वास में नहीं लिया गया. सरकार ने अध्यादेश लाने से पहले किसान संगठनों से इस पर चर्चा करने की बजाय उद्योग और व्यापार से जुड़े संगठनों से चर्चा की और जल्दीबाजी में अध्यादेश ले आई.

ईटीवी भारत ने एमजे खान से की विशेष बातचीत.

अब किसान सोच रहे हैं कि इनके दूरगामी परिणाम कहीं उद्योग जगत को फायदा पहुंचाने वाले तो नहीं होंगे. हालांकि तकनीकी रूप से ऐसी कोई बात नहीं है जो किसानों के खिलाफ जाती हो. सरकार और किसान संगठनों के बीच इस पर कोई चर्चा या संवाद नहीं हुआ और इसलिये ये आशंकाएं पैदा हो रही और और इन्हीं कारणों से इसका विरोध भी हो रहा है.


एमजे खान ने आगे कहा कि निजी तौर पर वह मानते हैं कि किसानों और कॉर्पोरेट के बीच में कोई झगड़ा नहीं है. अगर प्राइवेट कंपनियां कृषि क्षेत्र में उतरेंगी तो वैल्यू एडिशन होगा. इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर होगा और प्रसंस्करण से ले कर खरीद तक में कई विकल्प उपलब्ध होंगे. हालांकि दुनिया में तमाम ऐसे उदाहरण भी मौजूद हैं जहां लोग इसका गलत फायदा भी उठाते हैं लेकिन यदि किसानों को इसके प्रति जागरुक कर उनके बीच विश्वास बनाया जाए तो बेहतर होगा. क्योंकि बहरहाल किसान इनमें खामियां ही देख रहे हैं.


आज किसानों को लग रहा है कि इन अध्यादेशों के कानून बनने के बाद जब सरकार अपना हस्तक्षेप कम कर देगी तो एमएसपी भी खत्म हो जाएगी और सब्सिडी भी धीरे धीरे बन्द हो जाएगी. इसलिये किसानों को ये समझाना जरूरी है कि इन कानूनों के साथ-साथ सरकार ने क्या अंकुश प्राइवेट क्षेत्र पर रखने का प्रावधान किया है और किसानों को क्या सुरक्षा मिलेगी. आम तौर पर जहां सरकार का हस्तक्षेप खत्म होता है वहां प्राइवेट कंपनियां ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने पर जोर देती हैं इसलिये आशंकाएं बनी हुई हैं.

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ICFA के अध्यक्ष मानते हैं कि इन बिल के आने से कृषि क्षेत्र में कई विकल्प खुलेंगे और निवेश बढ़ेगा. सप्लाई चेन की प्रणाली बेहतर होगी साथ ही सरकार हो यह भी देखना होगा कि जब बहुत सारी प्राइवेट कंपनियां आएंगी तो उन्हें किस तरह से नियंत्रित रखा जाता है. कृषि क्षेत्र में पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट की बहुत आवश्यकता थी जो प्राइवेट सेक्टर के आने से बेहतर होगा. एमजे खान ने इन कृषि अध्यादेशों का समर्थन किया है.

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