मेरठ: उत्तर प्रदेश के मेरठ जनपद के इकलौता गांव की रहने वाली पारुल चौधरी एक साधारण परिवार से हैं. जब पारुल ने खेल की तरफ पहला कदम बढ़ाया था तब उनके पिता कृष्णपाल और मां को लोगों के काफी ताने सुनने पड़े थे. लेकिन, पारुल और उसके परिवार वालों ने हिम्मत नहीं हारी. इसका नतीजा यह रहा कि आज उसकी सफलता पर पूरा देश खुश है.
पारुल के साथ पूरे परिवार को पीएम मोदी से लेकर सीएम योगी समेत तमाम लोगों ने बधाई दी हैं. हो भी क्यों न, पारुल ने एशियन गेम्स 2023 में गोल्ड मेडल जो जीता है. इससे पारुल का परिवार फूला नहीं समा रहा और बेटी की मेहनत पर माता पिता को नाज है. मेरठ के छोटे से गांव इकलौता की बेटी पारुल चौधरी ने अपनी मेहनत और कठिन परिश्रम के बल पर एशियन गेम्स 2023 में महिलाओं की 5000 मीटर दौड़ में गोल्ड मेडल जीत कर यह साबित कर दिया है कि मेहनत से आप अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं. सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता है.
पिता कृष्णपाल का कहना है कि उनकी बेटी जब नजदीक के गांव भराला के स्कूल में पढ़ने जाती थीं तो वहां उसने सभी को पीछे छोड़ दिया था. उसके बाद उसकी उस उड़ान को थमने नहीं दिया. पिता ने बताया कि वह तो छोटे से किसान हैं, जिन्हें गांव में भी कोई ठीक से नहीं जानता था, लेकिन आज उनकी बेटी की वजह से सारी दुनिया उन्हें भी जान गई है.
मंत्री-सांसद सभी दे रहे पारुल के परिवार वालों को बधाईः कृष्णपाल का कहना है कि बेटी ने दोहरी खुशी दी है. क्योंकि एक दिन पहले यानी सोमवार को उसने स्टीपल चेज में सिल्वर मेडल अपने नाम किया था और 24 घंटे बाद पारुल ने 5000 मीटर की महिलाओं की दौड़ में गोल्ड मेडल अपने नाम कर लिया. उन्होंने कहा कि उन्हें लगातार बधाई देने के लिए मंत्री सांसद जनप्रतिनिधियों समेत अधिकारियों के फोन आ रहे हैं. पूरा गांव बेहद खुश है.
24 घंटे में पारुल ने देश को दी दोहरी खुशीः पारुल चौधरी के भाई राहुल चौधरी ने बताया कि उनकी बहन ने स्टीपलचेज स्पर्धा में नौ मिनट 27.63 सेकेंड के समय के साथ रजत पर कब्जा किया. 24 घंटे में ही बहन ने दूसरी खुशी परिवार को दी और गोल्ड अपने नाम करके पूरे देश का मान बढ़ाया. पारुल के भाई ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि उनकी बहन का सपना ओलम्पिक में गोल्ड पाना है. बहन से फोन पर बात हुई है.
भाई ने याद दिलाया सीएम योगी का वादाः राहुल का कहना है कि हमने सुना था कि योगी सरकार ने गोल्ड जीतने वाले को डिप्टी एसपी बनाने का वादा किया है. पारुल डिप्टी एसपी बनना चाहती हैं और अपने सपने को पूरा करने के लिए वह खूब मेहनत करती रही हैं. पारुल की भाभी पूजा कहती हैं कि उन्हें खुशी हो रही है कि वह ऐसे घर में हैं जहां बेटियों को आसमान छूने की पूरी आजादी है. घर में एक कमरे में सिर्फ पारुल के मेडल ही चारों तरफ लगे हुए हैं.
पारुल चौधरी की मां ने क्या कहाः पारुल की मां राजेश देवी कहती हैं कि उनकी बेटी ने खूब मेहनत की है. पगडंडियों पर दौड़ी है. गांव से हाईवे तक पिता साइकिल से उसे छोड़ने जाते थे, लेकिन वह साइकिल के साथ-साथ दौड़ लगाती थी. उसके बाद मेरठ के बेगम पुल से करीब 5 किलोमीटर की दूरी कैलाश प्रकाश स्टेडियम की है. स्टेडियम तक भी आर्थिक दिक्कतों की वजह से उनकी बेटी पैदल ही आवाजाही करती थी.
पेरिस ओलंपिक 2024 के लिए पारुल चौधरी ने किया क्वालीफाईः उसके बाद जब शाम को लौटती थी तो पिता टोल प्लाजा पर साइकिल लेकर खड़े इंतजार किया करते थे. उसके बाद भी साइकिल पर कभी बैठ जाती तो कभी फिर अपने सपनों को पूरा करने के लिए दौड़ती दौड़ती पिता की साइकिल के आगे-आगे चलती थी. पारुल चौधरी ने इसी साल अगस्त में ही बुडापेस्ट में वर्ल्ड चैंपियनशिप में 9 मिनट 15.31 सेकेंड के समय के साथ 3000 मीटर स्टीपलचेज में राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया था. उसके बाद पेरिस ओलंपिक 2024 के लिए उसने क्वालीफाई किया था.
गांव में बांटी गई मिठाईः भारत की स्टार एथलीट पारुल चौधरी के इस प्रदर्शन से उनके गांव में लोग एक दूसरे को मिठाइयां बांट रहे हैं. ग्रामीणों को नाज है कि पारुल ने चीन की धरती पर इतिहास रचा है. ग्रामीण कहते हैं कि गांव की पहचान अब हमारे गांव की बेटी के नाम हो गई है. पारुल के भाई ने बताया कि वर्तमान में उसकी बहन रेलवे में अपनी सेवाएं दे रही हैं.
पारुल चौधरी के परिवार में कौन-कौन हैः पारुल चौधरी के चार भाई बहन हैं, जिनमें से वह तीसरे नंबर पर है. पारुल की माता राजेश देवी ने अपनी बेटी की सफलता को लेकर कहा कि बेटियां किसी से कम नहीं होतीं, बेटों से ज्यादा मेहनती हैं. वह जहां भी जाती हैं सभी को कहती हैं कि अपनी बेटियों को मौका दें, ताकि वह भी उनकी बेटी की तरह अपने सपनों को पूरा करें और माता पिता के साथ खानदान, गांव और समाज देश का नाम रोशन करें.
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