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नो टू सिंगल यूज प्लास्टिक : अपनी कोशिशों से प्लास्टिक मुक्त बन रहे हैं झारखंड के गांव

सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने के लिए देश में अभियान चल रहा है. ईटीवी भारत भी इस मुहिम का एक अहम हिस्सा बना है. इसकी थीम नो प्लास्टिक लाइफ फैंटास्टिक रखी गई है. देखें इस मुहिम की 37वीं कड़ी पर विशेष रिपोर्ट...

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प्लास्टिक मुक्त बन रहा है झारखंड का आरा और केरम गांव
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Published : Jan 17, 2020, 7:03 AM IST

रांची : झारखंड के आरा और केरम गांव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तारीफ बटोरने के बाद एक और अहम पहल की शुरुआत की है. प्रधानमंत्री मोदी इन दोनों गांव की जल संरक्षण के तरीकों को लेकर सराहना कर चुके हैं. इसके बाद अब इन दोनों गांव ने प्लास्टिक मुक्त बनने का संकल्प लिया है.

आपको बता दें, ये दोनों गांव झारखंड की राजधानी रांची से 25 किलोमीटर दूर बसे हुए हैं और ओरमांझी प्रखंड के अंतर्गत आते हैं. आरा और केरम की ग्राम पंचायत ने अपने गांव को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए एक अहम पहल की है.

पहाड़ों की तलहटी में बसे इन गांवों के ग्राम पंचायत के सदस्य प्लास्टिक इस्तेमाल के खतरनाक परिणामों को लेकर लोगों को जागरुक कर रहे हैं. इतना ही नहीं ये लोग प्लास्टिक उपयोग न करने के कानूनों को तोड़ने पर जुर्माना भी लगाते हैं.

इस बारे में बात करते हुए गांव प्रमुख गोपाल बेदिया बताते हैं, 'हमें इसके लिए कहीं और से प्रेरणा नहीं मिली. हर गुरुवार को पंचायत एक बैठक करती है और गांव के जीवन को बेहतर बनाने पर चर्चा की जाती है.'

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उन्होंने कहा, 'इसी तरह जब हम एक बार पंचायत की बैठक कर रहे थे, तब हमने अपने गांव को प्लास्टिक मुक्त बनाने का फैसला किया. प्लास्टिक हमारे पर्यावरण और जानवरों के लिए बेहद हानिकारक होती है.'

उन्होंने आगे कहा, 'गांव में अगर कोई भी प्लास्टिक का इस्तेमाल करता है तो उसे 150 रुपये का जुर्माना देना पड़ता है और अगर वह इसके बाद भी ऐसा करता देखा जाए तो फिर उस पर 500 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है.'

अहम बात ये है इस कार्य में ग्राम पंचायत के साथ ग्रामीणों ने भी गांव को प्लास्टिक मुक्त बनाने का संकल्प लिया है. गांव वालों ने प्रण किया है कि वह बाजार आने-जाने या कोई भी सामान खरीदने के लिए प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं करेंगे.

इस बारे में गांव में रहने वाली एक ग्रामीण महिला राजामणि देवी ने कहा, 'हम बाजार जाते वक्त अपने साथ कपड़े का थैला ले जाते हैं. हालांकि, दुकानदार हमें प्लास्टिक बैग देते हैं लेकिन हम उन्हें लेने से मना कर देते हैं.'

वहीं ईटीवी भारत से बात करते हुए एक अन्य ग्रामीण बाबू राम गोप ने ग्राम पंचायत की पहल की तारीफ की. इसके साथ ही उन्होंने प्लास्टिक के दुष्प्रभावों की भी चर्चा की. उन्होंने कहा, 'हमारे गांव में आपको प्लास्टिक नहीं मिलेगी. हमें ये बात समझ आ गई है कि एक बार लकड़ी, कागज, लौहे को खत्म किया जा सकता है लेकिन प्लास्टिक को खत्म नहीं किया जा सकता.'

उन्होंने आगे कहा, 'अगर प्लास्टिक हमारे खेतों के संपर्क में आ जाती है तो इससे हमारे खेतों को काफी नुकसान होता है. ये जमीन की सतह से पानी को पौधों की जड़ों तक पहुंचने में बाधक बनती है.'

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री द्वारा देश के सभी गांवों को प्लास्टिक मुक्त बनाने की पहल करने से पहले ही झारखंड के गांव आरा और केरम में गांव को प्लास्टिक मुक्त बनाने की ओर कार्य किया जा रहा है. इन दोनों गांवों की दशा देखकर ऐसा लगता पड़ता है कि ये अपना संकल्प पूरा कर चुके हैं.

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उन्होंने आगे कहा, 'अगर प्लास्टिक हमारे खेतों के संपर्क में आ जाती है तो इससे हमारे खेतों को काफी नुकसान होता है. ये जमीन की सतह से पानी को पौधों की जड़ों तक पहुंचने में बाधक बनती है.'

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