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राजस्थान : हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे विधानसभा अध्यक्ष

सचिन पायलट सहित कांग्रेस के 19 बागी विधायकों के मामले में उच्च न्यायलय के यथास्थिति बनाये रखने के आदेश के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने बुधवार को शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर की है, जिसमें उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय का आदेश 'जाहिर तौर पर असंवैधानिक' है और यह संविधान की 10वीं अनुसूची के अंतर्गत अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र में 'सीधा अतिक्रमण' है.

सीपी जोशी
सीपी जोशी
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Published : Jul 29, 2020, 11:05 PM IST

Updated : Jul 30, 2020, 12:38 AM IST

जयपुर : राजस्थान के बर्खास्त उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित कांग्रेस के 19 बागी विधायकों के मामले में यथास्थिति बनाये रखने के उच्च न्यायालय के 24 जुलाई के आदेश के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने बुधवार को शीर्ष अदालत में याचिका दायर की है.

अध्यक्ष सीपी जोशी ने अपनी अपील में कहा है कि उच्च न्यायालय का आदेश 'जाहिर तौर पर असंवैधानिक' है और यह संविधान की 10वीं अनुसूची के अंतर्गत अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र में 'सीधा अतिक्रमण' है. विधानसभा अध्यक्ष ने अधिवक्ता सुनील फर्नांडीज के माध्यम से यह अपील दायर की है. अपील में दावा किया गया है कि उच्च न्यायालय का आदेश 10वीं अनुसूची के तहत, सदन की कार्यवाही में सीधा हस्तक्षेप है जिसकी संविधान का अनुच्छेद 212 अनुमति नहीं देता है.

अपील में यह भी कहा गया है कि उच्च न्यायालय का आदेश यथा स्थिति बनाये रखने की किसी वजह को उजागर नहीं करता है. विधानसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस की शिकायत पर इन बागी विधायकों को 14 जुलाई को कारण बताओ नोटिस दिया था. कांग्रेस का कहना था कि इन विधायकों ने पार्टी व्हिप का उल्लंघन किया और विधायक दल की दो बैठकों में हिस्सा नहीं लिया है.

सचिन पायलट और अन्य बागी विधायकों ने उन्हें विधानसभा अध्यक्ष से मिली अयोग्यता का नोटिस को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. इससे पहले 27 जुलाई को विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ दायर अपनी याचिका वापस ले ली थी. जिसमें उपमुख्यमंत्री पद से बर्खास्त किए जा चुके सचिन पायलट और कांग्रेस के 18 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने की कार्यवाही 24 जुलाई तक स्थगित करने के लिए कहा गया था.

यह भी पढ़ें- राजस्थान : राज्यपाल से मुलाकात कर लौटे सीएम गहलोत

विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा था कि उच्च न्यायालय के 24 जुलाई के नये आदेश पर वह कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं.

सिब्बल ने याचिका वापस लेते हुए पीठ से कहा था कि अध्यक्ष को बागी विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने की कार्यवाही स्थगित करने के लिए कहने संबंधी उच्च न्यायालय के 21 जुलाई के आदेश पर शीर्ष अदालत ने रोक नहीं लगाई, जिसके कारण इस याचिका का अब कोई औचित्य नहीं है.

जयपुर : राजस्थान के बर्खास्त उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित कांग्रेस के 19 बागी विधायकों के मामले में यथास्थिति बनाये रखने के उच्च न्यायालय के 24 जुलाई के आदेश के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने बुधवार को शीर्ष अदालत में याचिका दायर की है.

अध्यक्ष सीपी जोशी ने अपनी अपील में कहा है कि उच्च न्यायालय का आदेश 'जाहिर तौर पर असंवैधानिक' है और यह संविधान की 10वीं अनुसूची के अंतर्गत अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र में 'सीधा अतिक्रमण' है. विधानसभा अध्यक्ष ने अधिवक्ता सुनील फर्नांडीज के माध्यम से यह अपील दायर की है. अपील में दावा किया गया है कि उच्च न्यायालय का आदेश 10वीं अनुसूची के तहत, सदन की कार्यवाही में सीधा हस्तक्षेप है जिसकी संविधान का अनुच्छेद 212 अनुमति नहीं देता है.

अपील में यह भी कहा गया है कि उच्च न्यायालय का आदेश यथा स्थिति बनाये रखने की किसी वजह को उजागर नहीं करता है. विधानसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस की शिकायत पर इन बागी विधायकों को 14 जुलाई को कारण बताओ नोटिस दिया था. कांग्रेस का कहना था कि इन विधायकों ने पार्टी व्हिप का उल्लंघन किया और विधायक दल की दो बैठकों में हिस्सा नहीं लिया है.

सचिन पायलट और अन्य बागी विधायकों ने उन्हें विधानसभा अध्यक्ष से मिली अयोग्यता का नोटिस को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. इससे पहले 27 जुलाई को विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ दायर अपनी याचिका वापस ले ली थी. जिसमें उपमुख्यमंत्री पद से बर्खास्त किए जा चुके सचिन पायलट और कांग्रेस के 18 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने की कार्यवाही 24 जुलाई तक स्थगित करने के लिए कहा गया था.

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विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा था कि उच्च न्यायालय के 24 जुलाई के नये आदेश पर वह कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं.

सिब्बल ने याचिका वापस लेते हुए पीठ से कहा था कि अध्यक्ष को बागी विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने की कार्यवाही स्थगित करने के लिए कहने संबंधी उच्च न्यायालय के 21 जुलाई के आदेश पर शीर्ष अदालत ने रोक नहीं लगाई, जिसके कारण इस याचिका का अब कोई औचित्य नहीं है.

Last Updated : Jul 30, 2020, 12:38 AM IST
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