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ऑस्ट्रेलिया में अडानी के खनन प्रोजेक्ट पर संकट, पुलिस ने स्थानीय लोगों को हटाने से किया इनकार

अडानी समूह ने 2010 में ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड में खनन के लिए जमीन ली थी, लेकिन उस पर अभी तक उत्पादन का काम शुरू नहीं हो सका है. खनन वाली जमीन को लेकर स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं. अडानी द्वारा शिकायत करने के बावजूद पुलिस ने स्थानीय लोगों को हटाने से इनकार कर दिया है.

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Published : Oct 5, 2021, 9:01 PM IST

हैदराबाद : ऑस्ट्रेलिया ने साफ कर दिया है कि वह भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी को दिए गए खनन क्षेत्र से स्थानीय लोगों को जबरदस्ती नहीं हटाएगा. अडानी को क्वींसलैंड के कारमाइकल कोल माइन पट्टे पर दिया गया है. यहां के रहने वाले लोग 'फर्स्ट नेशन्स' के नाम से जाने जाते हैं. उन्होंने खनन गतिविधि का विरोध किया है.

'द वायर' में छपी खबर के मुताबिक वांगन और जगलिंगाउ समेत फर्स्ट नेशन्स ने यहां पर खनन का विरोध किया है. इन लोगों ने अगस्त के आखिरी सप्ताह से खनन वाले क्षेत्र में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन शुरू कर दिया था.

अडानी की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक स्थानीय और पारंपरिक गतिविधि के नाम पर यहां पर जानबूझकर अतिक्रमण किया जा रहा है. विरोध करने वाले लोग 'एंटी फॉसिल फ्यूएल एक्टिविस्ट' हैं.

'द वायर' में ऑस्ट्रेलिया की पुलिस का वर्जन प्रकाशित किया गया है. इसके अनुसार पुलिस ने स्थानीय लोगों की पीड़ा के साथ सहमति जताई है. पुलिस ने कहा कि वे उन्हें हटाने नहीं आए हैं.

पुलिस ने कहा कि हम यहां पर विरोध करने वाले लोगों को नहीं हटाएंगे और हम चाहते हैं कि दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता करें.

क्वींसलैंड मानवाधिकार कानून 2019 यहां पर सांस्कृतिक अधिकारों और उसे आयोजित करने की पूरी आजादी देता है.

वहां की पुलिस के हवाले से यह भी कहा गया है कि वे वहां पर मौजूद लोगों को कह रही है कि जिस व्यक्ति को माइनिंग के लिए जमीन दी गई है, उनका भी कानूनी अधिकार है. उन्हें अपना काम करने दीजिए.

अडानी ने इस मामले में ऑस्ट्रेलिया की पुलिस के सामने शिकायत की है. रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस इस शिकायत की जांच कर रही है.

'द गार्जियन' में छपी खबर के मुताबिक पुलिस ने स्थानीय लोगों को हटाने से फिलहाल इनकार कर दिया है. इसका अर्थ है कि दोनों पक्षों के बीच विवाद जारी रहेगा.

कानूनी स्थिति के अनुसार अडानी का वांगान और जगलिंगाउ समुदाय से समझौता है. अडानी उनकी जमीन का उपयोग कर सकते हैं. विरोध यहां के दूसरे लोग कर रहे हैं, जो यहां के पारंपरिक वासी हैं.

वांगान और जगलिंगाउ समुदाय के लोगों के अनुसार विरोध करने वाले लोग काफी लंबे समय से सांस्कृतिक कार्यक्रम करते आ रहे हैं. उनकी कई पीढ़ियां यही काम करती आ रहीं हैं.

उन्होंने बताया कि पुलिस के रवैये को लेकर वह खुश हैं. क्योंकि उन्हें भय था कि पुलिस कहीं सख्त रवैया न अपना ले.

अडानी ग्रुप के हवाले से बताया गया है कि वह स्थानीय आबादी और संस्कृति का सम्मान करता है. उन्हें उनके सांस्कृति कार्यक्रम से कोई परेशानी नहीं है. लेकिन यह सब कुछ नियोजित तरीके से हो. अगर इसकी आड़ में आपराधिक गतिविधि की जाती है, तो वे इसका विरोध करेंगे.

आपको बता दें कि 2010 में अडानी ने इस पट्टे को हासिल किया था. 2014 में यहां से उत्पादन शुरू होना था. लेकिन अब तक उत्पादन का काम शुरू नहीं हुआ है.

हैदराबाद : ऑस्ट्रेलिया ने साफ कर दिया है कि वह भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी को दिए गए खनन क्षेत्र से स्थानीय लोगों को जबरदस्ती नहीं हटाएगा. अडानी को क्वींसलैंड के कारमाइकल कोल माइन पट्टे पर दिया गया है. यहां के रहने वाले लोग 'फर्स्ट नेशन्स' के नाम से जाने जाते हैं. उन्होंने खनन गतिविधि का विरोध किया है.

'द वायर' में छपी खबर के मुताबिक वांगन और जगलिंगाउ समेत फर्स्ट नेशन्स ने यहां पर खनन का विरोध किया है. इन लोगों ने अगस्त के आखिरी सप्ताह से खनन वाले क्षेत्र में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन शुरू कर दिया था.

अडानी की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक स्थानीय और पारंपरिक गतिविधि के नाम पर यहां पर जानबूझकर अतिक्रमण किया जा रहा है. विरोध करने वाले लोग 'एंटी फॉसिल फ्यूएल एक्टिविस्ट' हैं.

'द वायर' में ऑस्ट्रेलिया की पुलिस का वर्जन प्रकाशित किया गया है. इसके अनुसार पुलिस ने स्थानीय लोगों की पीड़ा के साथ सहमति जताई है. पुलिस ने कहा कि वे उन्हें हटाने नहीं आए हैं.

पुलिस ने कहा कि हम यहां पर विरोध करने वाले लोगों को नहीं हटाएंगे और हम चाहते हैं कि दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता करें.

क्वींसलैंड मानवाधिकार कानून 2019 यहां पर सांस्कृतिक अधिकारों और उसे आयोजित करने की पूरी आजादी देता है.

वहां की पुलिस के हवाले से यह भी कहा गया है कि वे वहां पर मौजूद लोगों को कह रही है कि जिस व्यक्ति को माइनिंग के लिए जमीन दी गई है, उनका भी कानूनी अधिकार है. उन्हें अपना काम करने दीजिए.

अडानी ने इस मामले में ऑस्ट्रेलिया की पुलिस के सामने शिकायत की है. रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस इस शिकायत की जांच कर रही है.

'द गार्जियन' में छपी खबर के मुताबिक पुलिस ने स्थानीय लोगों को हटाने से फिलहाल इनकार कर दिया है. इसका अर्थ है कि दोनों पक्षों के बीच विवाद जारी रहेगा.

कानूनी स्थिति के अनुसार अडानी का वांगान और जगलिंगाउ समुदाय से समझौता है. अडानी उनकी जमीन का उपयोग कर सकते हैं. विरोध यहां के दूसरे लोग कर रहे हैं, जो यहां के पारंपरिक वासी हैं.

वांगान और जगलिंगाउ समुदाय के लोगों के अनुसार विरोध करने वाले लोग काफी लंबे समय से सांस्कृतिक कार्यक्रम करते आ रहे हैं. उनकी कई पीढ़ियां यही काम करती आ रहीं हैं.

उन्होंने बताया कि पुलिस के रवैये को लेकर वह खुश हैं. क्योंकि उन्हें भय था कि पुलिस कहीं सख्त रवैया न अपना ले.

अडानी ग्रुप के हवाले से बताया गया है कि वह स्थानीय आबादी और संस्कृति का सम्मान करता है. उन्हें उनके सांस्कृति कार्यक्रम से कोई परेशानी नहीं है. लेकिन यह सब कुछ नियोजित तरीके से हो. अगर इसकी आड़ में आपराधिक गतिविधि की जाती है, तो वे इसका विरोध करेंगे.

आपको बता दें कि 2010 में अडानी ने इस पट्टे को हासिल किया था. 2014 में यहां से उत्पादन शुरू होना था. लेकिन अब तक उत्पादन का काम शुरू नहीं हुआ है.

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