गुवाहाटी : असम के दरांग जिले में गुरुवार को हुई हिंसा में दो लोगों की मौत हो गई है. वहीं, घायल के शरीर पर कूदने के आरोप में कैमरामैन को गिरफ्तार कर लिया गया है. इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद सरकार और प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े हो गए थे.
वायरल हो रहे घटना के वीडियो में एक ग्रामीण पुलिस की ओर लाठी लेकर भागता दिख रहा है. इसके बाद पुलिस की कई बंदूकें और लाठी उसकी ओर तन जाती हैं. एक गोली लगते ही ग्रामीण नीचे गिर जाता है और फिर कई पुलिसवाले उस व्यक्ति पर लाठियां बरसाकर उसे अधमरा कर देते हैं. इसके बाद भी कई पुलिसवाले घायल शख्स पर लाठियां बरसाते रहते हैं. इसीबीच कैमरामैन आगे बढ़ता है और जमीन पर बेसुध हो चुके शख्स के सीने पर कूद जाता है, उसकी गर्दन को घुटने से दबाता है और उसको मुक्के मारता है.
असम के डीजीपी भास्कर ज्योति महंत ने कहा कि उक्त व्यक्ति को कल गिरफ्तार किया गया और उसे असम पुलिस के आपराधिक जांच विभाग को सौंप दिया गया. उन्होंने कहा कि पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि जब पुलिस हिंसा को नियंत्रित करने के लिए कार्रवाई कर रही थी तो उस व्यक्ति ने शव के प्रति ऐसा व्यवहार क्यों किया.
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बता दें कि दरांग जिला प्रशासन ने बताया कि अतिक्रमणकारियों को पहले बेदखली का नोटिस दिया गया था. स्थानीय लोगों से क्षेत्र खाली करने की अपील की गई थी, लेकिन, स्थिति तब और खराब हो गई जब गुरुवार को कुछ स्थानीय लोगों ने इलाके को बेदखल कराने गई टीम पर पथराव किया. प्रशासन के मुताबिक लोगों के उग्र होने के कारण सुरक्षा बलों को पहले आंसू गैस के गोले दागने पड़े और बाद में भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हवाई फायरिंग भी करनी पड़ी.
जानकारी के मुताबिक जब कुछ स्थानीय लोगों ने पुलिस टीम पर बांस-बल्ली और छुरे जैसे घातक हथियारों से हमला किया, तो पुलिस ने फायरिंग का सहारा लिया. इस फायरिंग के दौरान प्रदर्शन कर रहे दो नागरिकों की मौत हो गई. पुलिस ने बताया है कि सुरक्षाबलों के कम से कम 10 जवानों को भी चोटें आईं हैं. कुछ की चोटें गंभीर हैं. पुलिस ने कहा कि गंभीर रूप से घायल कुछ सुरक्षाकर्मियों को बेहतर इलाज के लिए गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है.
उल्लेखनीय है कि दारांग जिले के सिपाझार राजस्व अंचल के अंतर्गत 77,420 बीघा सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा है. भाजपा के नेतृत्व वाली असम सरकार ने इस साल जून में बड़े पैमाने पर बेदखली अभियान शुरू किया था. लगभग 8000 बीघा जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराया गया था.