नई दिल्ली: भारतीय और चीनी सैनिकों की अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के निकट एक स्थान पर नौ दिसंबर को झड़प हुई, जिसमें भारतीय जवानों ने चीनी सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब दिया. इस झड़प में छह भारतीय जवान मामूली रूप से घायल हो गए. भारतीय सेना ने सोमवार को यह जानकारी दी. पूर्वी लद्दाख में दोनों पक्षों के बीच 30 महीने से अधिक समय से जारी सीमा गतिरोध के बीच पिछले शुक्रवार को संवेदनशील क्षेत्र में एलएसी पर यांग्त्से के पास झड़प हुई.
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Indian troops in area of face-off in Tawang gave befitting response to Chinese troops.Number of Chinese soldiers injured is more than that of Indian soldiers.Chinese had come heavily prepared with around 300 soldiers but didn't expect Indian side also to be well prepared: Sources pic.twitter.com/hKVVIQlSp4
— ANI (@ANI) December 12, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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भारतीय थलसेना ने एक बयान में कहा, 'पीएलए के सैनिकों के साथ तवांग सेक्टर में एलएसी पर नौ दिसंबर को झड़प हुई. हमारे सैनिकों ने चीनी सैनिकों का दृढ़ता के साथ सामना किया. इस झड़प में दोनों पक्षों के कुछ जवानों को मामूली चोटें आईं.' सेना ने कहा, 'दोनों पक्ष तत्काल क्षेत्र से पीछे हट गए. इसके बाद हमारे कमांडर ने स्थापित तंत्रों के अनुरूप शांति बहाल करने के लिए चीनी समकक्ष के साथ 'फ्लैग बैठक' की.' सेना के बयान में झड़प में शामिल सैनिकों और घटना में घायल हुए सैनिकों की संख्या का उल्लेख नहीं किया गया.
सेना ने कहा कि 'तवांग सेक्टर में एलएसी पर क्षेत्रों को लेकर दोनों पक्षों की अलग-अलग धारणा है. अरुणाचल प्रदेश में तवांग सेक्टर में एलएसी से सटे अपने दावे वाले कुछ क्षेत्रों में दोनों पक्ष गश्त करते हैं. यह सिलसिला 2006 से जारी है.' माना जाता है कि झड़प में घायल हुए चीनी सैनिकों की संख्या काफी अधिक हो सकती है. पूर्वी लद्दाख में रिनचेन ला के पास अगस्त 2020 के बाद से भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच यह पहली बड़ी झड़प है.
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On 9th Dec 2022, PLA troops contacted the LAC in Tawang Sector of Arunachal Pradesh which was contested by Indian troops in a firm and resolute manner. This face-off led to minor injuries to a few personnel from both sides. Both sides immediately disengaged from the area: Sources pic.twitter.com/vQLXcM3xLS
— ANI (@ANI) December 12, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच पिछले साल अक्टूबर में भी यांग्त्से के पास एक संक्षिप्त टकराव हुआ था और स्थापित प्रोटोकॉल के अनुसार दोनों पक्षों के स्थानीय कमांडरों के बीच बातचीत के बाद इसे सुलझा लिया गया था. दोनों पक्षों ने एलएसी पर धीरे-धीरे हजारों सैनिकों और भारी हथियारों की तैनाती कर दी. पूर्वी लद्दाख गतिरोध के बाद, भारतीय सेना ने पूर्वी थिएटर में एलएसी पर अपनी अभियानगत क्षमताओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाया है.
पूर्वी थिएटर में बड़े पैमाने पर सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में एलएसी से लगते सीमावर्ती क्षेत्र शामिल हैं तथा सीमांत क्षेत्रों में तवांग और उत्तरी सिक्किम क्षेत्र सहित कई संवेदनशील अग्रिम स्थान हैं. सैन्य अधिकारियों ने कहा कि सेना ने एक प्रभावी निगरानी तंत्र स्थापित किया है और पिछले दो वर्षों में क्षेत्रों की समग्र निगरानी में काफी सुधार हुआ है. सितंबर में, सेना की पूर्वी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राणा प्रताप कलिता ने कहा था कि भारतीय सेना एलएसी पर पीएलए की गतिविधियों की लगातार निगरानी कर रही है और किसी भी चुनौती से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है.
गौरतलब है कि पांच मई, 2020 को शुरू हुए पूर्वी लद्दाख गतिरोध के बाद भारत लगभग 3,500 किलोमीटर लंबी एलएसी के निकट बुनियादी ढांचे के विकास में तेजी ला रहा है.
आपको बता दें कि इससे पहले 2020 में 15-16 जून को लद्दाख की गलवान घाटी में एलएसी पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच खूनी संघर्ष हुआ था. इसमें भारतीय सेना के एक कर्नल समेत 20 सैनिक शहीद हो गए थे.
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तब चीन ने भी स्वीकार किया था कि इस झड़प में उसके पांच अधिकारी मारे गए थे. ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने दावा किया था कि भारत से ज्यादा चीनी सैनिक मारे गए थे. चीन ने पांच अधिकारियों और सैनिकों के मारे जाने की बात स्वीकार की थी.