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वोट बैंक की चिंता में भाजपा, अनर्गल बयान न देने के निर्देश !

उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुए कथित गैंगरेप के मामले में योगी आदित्यनाथ की सरकार तत्परता से कार्रवाई कर रही है. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि सरकार सीबीआई जांच के लिए तैयार है. हालांकि, केंद्र और यूपी में सत्तारूढ़ भाजपा के लिए यह घटना चिंता का सबब भी बनती जा रही है. इसका कारण है पड़ोसी राज्य बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव. बिहार में 28 अक्टूबर, तीन और सात नवंबर को होने वाले मतदान के दौरान हाथरस कांड अहम भूमिका निभा सकती है. पढ़ें वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की रिपोर्ट

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Published : Oct 7, 2020, 3:59 AM IST

नई दिल्ली : हाथरस मामले पर विपक्षियों का बवाल जैसे-जैसे बढ़ता जा रहा है भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व में इस बात को लेकर काफी चिंता है. इस मुद्दे पर लेकर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने उत्तर प्रदेश सरकार पर दबाव भी बनाया है कि इस मामले में कोई भी कोताही न बरती जाए. हाथरस मामले में भाजपा आलाकमान ने उत्तर प्रदेश की सरकार को यह निश्चित करने को कहा है कि दोषियों की जल्द से जल्द पहचान की जाए.

इस मामले को लेकर भाजपा के केंद्रीय नेता चिंतित हैं कि बिहार चुनाव में कहीं वोट बैंक पर इसका असर ना पड़े. इसलिए भारतीय जनता पार्टी कैसे डैमेज कंट्रोल किया जाए इन मुद्दों पर मंथन कर रही है.

पहले बिहार और बाद में बंगाल में चुनाव की सरगर्मियां जोर-शोर से शुरू हो चुकी हैं. भाजपा इन दोनों ही राज्यों के चुनावों को हर हाल में जीतना चाहती है. यही वजह है कि चुनाव प्रचार में भी भाजपा के लोग एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए हैं.

दरअसल, जिस तरह से उत्तर प्रदेश के हाथरस में गैंगरेप की घटना को विपक्षी पार्टियों ने राजनीतिक तूल दे दिया है उसे लेकर भाजपा में अंदर खाने हड़कंप मचा हुआ है. एक तो यह महिला सुरक्षा से जुड़ा मामला है. इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी हमेशा से उत्तर प्रदेश की मिसाल पेश करती रही थी. पार्टी कानून व्यवस्था में महिला सुरक्षा को लेकर की गई पहल को लेकर योगी सरकार की बड़ाई करती आई थी.

दूसरी तरफ यह मामला दलित वोट बैंक से भी सीधे तौर पर जुड़ता है. इसे लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में लगातार मंथन चल रहा है. पार्टी के अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष लाल सिंह ने बताया कि उन्होंने और पार्टी के नेता दुष्यंत गौतम ने पार्टी नेतृत्व के निर्देश पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस मुद्दे पर बातचीत भी की है.

साथ ही पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी लगातार इस मुद्दे पर रिपोर्ट ले रहा है. पार्टी ने यह भी कहा है कि सीएम योगी ने हाथरस मामले की जांच को जल्द आगे बढ़ने और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने की बात कही है.

सूत्रों की मानें तो हाथरस के कथित गैंगरेप मामले में केंद्रीय नेतृत्व योगी सरकार से इस बात को लेकर नाराजगी जाहिर कर चुका है कि कहीं ना कहीं इस मामले में योगी सरकार ने शुरुआती दौर में मिस हैंडलिंग की है. इसी कारण यह मामला विपक्षियों के हत्थे चढ़ गया और धीरे-धीरे इस पर यह तूल पकड़ता दिख रहा है.

सूत्रों की मानें तो पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने इस हत्याकांड के बाद उत्तर प्रदेश प्रशासन और पुलिस द्वारा एक के बाद एक हुई गलतियों को लेकर भी योगी सरकार की खिंचाई की है. आगे इस मामले पर फूंक-फूंक कर कदम रखने के सख्त निर्देश दिए गए हैं.

इन सबके बीच हाथरस मामले को लेकर पार्टी को यह डर सता रहा है कि बिहार में चुनाव सिर पर है और विपक्षी पार्टियां धीरे-धीरे इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश में है.

सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजस्वी यादव ने हाथरस मुद्दे पर दलित एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए मौन रखा. इससे साफ है कि जिस तरह भारतीय जनता पार्टी बिहार में सुशांत सिंह मामले को जोर-शोर से उछाल रही थी उसी तरह अब विपक्षी खेमे को हाथरस का मुद्दा हाथ लग गया है.

दिलचस्प है कि बिहार के चुनाव में हाथरस कांड को दलित वोट बैंक के खिलाफ विपक्षी पार्टियां जोर-शोर से भुनाने की तैयारी में है. यह बातें कहीं ना कहीं भाजपा के सारे किए-कराए पर पानी फेर सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि दलित वोट बैंक का एक बड़ा हिस्सा जो एनडीए के खेमे में आता था वह एलजेपी के माध्यम से भी आता था, लेकिन इस बार एलजेपी अलग होकर चुनाव लड़ रही है.

ईटीवी भारत ने इस मामले पर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन से बात की. उन्होंने हाथरस कांड का नाम न लेते हुए बिहार चुनाव पर टिप्पणी की. शाहनवाज ने कहा कि नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे यह जनता ने मन में ठान लिया है. यह चुनाव 2020 है और भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर से जीतेगी. उन्होंने कहा कि इस बार भारतीय जनता पार्टी 220 सीटों से ज्यादा जीतेगी.

शाहनवाज ने कहा कि इस चुनाव में महागठबंधन टूट गया है और आरजेडी पूरी तरह से हताश और निराश है. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी इस विकास के पथ को आगे बढ़ाएगी और बिहार में एक बार फिर एनडीए सरकार बनेगी.

बहरहाल, भारतीय जनता पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व यह नहीं चाहता कि हाथरस का मुद्दा किसी भी हाल में केंद्रीय मुद्दा बने. हालांकि, कांग्रेस इस मामले को पूरे देश में और खासतौर पर उन राज्यों में जहां चुनाव हैं, उछालने की कोशिश कर रही है. इस कारण भाजपा में काफी तनाव है.

पिछले दिनों बिहार चुनाव से लेकर भारतीय जनता पार्टी के रणनीतिकारों की एक बैठक में दलित मुद्दे से संबंधित उपलब्धियों को जोर-शोर से जनता के सामने रखने और उनके कल्याण से संबंधित उपलब्धियों के पोस्टर और बैनर को ज्यादा से ज्यादा प्रचारित करने के निर्देश दिए गए हैं.

भाजपा की इस पहल का मकसद है कि विपक्षी राजनीतिक दल बिहार में हाथरस कांड की आग को दलित वोट बैंक के खिलाफ ना फैला पाएं. इसी के साथ ज्यादातर पार्टी प्रवक्ताओं और नेताओं को हाथरस पर अनर्गल टिप्पणी करने से बचने को भी कहा गया है.

नई दिल्ली : हाथरस मामले पर विपक्षियों का बवाल जैसे-जैसे बढ़ता जा रहा है भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व में इस बात को लेकर काफी चिंता है. इस मुद्दे पर लेकर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने उत्तर प्रदेश सरकार पर दबाव भी बनाया है कि इस मामले में कोई भी कोताही न बरती जाए. हाथरस मामले में भाजपा आलाकमान ने उत्तर प्रदेश की सरकार को यह निश्चित करने को कहा है कि दोषियों की जल्द से जल्द पहचान की जाए.

इस मामले को लेकर भाजपा के केंद्रीय नेता चिंतित हैं कि बिहार चुनाव में कहीं वोट बैंक पर इसका असर ना पड़े. इसलिए भारतीय जनता पार्टी कैसे डैमेज कंट्रोल किया जाए इन मुद्दों पर मंथन कर रही है.

पहले बिहार और बाद में बंगाल में चुनाव की सरगर्मियां जोर-शोर से शुरू हो चुकी हैं. भाजपा इन दोनों ही राज्यों के चुनावों को हर हाल में जीतना चाहती है. यही वजह है कि चुनाव प्रचार में भी भाजपा के लोग एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए हैं.

दरअसल, जिस तरह से उत्तर प्रदेश के हाथरस में गैंगरेप की घटना को विपक्षी पार्टियों ने राजनीतिक तूल दे दिया है उसे लेकर भाजपा में अंदर खाने हड़कंप मचा हुआ है. एक तो यह महिला सुरक्षा से जुड़ा मामला है. इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी हमेशा से उत्तर प्रदेश की मिसाल पेश करती रही थी. पार्टी कानून व्यवस्था में महिला सुरक्षा को लेकर की गई पहल को लेकर योगी सरकार की बड़ाई करती आई थी.

दूसरी तरफ यह मामला दलित वोट बैंक से भी सीधे तौर पर जुड़ता है. इसे लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में लगातार मंथन चल रहा है. पार्टी के अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष लाल सिंह ने बताया कि उन्होंने और पार्टी के नेता दुष्यंत गौतम ने पार्टी नेतृत्व के निर्देश पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस मुद्दे पर बातचीत भी की है.

साथ ही पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी लगातार इस मुद्दे पर रिपोर्ट ले रहा है. पार्टी ने यह भी कहा है कि सीएम योगी ने हाथरस मामले की जांच को जल्द आगे बढ़ने और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने की बात कही है.

सूत्रों की मानें तो हाथरस के कथित गैंगरेप मामले में केंद्रीय नेतृत्व योगी सरकार से इस बात को लेकर नाराजगी जाहिर कर चुका है कि कहीं ना कहीं इस मामले में योगी सरकार ने शुरुआती दौर में मिस हैंडलिंग की है. इसी कारण यह मामला विपक्षियों के हत्थे चढ़ गया और धीरे-धीरे इस पर यह तूल पकड़ता दिख रहा है.

सूत्रों की मानें तो पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने इस हत्याकांड के बाद उत्तर प्रदेश प्रशासन और पुलिस द्वारा एक के बाद एक हुई गलतियों को लेकर भी योगी सरकार की खिंचाई की है. आगे इस मामले पर फूंक-फूंक कर कदम रखने के सख्त निर्देश दिए गए हैं.

इन सबके बीच हाथरस मामले को लेकर पार्टी को यह डर सता रहा है कि बिहार में चुनाव सिर पर है और विपक्षी पार्टियां धीरे-धीरे इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश में है.

सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजस्वी यादव ने हाथरस मुद्दे पर दलित एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए मौन रखा. इससे साफ है कि जिस तरह भारतीय जनता पार्टी बिहार में सुशांत सिंह मामले को जोर-शोर से उछाल रही थी उसी तरह अब विपक्षी खेमे को हाथरस का मुद्दा हाथ लग गया है.

दिलचस्प है कि बिहार के चुनाव में हाथरस कांड को दलित वोट बैंक के खिलाफ विपक्षी पार्टियां जोर-शोर से भुनाने की तैयारी में है. यह बातें कहीं ना कहीं भाजपा के सारे किए-कराए पर पानी फेर सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि दलित वोट बैंक का एक बड़ा हिस्सा जो एनडीए के खेमे में आता था वह एलजेपी के माध्यम से भी आता था, लेकिन इस बार एलजेपी अलग होकर चुनाव लड़ रही है.

ईटीवी भारत ने इस मामले पर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन से बात की. उन्होंने हाथरस कांड का नाम न लेते हुए बिहार चुनाव पर टिप्पणी की. शाहनवाज ने कहा कि नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे यह जनता ने मन में ठान लिया है. यह चुनाव 2020 है और भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर से जीतेगी. उन्होंने कहा कि इस बार भारतीय जनता पार्टी 220 सीटों से ज्यादा जीतेगी.

शाहनवाज ने कहा कि इस चुनाव में महागठबंधन टूट गया है और आरजेडी पूरी तरह से हताश और निराश है. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी इस विकास के पथ को आगे बढ़ाएगी और बिहार में एक बार फिर एनडीए सरकार बनेगी.

बहरहाल, भारतीय जनता पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व यह नहीं चाहता कि हाथरस का मुद्दा किसी भी हाल में केंद्रीय मुद्दा बने. हालांकि, कांग्रेस इस मामले को पूरे देश में और खासतौर पर उन राज्यों में जहां चुनाव हैं, उछालने की कोशिश कर रही है. इस कारण भाजपा में काफी तनाव है.

पिछले दिनों बिहार चुनाव से लेकर भारतीय जनता पार्टी के रणनीतिकारों की एक बैठक में दलित मुद्दे से संबंधित उपलब्धियों को जोर-शोर से जनता के सामने रखने और उनके कल्याण से संबंधित उपलब्धियों के पोस्टर और बैनर को ज्यादा से ज्यादा प्रचारित करने के निर्देश दिए गए हैं.

भाजपा की इस पहल का मकसद है कि विपक्षी राजनीतिक दल बिहार में हाथरस कांड की आग को दलित वोट बैंक के खिलाफ ना फैला पाएं. इसी के साथ ज्यादातर पार्टी प्रवक्ताओं और नेताओं को हाथरस पर अनर्गल टिप्पणी करने से बचने को भी कहा गया है.

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