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चार साल की बेटी को छोड़कर उग्रवादी बने मां-बाप

चार साल की बेटी को छोड़कर एक दंपती ने उल्फा की सदस्यता ग्रहण कर ली है. पांच दिनों पहले तक उसकी बेटी स्कूल जाती थी, लेकिन अब वह घर में ही रहती है. उसकी देखभाल उसके दादा-दादी करते हैं. दादा-दादी ने अपील की है कि वे उग्रवादी संगठन की सदस्यता छोड़कर अपने परिवार लौट आएं.

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Published : May 9, 2022, 7:54 PM IST

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कॉन्सेप्ट फोटो

सादिया : अपने बच्चों की तकदीर सुधारने के लिए दंपती दिन-रात एक कर देते हैं, लेकिन असम से ऐसी खबर आई है, जिसके बारे में जानकर हर कोई हैरान है. यहां एक दंपती ने न सिर्फ अपनी चार साल की बेटी का परित्याग कर दिया, बल्कि उसने प्रतिबंधित संगठन उल्फा (यूनाइटेड लिब्रेशन फ्रंट ऑफ असम इंडिपेंडेंट गुट) की सदस्यता भी ग्रहण कर ली. यह घटना पूर्वी असम के तीनसुकिया जिले के काकपत्थर की है. यह इलाका अरुणाचल से ठीक सटा हुआ है.

पुलिस ने बताया कि अच्युतानंद नियोग और उसकी पत्नी ममता नियोग दोनों ही पिछले पांच दिनों से लापता हैं. यहां तक कि उनके परिवार वालों को भी इन दोनों के बारे में पता नहीं है. वैसे, असम में उल्फा की सदस्यता ग्रहण करना कोई बड़ी घटना नहीं है, लेकिन कोई दंपती ऐसा करे, वो भी चार साल की बच्ची को छोड़कर, इस खबर ने सबको हैरत में डाल दिया है.

नियोग के माता-पिता ने बताया कि उनकी पोती पांच दिन पहले तक स्कूल जाती थी. उन्होंने कहा कि पांच दिन पहले जब बच्ची स्कूल से लौटी, तो उसके मां-बाप घर से गायब मिले. उन्होंने कहा कि तब से वे दोनों नहीं मिल रहे हैं.

आपको बता दें कि नियोग के पिता भी उल्फा के सदस्य रह चुके हैं. उन्होंने 1993 में उल्फा की सदस्यता छोड़ दी थी. अच्युतानंद के माता-पिता ने अपने बेटे और बहू से अपनी बच्ची के लिए घर लौटने की अपील की है.

सादिया : अपने बच्चों की तकदीर सुधारने के लिए दंपती दिन-रात एक कर देते हैं, लेकिन असम से ऐसी खबर आई है, जिसके बारे में जानकर हर कोई हैरान है. यहां एक दंपती ने न सिर्फ अपनी चार साल की बेटी का परित्याग कर दिया, बल्कि उसने प्रतिबंधित संगठन उल्फा (यूनाइटेड लिब्रेशन फ्रंट ऑफ असम इंडिपेंडेंट गुट) की सदस्यता भी ग्रहण कर ली. यह घटना पूर्वी असम के तीनसुकिया जिले के काकपत्थर की है. यह इलाका अरुणाचल से ठीक सटा हुआ है.

पुलिस ने बताया कि अच्युतानंद नियोग और उसकी पत्नी ममता नियोग दोनों ही पिछले पांच दिनों से लापता हैं. यहां तक कि उनके परिवार वालों को भी इन दोनों के बारे में पता नहीं है. वैसे, असम में उल्फा की सदस्यता ग्रहण करना कोई बड़ी घटना नहीं है, लेकिन कोई दंपती ऐसा करे, वो भी चार साल की बच्ची को छोड़कर, इस खबर ने सबको हैरत में डाल दिया है.

नियोग के माता-पिता ने बताया कि उनकी पोती पांच दिन पहले तक स्कूल जाती थी. उन्होंने कहा कि पांच दिन पहले जब बच्ची स्कूल से लौटी, तो उसके मां-बाप घर से गायब मिले. उन्होंने कहा कि तब से वे दोनों नहीं मिल रहे हैं.

आपको बता दें कि नियोग के पिता भी उल्फा के सदस्य रह चुके हैं. उन्होंने 1993 में उल्फा की सदस्यता छोड़ दी थी. अच्युतानंद के माता-पिता ने अपने बेटे और बहू से अपनी बच्ची के लिए घर लौटने की अपील की है.

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