सावन अधिक मास पूर्णिमा : सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है, इस दिन आयुष्मान योग व प्रीति योग का अद्भुत संयोग भी बन रहा है. इस सावन के महीने में अधिक मास के कारण पूर्णिमा तिथि 2 बार आएगी. इस साल के महीने में दो पूर्णिमा तिथियों का संयोग होने से लोगों में स्नान-दान और रक्षा बंधन वाली पूर्णिमा तिथि को लेकर संशय है. आज सावन अधिक मास की इस पूर्णिमा तिथि में स्नान-दान व्रत रखा जाएगा. रक्षाबंधन 30 अगस्त की रात या 31 अगस्त की सुबह मनाया जाएगा. आइए जानते हैं Sawan Adhik mass Purnima का मुहूर्त और महत्व
भगवान विष्णु की पूजा करें : Sawan Adhik mass Purnima के दिन कई लोग व्रत रखते हैं. इस दिन किसी पवित्र नदी-सरोवर में स्नान के बाद, पूजा-दान अवश्य करना चाहिए.कहा जाता है कि इस दिन दान करने से अक्षय पुण्य मिलता है और पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाना बहुत शुभ होता है. पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा का महत्व बताया गया है और सावन अधिक मास के कारण भगवान शिव की पूजा जरूर करनी चाहिए. Sawan Adhik mass Purnima के दिन भगवान विष्णु, भगवान शिव और चंद्र देव ( Chandra Dev ) की पूजा करने से सारी समस्याएं दूर होती है.
सावन अधिक मास पूर्णिमा का महत्व और तिथि-समय : सावन पूर्णिमा की शुभ तिथि मंगलवार 1 अगस्त को सुबह 03.51 से रात 12.01 बजे तक रहेगी. शास्त्रों में सावन अधिक मास पूर्णिमा के दिन भी पवित्र नदी में स्नान और दान करने का महत्व बताया गया है. पूर्णिमा व्रत चंद्रमा के दर्शन के बिना पूरा नहीं होता है.इस दिन चंद्रमा का दर्शन करने से चंद्रदेव की कृपा प्राप्त होती है. कहा जाता है कि पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और चंद्रदेव की पूजा करने से सभी परेशानी दूर होती हैं. पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान करके सूर्य देव को जल से अर्घ्य व प्रसाद चढ़ाने और नदी में तिल प्रवाहित करने की भी महिमा है.
ऐसे करें पूजा : सावन अधिक मास पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर गंगा आदि पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए उसके बाद भगवान सूर्य को जल से अर्घ्य दें. अर्घ्य देने के बाद पूर्णिमा व्रत का संकल्प ले, भगवान सत्यनारायण का व्रत करें और भगवान सत्यनारायण की कथा पढें. भगवान विष्णु की एक मूर्ति स्थापित कर उसका पंचामृत से अभिषेक करें. एक देसी घी का दिया जलाएं और भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें. ओम नमो नारायणाय. ओम नमो भगवते वासुदेवाय. शाम के समय भगवान विष्णु की पूजा और आरती करें, भगवान चंद्र देव को अर्घ्य दे. ब्राह्मणों और निर्धनों को यथाशक्ति अन्न-धन, भोजन का दान करें.