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जिस विमान ने Pakistan में घुसकर की थी सर्जिकल स्ट्राइक, वह अब नहीं भरेगा उड़ान

कई अहम अभियानों का हिस्सा रहा एएन-32 (Airforce AN 32 retirement) जल्द ही रिटायर होने वाला है. भारतीय वायुसेना में इसकी जगह दूसरा विमान लेगा.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 13, 2023, 8:51 PM IST

Updated : Oct 16, 2023, 4:51 PM IST

एएन-32 जल्द रिटायर हो जाएगा.

आगरा : भारतीय वायुसेना के तमाम सैन्य और आपदा मिशन में एएन-32 की अहम भूमिका रही है. 39 साल तक सेवाएं देने वाले इस मल्टीपर्पज विमान की विदाई होने जा रही है. लिहाजा अब आसमान में एएन-32 की दहाड़ नहीं सुनाई नहीं देगी. अभी तक आगरा एयरफोर्स स्टेशन स्थित एकमात्र पैरा ड्रॉपिंग ट्रेनिंग स्कूल में कमांडों हजारों फीट की उंचाई से इसी विमान से छलांग लगाते थे. अब जल्द ही ये काम मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट सी-295 से किया जाएगा. एएन-32 विमान की कई खासियत है.

पैरा जंपिंग की भी होती है ट्रेनिंग : बता दें कि, भारतीय वायुसेना का पॉवर सेंटर आगरा एयरफोर्स स्टेशन है. यहां पर मालवाहक विमानों का बेड़ा हर समय तैनात रहता है. इसके साथ ही देश का एकमात्र पैरा ड्रॉपिंग ट्रेनिंग स्कूल भी है. यहां पर थल, जल और नभ की सुरक्षा में लगे स्पेशल कमांडो की पैरा ड्रॉपिंग ट्रेनिंग कराई जाती है. इसके साथ ही मित्र देश के कमांडो को भी आगरा में ही पैरा जंपिंग की ट्रेनिंग दी जाती है.

एएन-32 विमान की कई खासियत रही है.
एएन-32 विमान की कई खासियत रही है.

एमएस धोनी ने भी की थी ट्रेनिंग : आगरा में एएन-32 से पैरा ड्रॉपिंग ट्रेनिंग दी जाती है. एएन-32 में हजारों की फीट की उंचाई से छलांग लगाते हैं. आगरा के एएन-32 से हजार फीट की ऊंचाई से छलांग लगाकर ट्रेनिंग लेने वाले कमांडो जल, थल और नभ में अलग-अलग ऑपरेशन करते हैं. यहां पर ट्रेनिंग लेकर गए कमांडों ने पाकिस्तान के बालाकोट में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की थी. आगरा में भारतीय क्रिकेट टीम के कूल कैप्टन रहे एमएस धोनी भी पैरा कमांडों की ट्रेनिंग ली थी.

सन 1984 में वायुसेना का हिस्सा बना था एएन 32 : आगरा एयरफोर्स स्टेशन पर एएन-32 उड़ाने वाली अपूर्वा यादव ने बताया कि, एएन-32 विमान सबसे पहले भारतीय वायुसेना में 29 जून 1984 में आया था. सबसे पहले यहा आगरा एयरफोर्स स्टेशन पर आया था. एएन-32 विमान से तभी से पैरा ड्रॉपिंग ट्रेनिंग कराई जा रही है. भारत की अलग-अलग फोर्स में कमांडो हैं. उन्हें यहां पर ही ट्रेनिंग कराई जाती है. मार्कोस कमांडो, गुरूण कमांडो, पैरा कमांडों की ट्रेनिंग कराने में एएन-32 की अहम भूमिका रही है. आगरा में एक दिन में एएन-32 से सबसे ज्यादा 1461 जंप कराई गई. यह अपने आप में एक रिकॉर्ड है.

आगरा में पैरा ड्रॉपिंग ट्रेनिंग स्कूल है.
आगरा में पैरा ड्रॉपिंग ट्रेनिंग स्कूल है.

एएन 32 विमान कार्गो विमान है : आगरा एयरफोर्स स्टेशन पर एएन-32 उड़ाने वाली अपूर्वा यादव ने बताया कि, एएन-32 कार्गो विमान है. जब भी देश या विदेश में कहीं आपदा आती है तो एएन-32 से आपदा बचाव कार्य के लिए एनडीआरएफ की टीम और बचाव राहत सामग्री भी इसी विमान से भेजी जाती है. इसके साथ ही तमाम ऑपरेशन में एएन-32 ने अहम भूमिका निभाई. कोरोना काल में देश के अलग-अलग शहर या दूर दराज के इलाके में वैक्सीन भेजने का काम भी एएन-32 ने किया था.

मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट सी 295 होंगे तैनात : आगरा एयरफोर्स स्टेशन पर अभी चार एएन-32 विमान तैनात हैं. जो मल्टीपर्पज है. वे कार्गो विमान के रूप में उपयोग किए जाते हैं. इसके साथ ही पैरा जंपिंग ट्रेनिंग स्कूल के कमांडो को पैरा ड्रॉपिंग की ट्रेनिंग भी कराते हैं. बीते दिनों गाजियाबाद हिंडन एयरबेस पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्पेन में बने मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट सी-295 का विधिवत पूजन किया. तभी उन्होंने कहा था कि, भारतीय वायुसेना में एएन-32 की जगह पर मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट सी-295 लेगा. यह कार्गो के साथ ही आगरा के पैरा जंपिंग ट्रेनिंग स्कूल के कमांडो को ट्रेनिंग दिलाने का काम करेगा. इसलिए, आगरा एयरफोर्स स्टेशन पर तीन या चार मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट सी-295 तैनात होंगे.

हजार फीट की ऊंचाई से छलांग लगाते हैं कमांडो : डिफेंस पीआरओ शांतुन प्रताप सिंह ने बताया कि, आगरा एयरफोर्स पर स्थित देश के एकमात्र पैरा ड्रॉपिंग ट्रेनिंग स्कूल में ट्रेनिंग दी जाती है. कमांडों को विमान एएन-32 से हजार फीट की उंचाई से छलांग लगाई जाती है. मित्र देश के कमांडों को भी आगरा में पैरा ड्रॉपिंग कराई जाती है. आगरा एयरफोर्स की आपदा और बचाव कार्य में बेहद अहम भूमिका होती है. इसलिए, तमाम देशों से यहां पर लोग आते हैं.

कोरोना काल में वैक्सीन पहुंचाने का किया काम : डिफेंस पीआरओ शांतुन प्रताप सिंह ने बताया कि आगरा एयरफोर्स स्टेशन की बता करें तो यहां पर ट्रांसपोर्ट एयरक्राफट तैनात रहते हैं. जिससे आपदा के दौरान बचाव और राहत कार्य में अहम भूमिका रहती है. सैन्य ऑपरेशन या दूसरे देश में फंसे भारतीयों को सुरक्षित लाने में अहम भूमिका रहती है. इतना ही नहीं, कोरोना काल में वैक्सीन को दुर्गम इलाके और दूसरे देशों में भेजने का काम भी एएन-32 और अन्य विमान से किया गया.

रूस और यूक्रेन वाॅर से पाटर्स मिलने में दिक्कत : बता दें कि, रूस और यूक्रेन में युद्ध के हालात हैं. इस वजह से भारतीय वायुसेना को एएन-32 के लिए जरूरी पाटर्स नहीं मिल पा रहे थे. इसको लेकर केंद्र सरकार और भारतीय वायुसेना के अधिकारी चिंतित थे. इसलिए, भारत सरकार ने वायुसेना के लिए स्पेन की एयरबस कंपनी से 56 सी-295 टेक्निकल मिलिट्री ट्रांसपोर्ट विमान का सौदा किया था. इसके तहत एयरबस कंपनी को 16 विमान स्पेन स्थित कारखाने में बनाकर देगी. बाकी 40 विमान कंपनी भारत में टाटा कंपनी के साथ मिलकर बनाए जाएंगे.

दूसरे विश्व युद्ध में बना था एयर बेस : दूसरे विश्व युद्ध के दौरान आगरा की सामरिक अहमियत देखते हुए अमेरिका ने आगरा के खेरिया एयरपोर्ट को अपना बेस बनाया था. राॅयल एयरफोर्स ने यहां से ही तमाम सफल ऑपरेशन किए. आगरा एयरफोर्स स्टेशन पहले पश्चिमी कमान में था. मगर, सन 1971 में यह सेंट्रल कमान का हिस्सा बन गया. आगरा एयरफोर्स स्टेशन पर डकोटा, कैनबरा, एएन-12, एचएस-748, सी-119, सी-47 जैसे विमान भी सेवाएं दे रहे हैं.

एएन-32 की ये है खासियत : एएन-32 दो इंजन वाला टर्बोप्रॉप सैन्य परिवहन विमान है. इसे यूक्रेन के एंटोनोव डिजाइन ब्यूरो ने डिजाइन और निर्मित किया. भारत ने सन 1984 में तत्कालीन सोवियत संघ से इसे खरीदा था. भारतीय वायुसेना एएन-32 का मल्टीपर्पज उपयोग करती है.

यह भी पढ़ें : आगरा के आसमान में सी 297 विमान से छलांग लगाएंगे जाबांज कमांडो, यूक्रेन निर्मित एएन-32 की होगी विदाई

इंडियन एयरफोर्स का 'पावर सेंटर' है आगरा एयरफोर्स स्टेशन

एएन-32 जल्द रिटायर हो जाएगा.

आगरा : भारतीय वायुसेना के तमाम सैन्य और आपदा मिशन में एएन-32 की अहम भूमिका रही है. 39 साल तक सेवाएं देने वाले इस मल्टीपर्पज विमान की विदाई होने जा रही है. लिहाजा अब आसमान में एएन-32 की दहाड़ नहीं सुनाई नहीं देगी. अभी तक आगरा एयरफोर्स स्टेशन स्थित एकमात्र पैरा ड्रॉपिंग ट्रेनिंग स्कूल में कमांडों हजारों फीट की उंचाई से इसी विमान से छलांग लगाते थे. अब जल्द ही ये काम मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट सी-295 से किया जाएगा. एएन-32 विमान की कई खासियत है.

पैरा जंपिंग की भी होती है ट्रेनिंग : बता दें कि, भारतीय वायुसेना का पॉवर सेंटर आगरा एयरफोर्स स्टेशन है. यहां पर मालवाहक विमानों का बेड़ा हर समय तैनात रहता है. इसके साथ ही देश का एकमात्र पैरा ड्रॉपिंग ट्रेनिंग स्कूल भी है. यहां पर थल, जल और नभ की सुरक्षा में लगे स्पेशल कमांडो की पैरा ड्रॉपिंग ट्रेनिंग कराई जाती है. इसके साथ ही मित्र देश के कमांडो को भी आगरा में ही पैरा जंपिंग की ट्रेनिंग दी जाती है.

एएन-32 विमान की कई खासियत रही है.
एएन-32 विमान की कई खासियत रही है.

एमएस धोनी ने भी की थी ट्रेनिंग : आगरा में एएन-32 से पैरा ड्रॉपिंग ट्रेनिंग दी जाती है. एएन-32 में हजारों की फीट की उंचाई से छलांग लगाते हैं. आगरा के एएन-32 से हजार फीट की ऊंचाई से छलांग लगाकर ट्रेनिंग लेने वाले कमांडो जल, थल और नभ में अलग-अलग ऑपरेशन करते हैं. यहां पर ट्रेनिंग लेकर गए कमांडों ने पाकिस्तान के बालाकोट में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की थी. आगरा में भारतीय क्रिकेट टीम के कूल कैप्टन रहे एमएस धोनी भी पैरा कमांडों की ट्रेनिंग ली थी.

सन 1984 में वायुसेना का हिस्सा बना था एएन 32 : आगरा एयरफोर्स स्टेशन पर एएन-32 उड़ाने वाली अपूर्वा यादव ने बताया कि, एएन-32 विमान सबसे पहले भारतीय वायुसेना में 29 जून 1984 में आया था. सबसे पहले यहा आगरा एयरफोर्स स्टेशन पर आया था. एएन-32 विमान से तभी से पैरा ड्रॉपिंग ट्रेनिंग कराई जा रही है. भारत की अलग-अलग फोर्स में कमांडो हैं. उन्हें यहां पर ही ट्रेनिंग कराई जाती है. मार्कोस कमांडो, गुरूण कमांडो, पैरा कमांडों की ट्रेनिंग कराने में एएन-32 की अहम भूमिका रही है. आगरा में एक दिन में एएन-32 से सबसे ज्यादा 1461 जंप कराई गई. यह अपने आप में एक रिकॉर्ड है.

आगरा में पैरा ड्रॉपिंग ट्रेनिंग स्कूल है.
आगरा में पैरा ड्रॉपिंग ट्रेनिंग स्कूल है.

एएन 32 विमान कार्गो विमान है : आगरा एयरफोर्स स्टेशन पर एएन-32 उड़ाने वाली अपूर्वा यादव ने बताया कि, एएन-32 कार्गो विमान है. जब भी देश या विदेश में कहीं आपदा आती है तो एएन-32 से आपदा बचाव कार्य के लिए एनडीआरएफ की टीम और बचाव राहत सामग्री भी इसी विमान से भेजी जाती है. इसके साथ ही तमाम ऑपरेशन में एएन-32 ने अहम भूमिका निभाई. कोरोना काल में देश के अलग-अलग शहर या दूर दराज के इलाके में वैक्सीन भेजने का काम भी एएन-32 ने किया था.

मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट सी 295 होंगे तैनात : आगरा एयरफोर्स स्टेशन पर अभी चार एएन-32 विमान तैनात हैं. जो मल्टीपर्पज है. वे कार्गो विमान के रूप में उपयोग किए जाते हैं. इसके साथ ही पैरा जंपिंग ट्रेनिंग स्कूल के कमांडो को पैरा ड्रॉपिंग की ट्रेनिंग भी कराते हैं. बीते दिनों गाजियाबाद हिंडन एयरबेस पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्पेन में बने मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट सी-295 का विधिवत पूजन किया. तभी उन्होंने कहा था कि, भारतीय वायुसेना में एएन-32 की जगह पर मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट सी-295 लेगा. यह कार्गो के साथ ही आगरा के पैरा जंपिंग ट्रेनिंग स्कूल के कमांडो को ट्रेनिंग दिलाने का काम करेगा. इसलिए, आगरा एयरफोर्स स्टेशन पर तीन या चार मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट सी-295 तैनात होंगे.

हजार फीट की ऊंचाई से छलांग लगाते हैं कमांडो : डिफेंस पीआरओ शांतुन प्रताप सिंह ने बताया कि, आगरा एयरफोर्स पर स्थित देश के एकमात्र पैरा ड्रॉपिंग ट्रेनिंग स्कूल में ट्रेनिंग दी जाती है. कमांडों को विमान एएन-32 से हजार फीट की उंचाई से छलांग लगाई जाती है. मित्र देश के कमांडों को भी आगरा में पैरा ड्रॉपिंग कराई जाती है. आगरा एयरफोर्स की आपदा और बचाव कार्य में बेहद अहम भूमिका होती है. इसलिए, तमाम देशों से यहां पर लोग आते हैं.

कोरोना काल में वैक्सीन पहुंचाने का किया काम : डिफेंस पीआरओ शांतुन प्रताप सिंह ने बताया कि आगरा एयरफोर्स स्टेशन की बता करें तो यहां पर ट्रांसपोर्ट एयरक्राफट तैनात रहते हैं. जिससे आपदा के दौरान बचाव और राहत कार्य में अहम भूमिका रहती है. सैन्य ऑपरेशन या दूसरे देश में फंसे भारतीयों को सुरक्षित लाने में अहम भूमिका रहती है. इतना ही नहीं, कोरोना काल में वैक्सीन को दुर्गम इलाके और दूसरे देशों में भेजने का काम भी एएन-32 और अन्य विमान से किया गया.

रूस और यूक्रेन वाॅर से पाटर्स मिलने में दिक्कत : बता दें कि, रूस और यूक्रेन में युद्ध के हालात हैं. इस वजह से भारतीय वायुसेना को एएन-32 के लिए जरूरी पाटर्स नहीं मिल पा रहे थे. इसको लेकर केंद्र सरकार और भारतीय वायुसेना के अधिकारी चिंतित थे. इसलिए, भारत सरकार ने वायुसेना के लिए स्पेन की एयरबस कंपनी से 56 सी-295 टेक्निकल मिलिट्री ट्रांसपोर्ट विमान का सौदा किया था. इसके तहत एयरबस कंपनी को 16 विमान स्पेन स्थित कारखाने में बनाकर देगी. बाकी 40 विमान कंपनी भारत में टाटा कंपनी के साथ मिलकर बनाए जाएंगे.

दूसरे विश्व युद्ध में बना था एयर बेस : दूसरे विश्व युद्ध के दौरान आगरा की सामरिक अहमियत देखते हुए अमेरिका ने आगरा के खेरिया एयरपोर्ट को अपना बेस बनाया था. राॅयल एयरफोर्स ने यहां से ही तमाम सफल ऑपरेशन किए. आगरा एयरफोर्स स्टेशन पहले पश्चिमी कमान में था. मगर, सन 1971 में यह सेंट्रल कमान का हिस्सा बन गया. आगरा एयरफोर्स स्टेशन पर डकोटा, कैनबरा, एएन-12, एचएस-748, सी-119, सी-47 जैसे विमान भी सेवाएं दे रहे हैं.

एएन-32 की ये है खासियत : एएन-32 दो इंजन वाला टर्बोप्रॉप सैन्य परिवहन विमान है. इसे यूक्रेन के एंटोनोव डिजाइन ब्यूरो ने डिजाइन और निर्मित किया. भारत ने सन 1984 में तत्कालीन सोवियत संघ से इसे खरीदा था. भारतीय वायुसेना एएन-32 का मल्टीपर्पज उपयोग करती है.

यह भी पढ़ें : आगरा के आसमान में सी 297 विमान से छलांग लगाएंगे जाबांज कमांडो, यूक्रेन निर्मित एएन-32 की होगी विदाई

इंडियन एयरफोर्स का 'पावर सेंटर' है आगरा एयरफोर्स स्टेशन

Last Updated : Oct 16, 2023, 4:51 PM IST
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