बेंगलुरु: कैदियों की जिंदगी आसान नहीं होती. एक बार कैदी का दाग लगने पर उसे हटाना और सामान्य जीवन जीना बहुत मुश्किल होता है. लेकिन यहां की पाराप्पाना अग्रहारा सेंट्रल जेल यहां के कैदियों को ऐसा मौका देने जा रही है जो आजतक किसी कैदी को नहीं मिला. जी हां, इस सेंट्रल जेल में कैदी पहली बार आईटीआई जैसे व्यवसायिक पाठ्यक्रम में पढ़ाई कर सकेंगे. राज्य सरकार ने यहां सेंट्रल जेल में एक आईटीआई कॉलेज स्थापित करने का निर्णय लिया है जो कैदियों को कौशल आधारित शिक्षा देगा.
पहले चरण में 6 महीने का लघु अवधि पाठ्यक्रम और दो साल का व्यावसायिक शिक्षा पाठ्यक्रम (आईटीआई, इलेक्ट्रॉनिक्स) शुरू किया जाएगा. इसमें प्रवेश के लिए न्यूनतम पात्रता 8वीं कक्षा पास रखी गई है. इसके लिए राज्य के जेल विभाग ने प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. फिलहाल परप्पना अग्रहारा जेल में लगभग 1500 कैदी, नियमित कक्षाओं के माध्यम से शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. जेल अधिकारियों ने बताया की अब यहां के सभी कैदी खुद को अपराधी नहीं बल्कि एक छात्र के रूप में देखते हैं.
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एक अन्य अधिकारी ने बताया कि मेरी कक्षा में 30 महिलाएं हैं. पहले जिन्हें कन्नड़ अक्षरों तक के बारे में मालूम नहीं था वह अब कन्नड़ में पूरे वाक्य पढ़ लेतीं हैं. और तो और, वह गणित के सवालों को हल करने के साथ अपना हस्ताक्षर भी कर लेतीं हैं. पुरुषों और महिलाओं के बैरक में प्रतिदिन सुबह 10 से दोपहर 1 बजे तक कक्षाएं संचालित की जाती हैं जिसके बाद लंच ब्रेक होता है. इसके बाद और 1 घंटे कक्षाएं संचालित की जाती हैं और 4 बजे खत्म हो जाती हैं. इन कक्षाओं में 18 से 65 साल के पुरुष और महिलाएं शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. कुछ कैदी तो राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान के माध्यम से कर्नाटक एसएलएससी (9वीं एक 10वीं कक्षा) और पीयूसी (11वीं एवं 12वीं कक्षा) की परिक्षाएं भी दे चुकें है. इतना ही नहीं इन कैदियों में से कुछ तो विधि, पत्रकारिता और साहित्य में स्नातक भी कर चुके हैं.