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कृषि कानून के खिलाफ कांग्रेस, मनाएगी 'किसान-मजदूर बचाओ दिवस'

किसानों और राजनीतिक दलों के लगातार विरोध के बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मॉनसून सत्र में संसद से पास किसानों और खेती से जुड़े बिलों पर अपनी सहमति दे दी है. अब इस विषय को लेकर कांग्रेस प्रदर्शन पर उतर आई है. पार्टी ने फैसला किया है कि वह महात्मा गांधी की जयंती पर किसानों को हक दिलवाने के लिए 'किसान-मजदूर बचाओ दिवस' मनाएगी.

Congress protest against farm laws
कृषि कानून के खिलाफ लागातार प्रदर्शन जारी
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Published : Sep 29, 2020, 7:49 AM IST

नई दिल्ली : संसद के बाद किसानों और खेती से जुड़े बिलों को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी. अब यह बिल कानून बन चुका है. इस कृषि कानून को लेकर कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडु और अन्य राज्यों में प्रदर्शन कर राज्यपाल को इसके खिलाफ ज्ञापन सौंपा गया.

पार्टी ने एक बयान में कहा कि केंद्र सरकार के खिलाफ किसानों के साथ कांग्रेस पार्टी राष्ट्रव्यापी आंदोलन कर रही है. इस विरोध प्रदर्शनों का उद्देश्य बहरी सरकार को किसानों की आवाज सुनाना और केंद्र सरकार द्वारा पारित अत्याचार विरोधी बिलों को वापस लेना था.

इस कानून में एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) को समाप्त कर दिया गया और कृषि उपज खरीद क्षेत्र में कॉर्पोरेट एकाधिकार का निर्माण किया गया.

इससे पहले भी मुख्यमंत्रियों, पीसीसी प्रमुखों, पार्टी नेताओं, विधायकों, सांसदों और पार्टी के पदाधिकारियों ने राज भवन में इकट्ठा होकर कृषि कानूनों के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराने के लिए राजभवन (राज्यपाल कार्यालय) तक मार्च निकाला था.

पंजाब के सीएम, कैप्टन अमरिंदर सिंह अपने मंत्रियों और वरिष्ठ नेताओं के साथ शहीद भगत सिंह के पैतृक गांव खटकड़ कलां में इकट्ठे हुए. उन्होंने यह भी घोषणा की कि उनकी सरकार इन कानूनों को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएगी.

राजस्थान के सीएम, अशोक गहलोत और पीसीसी अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने राज्यपाल को राजभवन में एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें इन कृषि कानूनों को तत्काल वापस लेने का आग्रह किया गया.

इनके अलावा, गुजरात, हरियाणा, केरल, कर्नाटक, पुडुचेरी, तेलंगाना, असम, हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और झारखंड के कांग्रेस नेताओं ने भी राज्यपालों को अपना ज्ञापन सौंपा.

वहीं लखनऊ और बनारस जैसे कुछ स्थानों पर, कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया और जबरन बसों में ले जाया गया. बयान में कहा गया है कि युवा कांग्रेस के प्रदर्शनकारियों ने विभिन्न स्थानों पर कृषि कानून का विरोध किया.

हाल ही में, कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी ने भी अपनी पार्टी शासित राज्यों को संविधान के अनुच्छेद 254 (2) के तहत इन केंद्र सरकार के कृषि कानूनों को दरकिनार करने के लिए राज्य कानूनों को पारित करने की संभावनाओं का पता लगाने को कहा. कांग्रेस का मानना है कि केंद्र यह कानून लाकर किसानों के साथ घोर अन्याय कर रही है.

पढ़ें - कृषि कानून : बड़े आंदोलन की तैयारी, एनडीए को हो सकता है नुकसान

हालांकि, भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार बार-बार यह आरोप लगा रही है कि कांग्रेस इन कृषि कानूनों पर किसानों को गुमराह करने की कोशिश कर रही है क्योंकि इससे किसान बिचौलियों के चंगुल से मुक्त हो जाएंगे और वह अपनी उपज सीधे कॉरपोरेटों को बेच सकेंगे.

देश में हो रहे लगातार विरोधों को देखते हुए कांग्रेस दो अक्टूबर को 'किसान-मजदूर बचाओ दिवस' भी मनाएगी, जिसमें देश के प्रत्येक विधानसभा और जिला मुख्यालयों पर धरने और मार्च किए जाएंगे.

नई दिल्ली : संसद के बाद किसानों और खेती से जुड़े बिलों को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी. अब यह बिल कानून बन चुका है. इस कृषि कानून को लेकर कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडु और अन्य राज्यों में प्रदर्शन कर राज्यपाल को इसके खिलाफ ज्ञापन सौंपा गया.

पार्टी ने एक बयान में कहा कि केंद्र सरकार के खिलाफ किसानों के साथ कांग्रेस पार्टी राष्ट्रव्यापी आंदोलन कर रही है. इस विरोध प्रदर्शनों का उद्देश्य बहरी सरकार को किसानों की आवाज सुनाना और केंद्र सरकार द्वारा पारित अत्याचार विरोधी बिलों को वापस लेना था.

इस कानून में एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) को समाप्त कर दिया गया और कृषि उपज खरीद क्षेत्र में कॉर्पोरेट एकाधिकार का निर्माण किया गया.

इससे पहले भी मुख्यमंत्रियों, पीसीसी प्रमुखों, पार्टी नेताओं, विधायकों, सांसदों और पार्टी के पदाधिकारियों ने राज भवन में इकट्ठा होकर कृषि कानूनों के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराने के लिए राजभवन (राज्यपाल कार्यालय) तक मार्च निकाला था.

पंजाब के सीएम, कैप्टन अमरिंदर सिंह अपने मंत्रियों और वरिष्ठ नेताओं के साथ शहीद भगत सिंह के पैतृक गांव खटकड़ कलां में इकट्ठे हुए. उन्होंने यह भी घोषणा की कि उनकी सरकार इन कानूनों को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएगी.

राजस्थान के सीएम, अशोक गहलोत और पीसीसी अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने राज्यपाल को राजभवन में एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें इन कृषि कानूनों को तत्काल वापस लेने का आग्रह किया गया.

इनके अलावा, गुजरात, हरियाणा, केरल, कर्नाटक, पुडुचेरी, तेलंगाना, असम, हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और झारखंड के कांग्रेस नेताओं ने भी राज्यपालों को अपना ज्ञापन सौंपा.

वहीं लखनऊ और बनारस जैसे कुछ स्थानों पर, कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया और जबरन बसों में ले जाया गया. बयान में कहा गया है कि युवा कांग्रेस के प्रदर्शनकारियों ने विभिन्न स्थानों पर कृषि कानून का विरोध किया.

हाल ही में, कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी ने भी अपनी पार्टी शासित राज्यों को संविधान के अनुच्छेद 254 (2) के तहत इन केंद्र सरकार के कृषि कानूनों को दरकिनार करने के लिए राज्य कानूनों को पारित करने की संभावनाओं का पता लगाने को कहा. कांग्रेस का मानना है कि केंद्र यह कानून लाकर किसानों के साथ घोर अन्याय कर रही है.

पढ़ें - कृषि कानून : बड़े आंदोलन की तैयारी, एनडीए को हो सकता है नुकसान

हालांकि, भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार बार-बार यह आरोप लगा रही है कि कांग्रेस इन कृषि कानूनों पर किसानों को गुमराह करने की कोशिश कर रही है क्योंकि इससे किसान बिचौलियों के चंगुल से मुक्त हो जाएंगे और वह अपनी उपज सीधे कॉरपोरेटों को बेच सकेंगे.

देश में हो रहे लगातार विरोधों को देखते हुए कांग्रेस दो अक्टूबर को 'किसान-मजदूर बचाओ दिवस' भी मनाएगी, जिसमें देश के प्रत्येक विधानसभा और जिला मुख्यालयों पर धरने और मार्च किए जाएंगे.

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