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रेजांग-ला में रणनीतिक बढ़त पाने की योजना से आगे बढ़े थे चीनी सैनिक

करीब 50-60 चीनी सैनिकों ने रेजांग-ला क्षेत्र में रणनीतिक बढ़त पाने की योजना से आगे बढ़ना शुरू किया था. लेकिन वहां पर मुस्तैद भारतीय जवानों ने उन्हें पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया. चीनी सैनिकों छड़, भाले और रॉड के लैस थे.

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रेजांग-ला चीनी सैनिक
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Published : Sep 9, 2020, 7:57 AM IST

नई दिल्ली/बीजिंग : भारत ने कहा कि छड़, भाले और रॉड आदि से लैस चीनी सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख में रेजांग-ला रिज लाइन के मुखपारी क्षेत्र स्थित एक भारतीय ठिकाने की ओर सोमवार शाम आक्रामक तरीके से बढ़ने का प्रयास किया था तथा हवा में गोलियां चलाईं. सीमा पर जारी तनाव के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 45 साल में ऐसा पहली बार हुआ है जब आग्नेयास्त्रों का इस्तेमाल किया गया.

वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव बढ़ने के बीच सूत्रों ने कहा कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के लगभग 50-60 सैनिक सोमवार शाम छह बजे के आसपास पैंगोंग झील क्षेत्र के दक्षिणी तट स्थित भारतीय चौकी की ओर बढ़े लेकिन वहां तैनात भारतीय सेना के जवानों ने दृढ़ता से उनका सामना किया, जिससे उन्हें पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा.

यह घटना मॉस्को में भारत और चीन के रक्षा मंत्रियों के बीच बैठक के तीन दिन बाद तथा रूस की राजधानी में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच गुरुवार को होने वाली बैठक से पहले हुई है.

उल्लेखनीय है कि चीन के सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में 15 जून को हुई झड़पों के दौरान पत्थरों, कील लगे डंडों, लोहे की छड़ों आदि से भारतीय सैनिकों पर बर्बर हमला किया था, जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे. अमेरिका की एक खुफिया रिपोर्ट के अनुसार गलवान घाटी में हुई झड़पों में भारतीय सैनिकों ने चीन के 35 सैनिकों को मार गिराया था.

सरकारी सूत्रों ने कहा कि हो सकता है कि चीन की सेना ने योजना बनाई हो कि सोमवार शाम भारतीय सेना को उसी तरह की झड़प में फंसाया जाए जैसी झड़प गलवान घाटी में हुई थी, क्योंकि उसके सैनिकों ने छड़, भाले और 'गुआनदाओ' आदि हथियार ले रखे थे. 'गुआनदाओ' एक तरह का चीनी हथियार है जिसका इस्तेमाल चीनी ‘मार्शल आर्ट’ के कुछ स्वरूपों में किया जाता है. इसके ऊपर धारदार ब्लेड लगा होता है.

यह भी पढ़ें: गलवान की घटना दोहराने बरछे-भाले लेकर आए थे चीनी सैनिक

जब भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों को वापस जाने के लिए मजबूर किया, तो उन्होंने भारतीय सैनिकों को भयभीत करने के लिए हवा में 10-15 गोलियां चलाईं. वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 45 साल के अंतराल के बाद गोली चली है. इससे पहले एलएसी पर गोली चलने की घटना 1975 में हुई थी.

सूत्रों ने बताया कि भारतीय सैनिकों ने किसी आग्नेयास्त्र का इस्तेमाल नहीं किया.

india china
भारत चीन तनाव के मद्देनजर लद्दाख में अहम जगहों की स्थिति

सूत्रों ने कहा कि चीन के सैनिकों का प्रयास भारतीय सेना को मुखपारी और रेजांग-ला क्षेत्रों में स्थित रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण चोटियों से हटाना था.

सूत्रों ने कहा कि पीएलए की नजर पिछले तीन-चार दिनों से रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण चोटियों पर कब्जा करने पर है. चीन के सैनिकों ने सोमवार शाम लोहे की एक बाड़ को क्षतिग्रस्त कर दिया, जिसे भारतीय सैनिकों ने क्षेत्र में लगाया था.

मोल्डो क्षेत्र स्थित प्रमुख चीनी संरचनाओं के सामने पैंगोंग झील क्षेत्र के दक्षिणी तट के आसपास रणनीतिक चोटियों पर भारत की स्थिति मजबूत बनी हुई है.

पीएलए ने सोमवार रात आरोप लगाया था कि भारतीय सैनिकों ने एलएसी पार की और पैंगोंग झील के पास 'गोलीबारी की.' भारतीय सेना ने मंगलवार को आरोपों को खारिज किया.

यह भी पढ़ें: रेजांग ला की ठंडी चोटियों में गोलियों की आवाज से दम तोड़ती सच्चाई

भारतीय सेना ने चीन की पीएलए के आरोपों को मंगलवार को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि उसने कभी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पार नहीं की या गोलीबारी समेत किसी आक्रामक तरीके का इस्तेमाल नहीं किया.

भारतीय सेना ने एक बयान में कहा कि यह पीएलए है जो समझौतों का खुलेआम उल्लंघन कर रही है और आक्रामक युक्तियां अपना रही है जबकि सैन्य, कूटनीतिक एवं राजनीतिक स्तर पर बातचीत जारी है.

सरकारी सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सरकार के शीर्ष अधिकारियों को पूर्वी लद्दाख की स्थिति के बारे में अवगत कराया गया है और सेना से लद्दाख में एलएसी प अत्याधिक चौकस रहने को कहा गया है.

उधर, पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के सैनिकों के बीच ताजा टकराव के बाद बीजिंग ने पारस्परिक चर्चा के माध्यम से आसन्न भीषण ठंड के चलते सैनिकों की जल्द से जल्द वापसी की मंगलवार को उम्मीद जताई.

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजान ने भारत और चीन द्वारा एक-दूसरे पर सोमवार को पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के पास हवा में गोलियां चलाने का आरोप लगाए जाने के कुछ घंटे बाद सैनिकों की वापसी की यह उम्मीद जताई.

बीजिंग में मीडिया ब्रीफिंग में यथास्थिति की बहाली के बारे में पूछे जाने पर प्रवक्ता झाओ ने सैनिकों की वापसी के बारे में बात कही. उन्होंने कहा, 'आप अच्छा सोचें. हम सभी उम्मीद करते हैं कि हमारे सैनिक अपने शिविर क्षेत्रों में लौटें तथा सीमावर्ती क्षेत्रों में कोई और टकराव न हो.'

झाओ ने कहा, 'आप जानते हैं कि उस जगह बहुत ही बुरी प्राकृतिक स्थिति है और यह चार हजार मीटर की ऊंचाई पर है.' उन्होंने कहा, 'ठंड में इंसानों का वहां रहना ठीक नहीं है. इसलिए हम उम्मीद करते हैं कि कूटनीतिक और सैन्य माध्यमों के जरिए तथा जमीनी वार्ता के जरिए हम सैनिकों की जल्द से जल्द वापसी का लक्ष्य हासिल कर सकते हैं और सहमति पर पहुंच सकते हैं.'

भारत पहले ही एलएसी से पूर्ण वापसी और तनाव खत्म करने के लिए मिलकर काम करने का चीन से आह्वान कर चुका है और उसने कहा है कि द्विपक्षीय संबंध सीमा की स्थिति पर निर्भर करेंगे.

सीमा पर चार महीने से चले आ रहे तनाव के बीच यह पहली बार है जब चीन ने पर्वतीय लद्दाख क्षेत्र में भीषण ठंड के चलते बेहद विपरीत परिस्थतियों को आधिकारिक रूप से माना है. इस क्षेत्र में तापमान शून्य से 30 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाता है और यह स्थिति तनाव के चलते क्षेत्र में तैनात किए गए दोनों देशों के हजारों सैनिकों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है.

क्षेत्र से आ रही खबरों में कहा गया है कि दोनों देशों ने क्षेत्र में लंबे समय तक अपने सैनिकों की तैनाती के प्रबंध किए हैं, खासकर पैंगोंग झील क्षेत्र में, जहां दोनों देशों की सेनाएं भारी अस्त्र-शस्त्रों के साथ एक-दूसरे के आमने-सामने खड़ी हैं.

झाओ ने अपनी सेना के सुर में सुर मिलाते हुए सोमवार को हवा में हुई गोलीबारी का आरोप भारतीय सेना पर लगाने की कोशिश की.

भारतीय सेना के इन आरोपों के बारे में पूछे जाने पर कि चीनी सेना ने उकसावे वाली हरकत पहले की, झाओ ने चीनी सेना की पश्चिमी थिएटर कमान के प्रवक्ता का सोमवार को लगाया गया वह आरोप पढ़ा जिसमें कहा गया है कि भारतीय सैनिकों ने अवैध रूप से एलएसी पार की और चीन के सीमा प्रहरियों को चेतावनी देने के लिए 'आक्रामक ढंग से हवा में गोलियां चलाईं' तथा चीन के सैनिकों ने जवाबी कदम उठाया.

यह भी पढ़ें: चीनी विदेश मंत्रालय ने भारत पर लगाए अनर्गल आरोप

झाओ ने कहा, 'मैं इस घटना को लेकर जोर देकर कहना चाहता हूं कि पहले भारतीय पक्ष ने चीनी सैनिकों पर गोली चलाई. 1975 के बाद से यह पहली बार है जब गोलीबारी से शांति में खलल डाला गया है. चीनी पक्ष हमेशा जोर देता है कि दोनों पक्षों को मतभेदों को वार्ता के जरिए शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाना चाहिए. टकराव से किसी को भी लाभ नहीं होगा.'

चर्चा और चीनी सैनिकों के जवाबी कदम के प्रकार के बारे में पूछे जाने पर झाओ ने कहा, 'कूटनीतिक और सैन्य माध्यमों से हमने मजबूती से अपना पक्ष रखा है और भारतीय पक्ष से कहा है कि वह तत्काल अपनी खतरनाक गतिविधियां रोके, सीमा पार करने वाले लोगों को तत्काल वापस बुलाए और सीमा पर तैनात अपने सैनिकों तथा उन सैनिकों को अनुशासन में रखे जिन्होंने चेतावनी के रूप में गोलीबारी की और फिर सुनिश्चित करे कि इस तरह की घटना दोबारा नहीं होगी.'

यह पूछे जाने पर कि क्या चीनी सेना ने जवाबी गोलीबारी की, उन्होंने कहा, 'फिलहाल मेरे पास आपके लिए कोई और जानकारी नहीं है. मेरा मानना है कि मैंने इस पर चीन की स्थिति स्पष्ट कर दी है.'

नई दिल्ली/बीजिंग : भारत ने कहा कि छड़, भाले और रॉड आदि से लैस चीनी सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख में रेजांग-ला रिज लाइन के मुखपारी क्षेत्र स्थित एक भारतीय ठिकाने की ओर सोमवार शाम आक्रामक तरीके से बढ़ने का प्रयास किया था तथा हवा में गोलियां चलाईं. सीमा पर जारी तनाव के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 45 साल में ऐसा पहली बार हुआ है जब आग्नेयास्त्रों का इस्तेमाल किया गया.

वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव बढ़ने के बीच सूत्रों ने कहा कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के लगभग 50-60 सैनिक सोमवार शाम छह बजे के आसपास पैंगोंग झील क्षेत्र के दक्षिणी तट स्थित भारतीय चौकी की ओर बढ़े लेकिन वहां तैनात भारतीय सेना के जवानों ने दृढ़ता से उनका सामना किया, जिससे उन्हें पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा.

यह घटना मॉस्को में भारत और चीन के रक्षा मंत्रियों के बीच बैठक के तीन दिन बाद तथा रूस की राजधानी में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच गुरुवार को होने वाली बैठक से पहले हुई है.

उल्लेखनीय है कि चीन के सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में 15 जून को हुई झड़पों के दौरान पत्थरों, कील लगे डंडों, लोहे की छड़ों आदि से भारतीय सैनिकों पर बर्बर हमला किया था, जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे. अमेरिका की एक खुफिया रिपोर्ट के अनुसार गलवान घाटी में हुई झड़पों में भारतीय सैनिकों ने चीन के 35 सैनिकों को मार गिराया था.

सरकारी सूत्रों ने कहा कि हो सकता है कि चीन की सेना ने योजना बनाई हो कि सोमवार शाम भारतीय सेना को उसी तरह की झड़प में फंसाया जाए जैसी झड़प गलवान घाटी में हुई थी, क्योंकि उसके सैनिकों ने छड़, भाले और 'गुआनदाओ' आदि हथियार ले रखे थे. 'गुआनदाओ' एक तरह का चीनी हथियार है जिसका इस्तेमाल चीनी ‘मार्शल आर्ट’ के कुछ स्वरूपों में किया जाता है. इसके ऊपर धारदार ब्लेड लगा होता है.

यह भी पढ़ें: गलवान की घटना दोहराने बरछे-भाले लेकर आए थे चीनी सैनिक

जब भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों को वापस जाने के लिए मजबूर किया, तो उन्होंने भारतीय सैनिकों को भयभीत करने के लिए हवा में 10-15 गोलियां चलाईं. वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 45 साल के अंतराल के बाद गोली चली है. इससे पहले एलएसी पर गोली चलने की घटना 1975 में हुई थी.

सूत्रों ने बताया कि भारतीय सैनिकों ने किसी आग्नेयास्त्र का इस्तेमाल नहीं किया.

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भारत चीन तनाव के मद्देनजर लद्दाख में अहम जगहों की स्थिति

सूत्रों ने कहा कि चीन के सैनिकों का प्रयास भारतीय सेना को मुखपारी और रेजांग-ला क्षेत्रों में स्थित रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण चोटियों से हटाना था.

सूत्रों ने कहा कि पीएलए की नजर पिछले तीन-चार दिनों से रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण चोटियों पर कब्जा करने पर है. चीन के सैनिकों ने सोमवार शाम लोहे की एक बाड़ को क्षतिग्रस्त कर दिया, जिसे भारतीय सैनिकों ने क्षेत्र में लगाया था.

मोल्डो क्षेत्र स्थित प्रमुख चीनी संरचनाओं के सामने पैंगोंग झील क्षेत्र के दक्षिणी तट के आसपास रणनीतिक चोटियों पर भारत की स्थिति मजबूत बनी हुई है.

पीएलए ने सोमवार रात आरोप लगाया था कि भारतीय सैनिकों ने एलएसी पार की और पैंगोंग झील के पास 'गोलीबारी की.' भारतीय सेना ने मंगलवार को आरोपों को खारिज किया.

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भारतीय सेना ने चीन की पीएलए के आरोपों को मंगलवार को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि उसने कभी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पार नहीं की या गोलीबारी समेत किसी आक्रामक तरीके का इस्तेमाल नहीं किया.

भारतीय सेना ने एक बयान में कहा कि यह पीएलए है जो समझौतों का खुलेआम उल्लंघन कर रही है और आक्रामक युक्तियां अपना रही है जबकि सैन्य, कूटनीतिक एवं राजनीतिक स्तर पर बातचीत जारी है.

सरकारी सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सरकार के शीर्ष अधिकारियों को पूर्वी लद्दाख की स्थिति के बारे में अवगत कराया गया है और सेना से लद्दाख में एलएसी प अत्याधिक चौकस रहने को कहा गया है.

उधर, पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के सैनिकों के बीच ताजा टकराव के बाद बीजिंग ने पारस्परिक चर्चा के माध्यम से आसन्न भीषण ठंड के चलते सैनिकों की जल्द से जल्द वापसी की मंगलवार को उम्मीद जताई.

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजान ने भारत और चीन द्वारा एक-दूसरे पर सोमवार को पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के पास हवा में गोलियां चलाने का आरोप लगाए जाने के कुछ घंटे बाद सैनिकों की वापसी की यह उम्मीद जताई.

बीजिंग में मीडिया ब्रीफिंग में यथास्थिति की बहाली के बारे में पूछे जाने पर प्रवक्ता झाओ ने सैनिकों की वापसी के बारे में बात कही. उन्होंने कहा, 'आप अच्छा सोचें. हम सभी उम्मीद करते हैं कि हमारे सैनिक अपने शिविर क्षेत्रों में लौटें तथा सीमावर्ती क्षेत्रों में कोई और टकराव न हो.'

झाओ ने कहा, 'आप जानते हैं कि उस जगह बहुत ही बुरी प्राकृतिक स्थिति है और यह चार हजार मीटर की ऊंचाई पर है.' उन्होंने कहा, 'ठंड में इंसानों का वहां रहना ठीक नहीं है. इसलिए हम उम्मीद करते हैं कि कूटनीतिक और सैन्य माध्यमों के जरिए तथा जमीनी वार्ता के जरिए हम सैनिकों की जल्द से जल्द वापसी का लक्ष्य हासिल कर सकते हैं और सहमति पर पहुंच सकते हैं.'

भारत पहले ही एलएसी से पूर्ण वापसी और तनाव खत्म करने के लिए मिलकर काम करने का चीन से आह्वान कर चुका है और उसने कहा है कि द्विपक्षीय संबंध सीमा की स्थिति पर निर्भर करेंगे.

सीमा पर चार महीने से चले आ रहे तनाव के बीच यह पहली बार है जब चीन ने पर्वतीय लद्दाख क्षेत्र में भीषण ठंड के चलते बेहद विपरीत परिस्थतियों को आधिकारिक रूप से माना है. इस क्षेत्र में तापमान शून्य से 30 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाता है और यह स्थिति तनाव के चलते क्षेत्र में तैनात किए गए दोनों देशों के हजारों सैनिकों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है.

क्षेत्र से आ रही खबरों में कहा गया है कि दोनों देशों ने क्षेत्र में लंबे समय तक अपने सैनिकों की तैनाती के प्रबंध किए हैं, खासकर पैंगोंग झील क्षेत्र में, जहां दोनों देशों की सेनाएं भारी अस्त्र-शस्त्रों के साथ एक-दूसरे के आमने-सामने खड़ी हैं.

झाओ ने अपनी सेना के सुर में सुर मिलाते हुए सोमवार को हवा में हुई गोलीबारी का आरोप भारतीय सेना पर लगाने की कोशिश की.

भारतीय सेना के इन आरोपों के बारे में पूछे जाने पर कि चीनी सेना ने उकसावे वाली हरकत पहले की, झाओ ने चीनी सेना की पश्चिमी थिएटर कमान के प्रवक्ता का सोमवार को लगाया गया वह आरोप पढ़ा जिसमें कहा गया है कि भारतीय सैनिकों ने अवैध रूप से एलएसी पार की और चीन के सीमा प्रहरियों को चेतावनी देने के लिए 'आक्रामक ढंग से हवा में गोलियां चलाईं' तथा चीन के सैनिकों ने जवाबी कदम उठाया.

यह भी पढ़ें: चीनी विदेश मंत्रालय ने भारत पर लगाए अनर्गल आरोप

झाओ ने कहा, 'मैं इस घटना को लेकर जोर देकर कहना चाहता हूं कि पहले भारतीय पक्ष ने चीनी सैनिकों पर गोली चलाई. 1975 के बाद से यह पहली बार है जब गोलीबारी से शांति में खलल डाला गया है. चीनी पक्ष हमेशा जोर देता है कि दोनों पक्षों को मतभेदों को वार्ता के जरिए शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाना चाहिए. टकराव से किसी को भी लाभ नहीं होगा.'

चर्चा और चीनी सैनिकों के जवाबी कदम के प्रकार के बारे में पूछे जाने पर झाओ ने कहा, 'कूटनीतिक और सैन्य माध्यमों से हमने मजबूती से अपना पक्ष रखा है और भारतीय पक्ष से कहा है कि वह तत्काल अपनी खतरनाक गतिविधियां रोके, सीमा पार करने वाले लोगों को तत्काल वापस बुलाए और सीमा पर तैनात अपने सैनिकों तथा उन सैनिकों को अनुशासन में रखे जिन्होंने चेतावनी के रूप में गोलीबारी की और फिर सुनिश्चित करे कि इस तरह की घटना दोबारा नहीं होगी.'

यह पूछे जाने पर कि क्या चीनी सेना ने जवाबी गोलीबारी की, उन्होंने कहा, 'फिलहाल मेरे पास आपके लिए कोई और जानकारी नहीं है. मेरा मानना है कि मैंने इस पर चीन की स्थिति स्पष्ट कर दी है.'

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