नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि भारतीय इतिहास और संस्कृति में जनजातियों के विशेष स्थान और योगदान को सम्मानित करने व आने वाले पीढ़ियों को इस सांस्कृतिक विरासत और राष्ट्रीय गौरव के संरक्षण के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से 15 नवंबर को 'जनजातीय गौरव दिवस' घोषित करने का निर्णय लिया है.
उन्होंने कहा कि आज कैबिनेट ने भारतीय कपास निगम को 17,408.85 करोड़ रुपये के प्रतिबद्ध मूल्य समर्थन को मंजूरी दी. सीसीईए ने कपास सीजन (अक्टूबर से सितंबर) 2014-15 से 2020-21 के दौरान कपास के लिए एमएसपी ऑप्स के तहत नुकसान की प्रतिपूर्ति के लिए व्यय को मंजूरी दी.
उन्होंने कहा, जूट पैकेजिंग सामग्री अधिनियम, 1987 के तहत जूट वर्ष 2021-22 के लिए जूट पैकेजिंग सामग्री के लिए आरक्षण मानदंडों को मंजूरी के रूप में 100% खाद्यान्न और 20% चीनी को जूट बैग में पैक किया जाएगा. जूट मिलों और सहायक इकाइयों में 3,70,000 श्रमिकों को राहत देने के लिए यह कदम उठाया गया है.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (एमपीलैड) को बहाल करने की मंजूरी दे दी. कोविड-19 महामारी के मद्देनजर योजना को पिछले साल निलंबित कर दिया गया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2021-22 की शेष अवधि के लिए योजना को बहाल कर दिया गया है. यह योजना 2025-26 तक जारी रहेगी.
पढ़ें :- Cabinet Briefing : लद्दाख में केंद्रीय विश्वविद्यालय को मंजूरी
ठाकुर ने कहा कि 2021-22 की शेष अवधि के लिए एक किस्त में दो करोड़ रुपये प्रति सांसद की दर से राशि जारी की जाएगी. उन्होंने कहा कि 2022-23 से 2025-26 तक प्रत्येक सांसद को पांच करोड़ रुपये प्रतिवर्ष की दर से 2.5 करोड़ रुपये की राशि दो किस्तों में जारी की जाएगी. पिछले साल अप्रैल में सरकार ने 2020-21 और 2021-22 के दौरान एमपीलैड को निलंबित कर दिया था और कहा था कि धन का उपयोग स्वास्थ्य सेवाओं के प्रबंधन और देश में कोविड-19 महामारी से निपटने में किया जाएगा. इस योजना के तहत सांसद अपने निर्वाचन क्षेत्रों में हर साल पांच करोड़ रुपये तक के विकास कार्यक्रमों की सिफारिश कर सकते हैं.
एमपीलैड योजना क्या है
सरकार के अनुसार, इस योजना का उद्देश्य सांसदों को अपने निर्वाचन क्षेत्रों और राज्यों में विशेष रूप से पेयजल, प्राथमिक शिक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य, स्वच्छता के क्षेत्रों में विकास कार्यों की सिफारिश करने में सक्षम बनाना था.
एमपीलैड योजना की शुरुआत के बाद से अब तक 54,171 करोड़ रुपये की लागत वाली 19,86,000 से अधिक परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं.