नई दिल्लीः एंटीगुआ और बारबुडा के प्रधानमंत्री गैस्टन ब्राउन ने मेहुल चौकसी मामले में भारतीय अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया. मामले को लेकर पूर्व राजदूत त्रिपाठी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की है. जे के त्रिपाठी ने इसे भारतीय अधिकारियों की लापरवाही बताया है.
गौरतलब है कि गैस्टन ब्राउन संयुक्त राष्ट्र की महासभा में भाग लेने न्यूयॉर्क पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने मेहुल चौकसी के बारे में बात की.
समाचार एजेंसी को दिया था साक्षात्कार
मीडिया संस्थान को दिए साक्षात्कार में ब्राउन ने कहा, मेहुल चौकसी के बारे में भारतीय अधिकारियों ने यह कहकर स्वीकृति दी थी कि वे एक अच्छे व्यक्ति हैं. और बाद में उन्हें भगोड़ा घोषित किया गया. भारतीय अधिकारियों ने हमें चौकसी को लेकर गलत जानकारी दी.
ब्राउन ने क्या कहा
उन्होंने आगे कहा कि हमारे अधिकारियों ने भारत के द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर ही मेहुल चौकसी को नागरिकता दी है. लेकिन बाद में भारतीय अधिकारियों द्वारा कहा गया कि वे धोखेबाज हैं.
पूर्व राजदूत ने ईटीवी भारत से की बातचीत
इस मामले को लेकर पूर्व राजदूत जे के त्रिपाठी ने ईटीवी भारत से बातचीत की है. बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि सबसे पहले यह दिखाया गया था कि हमारे अधिकारियों ने बड़ी लापरवाही की है.
उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से टेक्नोलॉजी के इस युग में सरकार का बांया हाथ नहीं जानता कि दाहिना हाथ क्या कर रहा है. यह जानकारी का अभाव है, ऐसा नहीं हुआ होगा.
पढ़ेंः मेहुल चोकसी पर कसा शिकंजा, प्रत्यर्पण का रास्ता साफ
धोखाधड़ी का आरोपी मेहुल चौकसी
गौरतलब है कि PNB धोखाधड़ी मामले के आरोपी चौकसी अपने भतीजे नीरव मोदी के साथ हैं. मेहुल चौकसी पर 13,500 करोड़ की पीएनबी की धोखाधड़ी का आरोप है.
आपको बता दें कि जनवरी 2018 में, चौकसी को एंटीगुआ और बारबुडा की नागरिकता दी गई थी.
चौकसी और नीरव मोदी के किए गए थे पासपोर्ट रद्द
फरवरी में जब जांच एजेंसियों को पता लगा कि उन्होंने पीएनबी में भारी ऋण की धोखाधड़ी की है तो चौकसी और मोदी के पासपोर्ट रद्द कर दिए गए थे.
गौरतलब है कि भारत और एंटीगुआ के बीच कोई प्रत्यर्पण संधि नहीं है. इस संबंध में दोनों पक्षों के बीच कई आदान प्रदान हुए थे.
MEA प्रवक्ता ने क्या कहा
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि चौकसी का प्रत्यर्पण मामला नियमित रूप से एंटीगुआ के अधिकारियों के साथ है.
मेहुल चौकसी ने PMLA कोर्ट में एक लिखित आवेदन दिया था जिसमें कहा गया था कि वह जांच में सहयोग करने को तैयार हैं, लेकिन भारत लौटने से इंकार कर दिया था, जिसका कारण उन्होंने मॉब लिंचिंग दिया था.